राजनाथ सिंह का कड़ा संदेश- ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना की ताकत से पाकिस्तान के चार टुकड़े हो सकते थे, न्यूक्लियर धमकियों से नहीं डरेगा भारत।
गोवा में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर एक सशक्त बयान....

राजनीति: गोवा में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर एक सशक्त बयान दिया। उन्होंने कहा, "1971 इसका गवाह है कि जब भारतीय नौसेना हरकत में आई थी, तो पाकिस्तान एक से दो टुकड़ों में बंट गया था। अगर ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना अपने पूरे जोश में शामिल होती, तो पाकिस्तान के दो नहीं, शायद चार टुकड़े हो जाते।" यह बयान हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" के संदर्भ में आया। सिंह ने यह भी दोहराया कि भारत किसी भी परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकेगा।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मौत ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया। भारत ने इस हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में, 7 मई 2025 को भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर 25 मिनट में 24 सटीक मिसाइल हमले किए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें 2002 के डेनियल पर्ल हत्याकांड में शामिल अब्दुल रऊफ अजहर और आईसी-814 अपहरण के अपराधी यूसुफ अजहर शामिल थे।
पाकिस्तान ने इन हमलों को "युद्ध की कार्रवाई" करार देते हुए जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जो भारत की S-400 और पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिए। 10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद युद्धविराम हुआ। 30 मई को गोवा में आईएनएस विक्रांत पर अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना की रणनीतिक ताकत की सराहना की। उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने अपनी चुप्पी से हर भारतीय को प्रभावित किया। चुप रहकर भी नौसेना ने पाकिस्तानी सेना को बोतल में बंद कर दिया।" उन्होंने चेतावनी दी, "अगर पाकिस्तान ने फिर कोई गलत हरकत की, तो इस बार नौसेना भी पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी, और फिर भगवान ही जानता है कि पाकिस्तान का क्या होगा।"
ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना की भूमिका रणनीतिक निगरानी और समुद्री प्रभुत्व तक सीमित थी। सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में नौसेना की कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) ने मिग-29के फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टरों के साथ अरब सागर में निगरानी की। इसने पाकिस्तानी नौसेना को उनके बंदरगाहों तक सीमित रखा और मकरान तट से किसी भी हवाई हमले को रोका। नौसेना ने दिन-रात उड़ानें (सॉर्टीज) आयोजित कीं, जिससे भारत की समुद्री रक्षा और मिसाइल-रोधी क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला कर पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नौसेना ऑपरेशन सिंदूर में सक्रिय रूप से शामिल होती, तो पाकिस्तान को और भारी नुकसान उठाना पड़ता। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद परमाणु युद्ध की धमकी दी थी। इसके जवाब में, राजनाथ सिंह ने 15 मई को श्रीनगर में कहा, "हम परमाणु ब्लैकमेल के आगे कभी नहीं झुकेंगे। दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान ने कितने गैर-जिम्मेदार तरीके से भारत को धमकी दी। क्या ऐसी दुष्ट और गैर-जिम्मेदार सरकार के पास परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मैं दुनिया से पूछता हूं कि इन हथियारों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लाना चाहिए।"
भारत की परमाणु नीति "नो फर्स्ट यूज" पर आधारित है, जिसके तहत भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन हमले की स्थिति में उसका जवाब विनाशकारी होगा। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, भारत के पास 172 परमाणु हथियार हैं, और उसकी न्यूक्लियर ट्रायड में अग्नि मिसाइलें, आईएनएस अरिघात पनडुब्बी, और राफेल विमान शामिल हैं। S-400 और पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर भारत की रक्षा क्षमता को साबित किया। रूस ने 30 मई को उन खबरों को खारिज किया, जिनमें दावा किया गया था कि वह पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध बढ़ा रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, "पाकिस्तान भारत के साथ हमारे विशेष रणनीतिक साझेदारी को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन रूस-भारत संबंध अटूट हैं।" रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 5 मई को प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर पहलगाम हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन किया।
रूस और भारत के बीच 2024 में व्यापार 66 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, और रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम भारत में छह परमाणु रिएक्टर बना रही है, और दोनों देश ब्रह्मोस मिसाइल जैसे रक्षा सहयोग को बढ़ा रहे हैं। राजनाथ सिंह के बयान ने सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन हासिल किया। @ANI ने 30 मई को पोस्ट किया, "पाकिस्तान को पता है कि जब भारतीय नौसेना पूर्ण ताकत से उतरती है, तो क्या होता है। 1971 इसका गवाह है।" @news24tvchannel ने लिखा, "पाकिस्तान के दो नहीं, चार टुकड़े हो गए होते।" @ZeeNews ने सिंह के बयान को उद्धृत करते हुए कहा, "ऑपरेशन सिंदूर ने न्याय दिलाया।" विपक्षी नेताओं ने भी ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया। राहुल गांधी ने 7 मई को कहा, "हमारी सेना पर गर्व है।"
हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से रणनीति में पारदर्शिता की मांग की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 10 मई को दावा किया कि उनकी मध्यस्थता ने भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध रोका। भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि युद्धविराम द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि 10 मई को डीजीएमओ स्तर की बातचीत से युद्धविराम हुआ। भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक रुख अपनाया। 33 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने 26 मई को जर्मन अखबार को बताया, "पश्चिमी देश दक्षिण एशिया की हर घटना को परमाणु संकट से जोड़ते हैं, जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है।" राजनाथ सिंह का आईएनएस विक्रांत पर दिया गया बयान भारत की सैन्य ताकत, विशेष रूप से नौसेना की रणनीतिक क्षमता, और परमाणु धमकियों के प्रति अटल रुख को दर्शाता है।
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