UP News: इटली में 'योगी मॉडल' की गूंज- सीनेट ने अपराधियों की संपत्ति पर बुलडोजर और प्रदर्शनों पर कठोर कानून को दी मंजूरी। 

इटली की सीनेट ने 5 जून 2025 को 109-69 के मत से 'सुरक्षा डिक्री' को मंजूरी दी, जिसमें एक मत तटस्थ रहा। यह विधेयक मेलोनी की दक्षिणपंथी ...

Jun 6, 2025 - 10:45
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UP News: इटली में 'योगी मॉडल' की गूंज- सीनेट ने अपराधियों की संपत्ति पर बुलडोजर और प्रदर्शनों पर कठोर कानून को दी मंजूरी। 

इटली की सीनेट ने एक विवादास्पद सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दी, जिसे कई लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'योगी मॉडल' से प्रेरित मान रहे हैं। इस विधेयक में अपराधियों और माफियाओं की संपत्तियों को ध्वस्त करने, प्रदर्शनों पर कठोर नियंत्रण, और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक अधिकार देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार ने इस विधेयक को 'सुरक्षित इटली' के अपने वादे के तहत लागू किया है। हालांकि, इस कानून की तुलना उत्तर प्रदेश में अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की नीति से की जा रही है, जिसे योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर लागू किया। इस विधेयक को लेकर इटली में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, और मानवाधिकार संगठनों ने इसे नागरिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।

  • इटली के सुरक्षा विधेयक

इटली की सीनेट ने 5 जून 2025 को 109-69 के मत से 'सुरक्षा डिक्री' को मंजूरी दी, जिसमें एक मत तटस्थ रहा। यह विधेयक मेलोनी की दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार द्वारा प्रस्तावित था, जिसमें ब्रदर्स ऑफ इटली, लीग, और फोर्जा इटालिया जैसे दल शामिल हैं। यह डिक्री सड़क अवरोध, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, और अन्य प्रदर्शनकारी गतिविधियों को अपराध घोषित करता है, जिसमें दो साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, यह पुलिस और सेना के अधिकारियों को ड्यूटी के दौरान आपराधिक जांच या मुकदमों में 10,000 यूरो (लगभग 11,385 डॉलर) तक की कानूनी सहायता प्रदान करता है।

इस विधेयक में एक उल्लेखनीय प्रावधान अपराधियों, विशेष रूप से संगठित अपराध और माफिया से जुड़े लोगों की संपत्तियों को जब्त करने और ध्वस्त करने का है। इसे उत्तर प्रदेश के 'योगी मॉडल' से प्रेरित माना जा रहा है, जहां योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 से माफियाओं और अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाकर सुर्खियां बटोरीं। भारतीय संदर्भ में, इस नीति ने संगठित अपराध को कम करने में मदद की, और इटली में भी मेलोनी सरकार इसे माफिया के खिलाफ एक प्रभावी हथियार के रूप में देख रही है।

  • 'योगी मॉडल' और इटली का कनेक्शन

उत्तर प्रदेश में 'योगी मॉडल' संगठित अपराध और माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई का पर्याय बन गया है। 2017 से 2025 तक, उत्तर प्रदेश सरकार ने माफिया और अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त करने और ध्वस्त करने की नीति अपनाई, जिसके तहत हजारों करोड़ रुपये की संपत्तियां नष्ट की गईं। इस नीति को योगी आदित्यनाथ ने 'अपराधियों के लिए शून्य सहिष्णुता' के रूप में प्रचारित किया, जिसे भारत में व्यापक समर्थन मिला, हालांकि कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इसे 'अतिरिक्त-न्यायिक' कार्रवाई करार दिया।

इटली में माफिया, विशेष रूप से सिसिली की 'कोसा नोस्ट्रा' और कैलाब्रिया की 'नद्रंगेटा', दशकों से संगठित अपराध का पर्याय रही हैं। इन संगठनों का प्रभाव अर्थव्यवस्था, राजनीति, और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है। मेलोनी सरकार ने इस विधेयक के जरिए माफिया की संपत्तियों को लक्षित करने की योजना बनाई है, जिसे भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर 'योगी मॉडल' से प्रेरित बताया जा रहा है। @ZeeNews ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “अब इटली में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर गुंडों, अपराधियों और माफियाओं की संपत्तियों पर बुलडोजर का कहर बरपाया जाएगा। इस आइडिया का श्रेय भारत में योगी सरकार को दिया जाता है।”

हालांकि, यह दावा पूरी तरह सटीक नहीं है। इटली में माफिया की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया पहले से मौजूद थी, और 1990 के दशक में एंटी-माफिया कानूनों ने इसे और मजबूत किया था। फिर भी, मेलोनी के नए विधेयक में संपत्ति ध्वस्त करने का प्रावधान और इसकी तुलना 'योगी मॉडल' से करना इसे एक नया आयाम देता है। यह प्रावधान माफिया के आर्थिक आधार को कमजोर करने और उनके प्रभाव को खत्म करने के लिए बनाया गया है।

