Trending: FIR रद्द करने की पेशी Toilet Seat पर बैठकर लगाई, वीडियो वायरल।
गुजरात हाई कोर्ट की एक वर्चुअल सुनवाई के दौरान 20 जून 2025 को एक चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई, जब एक व्यक्ति टॉयलेट...
गुजरात हाई कोर्ट की एक वर्चुअल सुनवाई के दौरान 20 जून 2025 को एक चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई, जब एक व्यक्ति टॉयलेट सीट पर बैठकर कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुआ। यह शख्स, जिसने ‘समद बैटरी’ के नाम से लॉग इन किया था, एक आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता था और एक प्राथमिकी (FIR) रद्द करने की याचिका पर सुनवाई में हिस्सा ले रहा था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसने न केवल कोर्ट की गरिमा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुशासन और मर्यादा की जरूरत को भी रेखांकित किया है।
घटना जस्टिस निरजर एस. देसाई की बेंच के सामने हुई, जो एक आपराधिक मामले की वर्चुअल सुनवाई कर रहे थे। वीडियो में दिखा कि ‘समद बैटरी’ नाम से लॉग इन करने वाला व्यक्ति शुरू में ब्लूटूथ ईयरफोन पहने हुए स्क्रीन पर नजर आया। लेकिन जैसे ही उसने अपना फोन थोड़ा दूर रखा, यह साफ हो गया कि वह शौचालय में बैठा था। वीडियो में वह न केवल टॉयलेट सीट पर बैठा दिखा, बल्कि नित्य क्रिया पूरी करने और फ्लश करने का दृश्य भी कैमरे में कैद हो गया। इसके बाद वह बाथरूम से बाहर निकला और किसी अन्य कमरे से सुनवाई में फिर से शामिल हुआ। इस पूरे दृश्य ने कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मौजूद अन्य पक्षों और वकीलों को हैरान कर दिया। अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, यह व्यक्ति एक आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता था और एक FIR को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई में प्रतिवादी के रूप में शामिल हुआ था। दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता होने के बाद कोर्ट ने FIR को रद्द कर दिया। हालांकि, इस मामले की कानूनी चर्चा से ज्यादा व्यक्ति की इस शर्मनाक हरकत ने सुर्खियां बटोरीं।
इस घटना का वीडियो ‘बार एंड बेंच’ द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए जाने के बाद यह तेजी से वायरल हो गया। एक्स पर @advsanjoy नामक यूजर ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “क्या हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि कम से कम वादी सुनवाई के दौरान शौच तो न करें? हे भगवान!” इस पोस्ट को 65,000 से अधिक बार देखा गया और 500 से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इस घटना पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने इसे मजाकिया बताया, तो कुछ ने इसे कोर्ट की गरिमा के खिलाफ माना। एक यूजर, सुजीत स्वामी ने एक्स पर लिखा, “पोटी में बैठा हुआ हाई कोर्ट की हियरिंग अटेंड कर रहा है। कुछ तो मर्यादा रखनी चाहिए कानून और संविधान की। इस पर बड़ी पेनल्टी लगनी चाहिए।”
- गुजरात हाई कोर्ट में पहले भी ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब गुजरात हाई कोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में इस तरह की अनुशासनहीनता सामने आई हो। अप्रैल 2025 में एक व्यक्ति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सिगरेट पीते हुए कैमरे में कैद हुआ था, जिसके लिए कोर्ट ने उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा, मार्च 2025 में धवल पटेल नामक एक व्यक्ति पर टॉयलेट से सुनवाई में शामिल होने के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था और उसे दो सप्ताह तक हाई कोर्ट परिसर में सामुदायिक सेवा करने की सजा दी गई थी। कोर्ट ने जुर्माने की राशि का कुछ हिस्सा अनाथालय को दान करने का भी आदेश दिया था। एक अन्य मामले में, फरवरी 2025 में वामदेव गढ़वी नामक व्यक्ति पर बिस्तर पर लेटकर सुनवाई में शामिल होने के लिए 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
- कोर्ट की गरिमा पर सवाल
इस घटना ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान कोर्ट की मर्यादा और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कोविड-19 महामारी के बाद वर्चुअल सुनवाई का चलन बढ़ा है, जिसने लोगों को घर बैठे कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने की सुविधा दी। लेकिन इस सुविधा का दुरुपयोग भी देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्चुअल सुनवाई की सहूलियत ने पर्सनल और प्रोफेशनल स्पेस के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है, जिसके कारण ऐसी शर्मनाक घटनाएं सामने आ रही हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने पहले भी वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुशासनहीनता पर सख्ती दिखाई है और स्पष्ट किया है कि ऑनलाइन सुनवाई के दौरान भी कोर्ट की गरिमा बनाए रखना अनिवार्य है। इस मामले में, हालांकि अभी तक कोर्ट की ओर से इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई की खबर नहीं आई है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग सख्त पेनल्टी की मांग कर रहे हैं।
‘समद बैटरी’ की इस हरकत ने न केवल गुजरात हाई कोर्ट की कार्यवाही को हास्यास्पद बना दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि तकनीक का गलत इस्तेमाल किस तरह से संस्थानों की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। यह घटना वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने वाले लोगों के लिए एक सबक है कि कोर्ट की कार्यवाही, चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, गंभीरता और सम्मान की मांग करती है। गुजरात हाई कोर्ट अब इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू करने पर विचार कर सकता है। वर्चुअल सुनवाई ने न्याय प्रणाली को सुलभ बनाया है, लेकिन इस तरह की घटनाएं तकनीक के गलत इस्तेमाल को दर्शाती हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी जुलाई 2024 में एक व्यक्ति के बनियान पहनकर वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने पर जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने नाराजगी जताई थी और उसे तुरंत वर्चुअल कोर्ट रूम से बाहर करने का आदेश दिया था। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि वर्चुअल सुनवाई की सुविधा के साथ-साथ इसके लिए सख्त दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल की जरूरत है।
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वायरल विडियो- https://youtube.com/shorts/qJl4IDhyme0?si=d73dgoOAN6nwqN0h
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