नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: 18 लोगों की मौत हुयी थी, रेलमंत्री ने संसद में साझा की हादसे की जानकारी।
UP News: 15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई एक दुखद भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई और 15 लोग घायल हो गए ....
UP News: 15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई एक दुखद भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई और 15 लोग घायल हो गए थे। यह हादसा प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के लिए यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच हुआ था। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने 1 अगस्त 2025 को राज्यसभा में इस घटना के कारणों और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उनके अनुसार, हादसे की शुरुआत एक यात्री के सिर से भारी सामान गिरने से हुई, जिससे फुट ओवरब्रिज पर अफरातफरी मच गई।
प्रयागराज में 14 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु संगम तट पर स्नान करने पहुंचे। 15 फरवरी को, मौनी अमावस्या के बाद, भारी संख्या में लोग प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जमा हुए। इस दिन स्टेशन पर सामान्य से 13,000 अधिक टिकट बिके, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। रात 8:15 बजे के बाद, प्लेटफॉर्म 14 और 15 को जोड़ने वाले फुट ओवरब्रिज (एफओबी) पर यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ गई। इसी दौरान एक यात्री के सिर से भारी सामान गिर गया, जिससे लोग सीढ़ियों पर फिसल गए और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 18 लोग मारे गए, जिनमें 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे शामिल थे। मृतकों में 9 बिहार, 8 दिल्ली और 1 हरियाणा के निवासी थे।
15 फरवरी 2025 की रात करीब 9:26 बजे, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर प्रयागराज एक्सप्रेस और कुंभ स्पेशल ट्रेनों का इंतजार कर रहे यात्रियों की भीड़ ने हालात को बेकाबू कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्लेटफॉर्म 14 पर पहले से ही भारी भीड़ थी, और जब रेलवे ने प्लेटफॉर्म 16 से एक अतिरिक्त कुंभ स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की, तो लोग फुट ओवरब्रिज के रास्ते उस ओर दौड़े। इसी दौरान एक यात्री का भारी बैग सीढ़ियों पर गिर गया, जिससे कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। भीड़ के दबाव और अफरातफरी में कई लोगों का दम घुट गया, और कुछ सीढ़ियों पर कुचल गए।
प्रत्यक्षदर्शी पप्पू गुप्ता, जिन्होंने अपनी मां को इस हादसे में खो दिया, ने बताया, "हम बिहार के छपरा से महाकुंभ के लिए जा रहे थे। भीड़ इतनी थी कि हम प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंच पाए। मेरी मां दब गईं और उनकी मौत हो गई।" एक अन्य यात्री, धर्मेंद्र सिंह, ने कहा कि कई ट्रेनें देरी से चल रही थीं, जिससे लोग अधीर हो गए और अफरातफरी मच गई।
- रेलवे और पुलिस की प्रतिक्रिया
हादसे के तुरंत बाद, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और दिल्ली पुलिस ने घायलों को लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) और लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती कराया। रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर (9873617028, 011-23501207) जारी किए। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आरपीएफ और पुलिस की मौजूदगी कम थी, और भीड़ को नियंत्रित करने में देरी हुई। एक कुली, कृष्ण कुमार जोगी, ने कहा, "मैंने 15 शवों को हाथगाड़ी पर ले जाया। भीड़ इतनी थी कि सांस लेना मुश्किल था।"
रेलवे के प्रवक्ता ने शुरू में भगदड़ की बात से इनकार किया और कहा कि स्थिति नियंत्रण में थी। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने हादसे पर दुख जताया, तब रेलवे ने भगदड़ की पुष्टि की। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने 15 फरवरी की रात 11:36 बजे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चार अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की और कहा कि भीड़ कम हो गई है।
- रेलमंत्री का संसद में बयान
1 अगस्त 2025 को राज्यसभा में, समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के सवाल के जवाब में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे की जानकारी दी। उन्होंने कहा, "15 फरवरी को रात 8:15 बजे के बाद फुट ओवरब्रिज पर भीड़ बढ़ गई। एक यात्री के सिर से भारी सामान गिरने से लोग सीढ़ियों पर फिसल गए, जिससे भगदड़ मच गई।" उन्होंने बताया कि सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये और सामान्य घायलों को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया। कुल 2.01 करोड़ रुपये का भुगतान 33 पीड़ितों और उनके परिवारों को किया गया।
वैष्णव ने यह भी कहा कि उस दिन स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त इंतजाम थे, लेकिन अचानक बढ़ी भीड़ ने स्थिति को बेकाबू कर दिया। उन्होंने उच्च-स्तरीय जांच समिति के गठन की बात कही, जो हादसे के कारणों की जांच कर रही है। हालांकि, उन्होंने "भगदड़" शब्द का उपयोग करने से परहेज किया, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए।
रेल मंत्रालय ने दो वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाई, जो हादसे की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर भीड़ का दबाव बढ़ने और ट्रेनों की देरी ने स्थिति को और खराब किया। कुछ यात्रियों का दावा था कि प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा से भ्रम पैदा हुआ, लेकिन उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने इससे इनकार किया।
हादसे ने कई सवाल खड़े किए। पहला, क्या रेलवे को महाकुंभ के दौरान बढ़ने वाली भीड़ का अनुमान नहीं था? दूसरा, आरपीएफ और जीआरपी की तैनाती इतनी कम क्यों थी? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्लेटफॉर्म 14 पर केवल एक या दो जवान थे। तीसरा, ट्रेनों की देरी और प्लेटफॉर्म प्रबंधन में कमी ने स्थिति को और बिगाड़ा।
इस हादसे ने देशभर में शोक की लहर दौड़ा दी। सोशल मीडिया पर लोगों ने रेलवे की लापरवाही पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, "महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के लिए रेलवे को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी।" विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, ने सरकार पर निशाना साधा। सांसद रामजी लाल सुमन ने पूछा कि इतनी बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है।
यह हादसा महाकुंभ के दौरान दूसरी बड़ी भगदड़ थी। इससे पहले, 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में 30 लोगों की मौत हुई थी। इन घटनाओं ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए।
हादसे में मारे गए लोगों में पिंकी शर्मा, दिल्ली के संगम विहार की निवासी, भी थीं। उनके रिश्तेदार पिंटू शर्मा ने बताया कि 15 सदस्यों का उनका परिवार महाकुंभ के लिए जा रहा था। पिंकी की 13 साल की बेटी और 10 साल का बेटा भी साथ थे। एक अन्य पीड़ित, पप्पू गुप्ता की मां, बिहार के छपरा की रहने वाली थीं। इन कहानियों ने हादसे की त्रासदी को और गहरा कर दिया।
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