14 अगस्त 2025- भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर, शहरों में मामूली बदलाव।
Today Petrol prices: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया, क्योंकि तेल विपणन कंपनियां (OMCs) जैसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन....
14 अगस्त 2025 को भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया, क्योंकि तेल विपणन कंपनियां (OMCs) जैसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) हर दिन सुबह 6 बजे ईंधन की कीमतों को अपडेट करती हैं। ये कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों और रुपये-डॉलर की विनिमय दर पर निर्भर करती हैं। मई 2022 के बाद से, केंद्र और कई राज्य सरकारों द्वारा टैक्स में कटौती के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें तुलनात्मक रूप से स्थिर रही हैं। हालांकि, कुछ शहरों में मामूली बदलाव देखे गए, जो स्थानीय करों और परिवहन लागत के कारण हो सकते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.67 रुपये प्रति लीटर थी। दिल्ली में कीमतें अन्य मेट्रो शहरों की तुलना में अपेक्षाकृत कम हैं, क्योंकि यहां वैट और अन्य स्थानीय कर तुलनात्मक रूप से कम हैं। मुंबई, जो भारत की आर्थिक राजधानी है, में पेट्रोल की कीमत 103.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.03 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई। मुंबई में ईंधन की कीमतें हमेशा से दिल्ली की तुलना में अधिक रही हैं, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगाए गए वैट और अन्य शुल्क अधिक हैं। कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 92.02 रुपये प्रति लीटर थी। चेन्नई में पेट्रोल 100.80 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.39 रुपये प्रति लीटर के भाव से उपलब्ध था। इन मेट्रो शहरों में कीमतों का यह अंतर मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए करों और परिवहन लागतों के कारण है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी कीमतों में मामूली बदलाव देखा गया। लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 94.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.98 रुपये प्रति लीटर थी। कानपुर में पेट्रोल 94.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.80 रुपये प्रति लीटर था। आगरा में पेट्रोल की कीमत 94.65 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.75 रुपये प्रति लीटर थी। बरेली में पेट्रोल 94.68 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.78 रुपये प्रति लीटर के भाव से बिका। उत्तर प्रदेश में कीमतें दिल्ली के आसपास ही रही हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने वैट को नियंत्रित रखा है। हालांकि, कुछ शहरों में परिवहन लागत और स्थानीय करों के कारण मामूली अंतर देखा गया। पुणे, जो महाराष्ट्र का एक प्रमुख शहर है, में पेट्रोल की कीमत 103.45 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.00 रुपये प्रति लीटर थी। यह मुंबई के समान ही है, क्योंकि दोनों शहर एक ही राज्य में हैं और वैट की दरें समान हैं। तमिलनाडु के अन्य हिस्सों में, विशेष रूप से चेन्नई के बाहर, पेट्रोल की कीमतें 100.50 से 101.00 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 92.00 से 92.50 रुपये प्रति लीटर के बीच थीं। असम में, जहां परिवहन लागत अधिक है, गुवाहाटी में पेट्रोल 98.60 रुपये प्रति लीटर और डीजल 90.20 रुपये प्रति लीटर था। मध्य प्रदेश में, भोपाल में पेट्रोल 107.23 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.45 रुपये प्रति लीटर था, जो उच्च वैट दरों के कारण देश के सबसे महंगे शहरों में से एक है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें हाल के महीनों में 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल के बीच स्थिर रही हैं, जिसका असर भारत में ईंधन की कीमतों पर पड़ा है। ब्रेंट क्रूड, जो भारत के लिए एक प्रमुख बेंचमार्क है, 14 अगस्त 2025 को लगभग 72.50 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। रुपये-डॉलर की विनिमय दर भी 83.50 के आसपास स्थिर थी, जिसने कीमतों को और स्थिर रखने में मदद की। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव या आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की स्थिति में कीमतें बढ़ सकती हैं। उदाहरण के लिए, मध्य पूर्व में तनाव या ओपेक+ के उत्पादन में कटौती की घोषणा से कच्चे तेल की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। भारत में ईंधन की कीमतें न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती हैं, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए करों पर भी। केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.80 रुपये प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क वसूलती है। इसके अलावा, राज्य सरकारें वैट और अन्य स्थानीय कर लगाती हैं, जो कीमतों में अंतर का मुख्य कारण हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में वैट की दरें 30% से अधिक हैं, जबकि दिल्ली में यह 19.40% (पेट्रोल) और 16.75% (डीजल) है। इन करों के कारण ही मुंबई और भोपाल जैसे शहरों में ईंधन की कीमतें दिल्ली की तुलना में अधिक हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों का असर आम जनता पर सीधे तौर पर पड़ता है। उच्च ईंधन कीमतें परिवहन लागत को बढ़ाती हैं, जिसका असर खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है। विशेष रूप से, ट्रक और बस ऑपरेटरों पर डीजल की कीमतों का सीधा असर पड़ता है, क्योंकि यह उनके परिचालन लागत का एक बड़ा हिस्सा है। इसके अलावा, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए भी ईंधन की कीमतें उनकी आय को प्रभावित करती हैं। 14 अगस्त 2025 को, कई शहरों में ऑटो-रिक्शा चालकों ने बताया कि स्थिर कीमतों के कारण उनकी आय में कुछ राहत है, लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार वैट को और कम करे ताकि उनकी लागत और कम हो सके।
दूसरी ओर, उपभोक्ता भी वैकल्पिक ईंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख कर रहे हैं। सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को प्रोत्साहन देने और चार्जिंग स्टेशनों के विस्तार के कारण, विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई, और पुणे जैसे शहरों में EV की बिक्री में वृद्धि हुई है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता अधिक है, क्योंकि वहां चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी विकसित नहीं हुआ है। तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने EV नीतियों को बढ़ावा दिया है, लेकिन छोटे शहरों जैसे बरेली, आगरा, और कानपुर में अभी भी पारंपरिक ईंधन वाहनों का प्रभुत्व है। भारत को दीर्घकालिक रूप से ईंधन की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता भी कम होगी। भारत वर्तमान में अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 85% आयात करता है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
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