  • विवाद और मानवाधिकार संगठनों की चिंताएं

इस विधेयक को इटली में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा। सीनेट में मतदान के दौरान विपक्षी सांसदों ने “शर्म, शर्म” के नारे लगाए, और सत्र को अस्थायी रूप से निलंबित करना पड़ा। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर फ्रांसेस्को बोच्चिया ने कहा, “हम उस सरकार का विरोध करते हैं जो बच्चों, हड़ताली छात्रों, और कारखानों के बाहर प्रदर्शनकारियों को जेल में डालना चाहती है।” एमनेस्टी इंटरनेशनल के रिकार्डो नूरी ने इसे “नागरिक स्वतंत्रता को सीमित करने वाला” कदम बताया, जिसमें “सुरक्षा के नाम पर अधिकारों का बलिदान” किया जा रहा है।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह विधेयक शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को दबाने और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए बनाया गया है। उदाहरण के लिए, इटली में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रदर्शनकारी, जो अक्सर सड़कों को अवरुद्ध करते हैं या स्मारकों पर पेंट फेंकते हैं, अब दो साल तक की जेल का सामना कर सकते हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं या नवजात शिशुओं वाली माताओं के लिए जेल से छूट को समाप्त करने का प्रावधान भी विवादास्पद है। मेलोनी के ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के सीनेटर जियानी बेरीनो ने कहा, “जो महिलाएं चोरी करने के लिए बच्चों का उपयोग करती हैं, वे मां बनने के योग्य नहीं हैं।”

  • मेलोनी सरकार का एजेंडा और 'योगी मॉडल' की प्रासंगिकता

जॉर्जिया मेलोनी, जो 2022 में इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, अपनी दक्षिणपंथी नीतियों के लिए जानी जाती हैं। उनकी सरकार ने कानून-व्यवस्था, आप्रवास नियंत्रण, और संगठित अपराध के खिलाफ सख्ती को प्राथमिकता दी है। मेलोनी ने इस विधेयक को “नागरिकों, कमजोर समूहों, और वर्दीधारी जवानों की सुरक्षा को मजबूत करने वाला” बताया। उनकी सरकार ने पहले भी माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, जैसे कि 2023 में कुख्यात माफिया सरगना माटेओ मेसिना डेनारो की गिरफ्तारी।

'योगी मॉडल' की तुलना इसलिए की जा रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में अपराधियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की नीति ने माफियाओं के खिलाफ प्रभावी परिणाम दिए। उदाहरण के लिए, यूपी में माफिया डॉन अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों की अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ढहाया गया, जिससे अपराध पर अंकुश लगा। मेलोनी सरकार भी इसी तरह माफिया के आर्थिक ढांचे को तोड़ने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इटली में संपत्ति ध्वस्त करने की प्रक्रिया को कानूनी ढांचे के तहत और अधिक नियंत्रित तरीके से लागू किया जाएगा, जो यूपी के मॉडल से भिन्न हो सकता है। इस विधेयक ने इटली में राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है।

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मेलोनी की सरकार का मानना है कि यह कानून माफिया और संगठित अपराध के खिलाफ एक मजबूत हथियार होगा, साथ ही सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करेगा। हालांकि, विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह कानून शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और नागरिक स्वतंत्रता को दबाने का औजार बन सकता है। लौरा बोल्ड्रिनी, डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व स्पीकर, ने इसे “लोकतंत्र से हंगरी के ऑर्बन मॉडल की ओर बढ़ता कदम” बताया। इसके अलावा, मेलोनी की सरकार द्वारा प्रस्तावित संवैधानिक सुधार, जिसमें प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष चुनाव और संसद में बहुमत बोनस शामिल है, भी विवाद का विषय है। यह सुधार मेलोनी को और अधिक शक्ति प्रदान कर सकता है, जिसे कुछ लोग 'मुसोलिनी की 1923 की असेर्बो लॉ' से तुलना कर रहे हैं, जिसने फासीवादी शासन की नींव रखी थी। इस संदर्भ में, 'योगी मॉडल' की तुलना ने मेलोनी के दक्षिणपंथी एजेंडे को और अधिक रेखांकित किया है।

भारत में इस खबर ने व्यापक ध्यान खींचा है, खासकर सोशल मीडिया पर। @OpIndia_in ने लिखा, “इटली में अब योगी मॉडल लागू होगा। माफियाओं की संपत्ति पर बुलडोजर चलेगा।” कई यूजर्स ने इसे भारत की वैश्विक प्रभावशीलता का प्रतीक बताया। हालांकि, यह तुलना कुछ हद तक अतिशयोक्तिपूर्ण है, क्योंकि इटली का कानूनी ढांचा और सामाजिक संदर्भ भारत से भिन्न है। फिर भी, यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि 'योगी मॉडल' ने वैश्विक स्तर पर चर्चा को प्रेरित किया। इटली की सीनेट द्वारा मंजूर सुरक्षा विधेयक माफिया और संगठित अपराध के खिलाफ एक सख्त कदम है, जिसे उत्तर प्रदेश के 'योगी मॉडल' से प्रेरित माना जा रहा है। यह विधेयक अपराधियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने और प्रदर्शनों पर नियंत्रण के जरिए कानून-व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास है।

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