सावन सोमवार व्रत कथा- जानिए भगवान शिव की कृपा पाने की आसान विधि और पूजा करने का तरीका। 

Sawan 2025: हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और साधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। यह महीना, जो हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना...

Jul 15, 2025 - 12:11
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सावन सोमवार व्रत कथा- जानिए भगवान शिव की कृपा पाने की आसान विधि और पूजा करने का तरीका। 
सावन सोमवार व्रत कथा- जानिए भगवान शिव की कृपा पाने की आसान विधि और पूजा करने का तरीका। 

हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और साधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। यह महीना, जो हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना (श्रावण मास) है, भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। सावन के सोमवार, जिन्हें सावन सोमवार कहा जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। मान्यता है कि इस दौरान व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि यह भक्तों को भगवान शिव की महिमा और उनकी कृपा से जुड़ी कहानियों को समझने में मदद करता है।

  • सावन माह का महत्व

सावन का महीना भगवान शिव के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कई कारणों से यह महीना शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण है:

पार्वती की तपस्या: माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या और व्रत किए। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसीलिए अविवाहित लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए सावन में व्रत रखती हैं।

समुद्र मंथन और नीलकंठ: सावन में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था। इस विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने शिवलिंग पर जल चढ़ाया, जिससे सावन में जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई।

शिव का धरती पर आगमन: मान्यता है कि सावन में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, और संसार की देखभाल भगवान शिव करते हैं। इस दौरान उनकी पूजा से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

श्रावण नक्षत्र: सावन का नाम श्रावण नक्षत्र से लिया गया है, जो इस महीने की पूर्णिमा पर होता है। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने बताया कि यह महीना उनकी कृपा और सिद्धि प्रदान करने वाला है।

सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हुई और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ होगा। इस दौरान पांच सोमवार (14, 21, 28 जुलाई, 4 और 9 अगस्त) पड़ रहे हैं, जो शिव भक्ति के लिए विशेष अवसर हैं।

सावन सोमवार व्रत कथा

सावन सोमवार व्रत कथा भगवान शिव की कृपा और भक्ति की महिमा को दर्शाती है। यह कथा भक्तों को प्रेरित करती है और उनके मन में श्रद्धा जगाती है। नीचे एक प्रचलित कथा दी गई है:

  • कथा

प्राचीन काल में विदर्भ देश के अमरावती नामक नगर में एक धनवान साहूकार रहता था। उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन वह संतान सुख से वंचित था। वह और उसकी पत्नी भगवान शिव के परम भक्त थे और हर सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग की पूजा करते थे। उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शिव ने साहूकार के सपने में दर्शन दिए और कहा, "तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। तुम्हें जल्द ही एक पुत्र की प्राप्ति होगी, लेकिन वह अल्पायु होगा।"

कुछ समय बाद साहूकार के घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। साहूकार और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए, लेकिन उन्हें भगवान शिव की बात याद थी। उन्होंने अपने पुत्र का पालन-पोषण बड़े प्रेम से किया और उसे शिव भक्ति सिखाई। जब वह सोलह वर्ष का हुआ, तो साहूकार ने उसे काशी भेज दिया, जहां वह शिव मंदिर में पूजा करता और गरीबों की सेवा करता। एक दिन, भगवान शिव और माता पार्वती ने साहूकार के पुत्र की भक्ति की परीक्षा लेने का विचार किया। उन्होंने एक साधु का रूप धरा और उससे मिलने आए। साहूकार के पुत्र ने साधु का आदर किया और उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी।

भगवान शिव उसकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। साहूकार का पुत्र स्वस्थ और सुखी जीवन जीने लगा। जब यह बात साहूकार और उसकी पत्नी को पता चली, तो वे आनंदित हो उठे और भगवान शिव की भक्ति में और अधिक लीन हो गए। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से भगवान शिव अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

  • सावन सोमवार व्रत की पूजा विधि

सावन सोमवार व्रत और पूजा की सही विधि का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। नीचे पूजा की विधि दी गई है:

प्रातः स्नान और संकल्प: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प में भगवान शिव से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।

पूजा स्थान की तैयारी: घर या मंदिर में पूजा स्थान को साफ करें। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक चौकी पर शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।

जलाभिषेक और पंचामृत: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं।

पूजा सामग्री: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, और चंदन का तिलक अर्पित करें। सफेद चंदन से त्रिपुंड (तीन रेखाएं) बनाएं।

मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र ("ॐ त्र्यम्बकं यजामहे...") का जाप भी शुभ माना जाता है।

व्रत कथा और आरती: सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद शिव चालीसा और शिव आरती करें। पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद फल, मिठाई, या सात्विक भोजन का प्रसाद बांटें।

  • सावन व्रत के नियम

सावन सोमवार व्रत का पूर्ण लाभ पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है:

सात्विक भोजन: व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें। प्याज, लहसुन, मांस, मछली, और मसालेदार भोजन से बचें। सेंधा नमक का उपयोग करें।

नियम-संयम: झूठ बोलने, बुराई करने, और किसी के साथ गलत व्यवहार से बचें।

निराहार या एक समय भोजन: व्रत में सूर्यास्त तक निराहार रहें या एक समय सात्विक भोजन करें। अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें।

स्वच्छता: पूजा और व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वच्छता बनाए रखें।

स्वास्थ्य का ध्यान: यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो व्रत के कठिन नियमों का पालन करने से बचें।

सावन व्रत और पूजा के लाभ

सावन सोमवार व्रत और पूजा के कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ हैं:

मनोकामना पूर्ति: भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से मनचाहा जीवनसाथी, संतान सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।

मानसिक शांति: व्रत और मंत्र जाप से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।

दोष निवारण: कालसर्प दोष और अन्य ज्योतिषीय समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

स्वास्थ्य लाभ: सात्विक जीवनशैली और व्रत से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का अनमोल अवसर है। सावन सोमवार व्रत और कथा का पाठ न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि भी लाता है। सच्ची श्रद्धा और सही विधि से व्रत और पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। इस सावन, शिव भक्ति में लीन होकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करें और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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