बरेली हिंसा पर सीएम योगी का सख्त बयान- 'मौलाना को सबक सिखाया, आने वाली पीढ़ियां दंगे से पहले सोचेंगी'
जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, तो स्थिति बेकाबू हो गई। श्यामगंज, नावल्टी तिराहा और खलील स्कूल तिराहे पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। उपद्रवि

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। 'आई लव मुहम्मद' अभियान के समर्थन में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, वाहनों में तोड़फोड़ की और शहर को जाम करने की कोशिश की। इस घटना में दस से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में 'विकसित उत्तर प्रदेश विजन 2047' कार्यक्रम के दौरान इस हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि एक मौलाना भूल गया था कि राज्य में सत्ता किसकी है। उन्होंने चेतावनी दी कि उपद्रवियों को ऐसी सजा दी गई है कि उनकी सात पीढ़ियां दंगे भड़काने से पहले दो बार सोचेंगी। पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। यह घटना न सिर्फ कानून-व्यवस्था का सवाल उठाती है, बल्कि राज्य की विकास यात्रा को बाधित करने की साजिश के रूप में भी देखी जा रही है।
बरेली में घटना की शुरुआत जुमे की नमाज के ठीक बाद हुई। शहर के इस्लामिया ग्राउंड के पास एक छोटे से मस्जिद के बाहर सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। उनके हाथों में 'आई लव मुहम्मद' के पोस्टर और बैनर थे। यह अभियान पाकिस्तान में एक ईशनिंदा कांड के बाद शुरू हुआ था, जहां एक ईसाई व्यक्ति ने कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। भारत में भी इस मुद्दे पर कुछ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की अपील की। बरेली में बरेलवी संप्रदाय के प्रमुख धार्मिक स्थल दरगाह आला हजरत के पास यह प्रदर्शन और तीव्र हो गया। मौलाना तौकीर रजा खान ने सोशल मीडिया पर पैदल मार्च निकालने का आह्वान किया था। लेकिन प्रशासन ने पहले ही धारा 144 लागू कर दी थी और भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी थी।
जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, तो स्थिति बेकाबू हो गई। श्यामगंज, नावल्टी तिराहा और खलील स्कूल तिराहे पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। उपद्रवियों ने पुलिस वाहनों पर हमला किया, कुछ जगहों पर फायरिंग की आवाजें भी सुनाई दीं। पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान कम से कम दस पुलिसकर्मी चोटिल हो गए, जिनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने बताया कि हिंसा पूर्वनियोजित लग रही थी। उन्होंने कहा कि वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया की निगरानी से उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। अब तक दस एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें आईपीसी की धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रेंज डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल अजय कुमार साहनी ने मौलाना तौकीर रजा को मुख्य साजिशकर्ता बताया।
मौलाना तौकीर रजा खान बरेली के प्रसिद्ध धार्मिक नेता हैं। वे इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के संस्थापक हैं, जो मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर मुखर रहता है। अतीत में भी वे कई विवादों में रहे हैं। 2010 में बरेली में उनके आह्वान पर हुए प्रदर्शन में हिंसा भड़की थी, जिसके लिए अदालत ने उन्हें समन जारी किया था। हाल ही में एक अदालत ने कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री न होते, तो मौलाना तौकीर ने फिर दंगा भड़का दिया होता। इस बार भी उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर विरोध जताया। मौलाना ने गिरफ्तारी से पहले कहा था कि 'अतीक अहमद की तरह मुझे भी गोली मार दो', लेकिन पुलिस ने उन्हें शांतिपूर्वक हिरासत में लिया। अब वे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में हैं।
शनिवार सुबह ही पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी। मौलाना तौकीर को उनके घर से गिरफ्तार किया गया, जहां भारी सुरक्षा बल तैनात था। अन्य गिरफ्तार लोगों में सरफराज, मनीफुद्दीन, अजीम अहमद, मोहम्मद शरीफ, मोहम्मद आमिर, रिहान और मोहम्मद सरफराज शामिल हैं। बरेली प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं ताकि अफवाहें न फैलें। शहर में फ्लैग मार्च निकाले गए और संवेदनशील इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई। जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को पहले ही चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने नियम तोड़े। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंसा में शामिल किसी को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य सरकार ने इसे 'पूर्व नियोजित साजिश' करार दिया, जो पश्चिमी यूपी में नोएडा इंटरनेशनल ट्रेड शो को प्रभावित करने और विदेशी निवेश रोकने का प्रयास था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार रात को ही लखनऊ में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने पर विचार किया जाए। शनिवार को लखनऊ के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने खुलकर बयान दिया। उन्होंने कहा, 'पर्व-त्योहारों के समय पहले दंगे भड़क जाते थे, लेकिन अब उपद्रवियों को उनकी भाषा में जवाब दिया जाता है। कल बरेली में एक मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है। उसे लगा कि धमकी देकर शहर जाम कर सकता है, लेकिन हमने साफ कर दिया कि न नाकाबंदी होगी, न कर्फ्यू। हमने जो सबक सिखाया है, उससे आने वाली पीढ़ियां दंगे करने से पहले सोचेंगी।' सीएम ने 'डेंटिंग-पेंटिंग' का जिक्र किया, जो उनकी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई का संकेत था। उन्होंने दशहरा त्योहार का हवाला देते हुए कहा कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसलिए उपद्रवियों पर अब कार्रवाई का सही समय है।
योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति इस घटना में फिर सामने आई। 2017 से अब तक यूपी में दंगों की संख्या में भारी कमी आई है। सीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले दंगाइयों को मुख्यमंत्री आवास में सम्मानित किया जाता था, लेकिन अब उन्हें चुन-चुनकर सजा दी जाती है। उन्होंने राज्य की आर्थिक प्रगति का जिक्र किया। कहा कि यूपी अब 70 हजार करोड़ के राजस्व अधिशेष वाला राज्य है। प्रति व्यक्ति आय 45 हजार से बढ़कर 1.2 लाख रुपये हो गई है। जीएसडीपी 35 लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है। 2047 तक राज्य को 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है। सीएम ने कहा कि विकास के इस सफर में कोई साजिश सफल नहीं होगी।
इस हिंसा का राजनीतिक असर भी दिख रहा है। विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने पुलिस कार्रवाई को 'अत्याचार' बताया। नेता सुमैया राणा ने विवादित बयान दिया, जिसकी निंदा हुई। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने शांति की अपील की। भाजपा समर्थक सीएम के बयान की तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #YogiRoars ट्रेंड कर रहा है। कुछ यूजर्स ने कहा कि यह कानून-व्यवस्था का मजबूत संदेश है। दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों ने अपील की कि शांति बनाए रखें। ऑल इंडिया मुस्लिम जमाात के अध्यक्ष मौलाना शाहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना धार्मिक संवेदनशीलता और सोशल मीडिया की भूमिका को उजागर करती है। पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि पूर्वनियोजित हिंसा रोकने के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करना जरूरी है। राज्य सरकार ने त्योहारों के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा के आदेश दिए हैं। गरबा और डांडिया आयोजनों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति 5.0 लागू करने का निर्देश है। अफवाह फैलाने वालों पर सख्ती होगी।
फिलहाल बरेली में हालात नियंत्रण में हैं। लेकिन यह घटना राज्य की एकता और विकास के लिए खतरे की घंटी है। सीएम योगी ने दोहराया कि कानून-व्यवस्था सर्वोपरि है। क्या यह कार्रवाई भविष्य में शांति सुनिश्चित करेगी? इसका जवाब समय देगा। लेकिन एक बात साफ है कि यूपी अब पुरानी राजनीति से आगे बढ़ चुका है।
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