Trending News: शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के खिलाफ अमेरिका में भारतीय समुदाय का विरोध प्रदर्शन- स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर बहस। 

22 वर्षीय पुणे की विधि छात्रा और सोशल मीडिया प्रभावशाली शर्मिष्ठा पनोली की 31 मई, 2025 को कोलकाता पुलिस द्वारा गुरुग्राम से गिरफ्तारी...

Jun 3, 2025 - 12:05
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Trending News: शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के खिलाफ अमेरिका में भारतीय समुदाय का विरोध प्रदर्शन- स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर बहस। 

22 वर्षीय पुणे की विधि छात्रा और सोशल मीडिया प्रभावशाली शर्मिष्ठा पनोली की 31 मई, 2025 को कोलकाता पुलिस द्वारा गुरुग्राम से गिरफ्तारी ने भारत और विदेशों में व्यापक विवाद को जन्म दिया है। शर्मिष्ठा पर उनके एक अब हटाए गए इंस्टाग्राम वीडियो में कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने का आरोप है, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर कुछ बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी की आलोचना की थी। इस गिरफ्तारी के बाद, अमेरिका में भारतीय समुदाय ने शर्मिष्ठा की रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किए, जिससे स्वतंत्र अभिव्यक्ति, धार्मिक संवेदनशीलता, और डिजिटल युग में जवाबदेही के मुद्दों पर एक गहन बहस छिड़ गई है। यह लेख इस मामले के तथ्यों, विरोध प्रदर्शनों, और इसके व्यापक प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

  • शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी

शर्मिष्ठा पनोली, पुणे की सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष की बीबीए एलएलबी ऑनर्स की छात्रा, एक लोकप्रिय सोशल मीडिया प्रभावशाली हैं, जिनके इंस्टाग्राम और एक्स पर क्रमशः 90,000 और 85,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। 14 मई, 2025 को, उन्होंने एक इंस्टाग्राम वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर—पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर भारत की सैन्य कार्रवाई—पर कुछ बॉलीवुड हस्तियों, विशेष रूप से मुस्लिम सितारों की चुप्पी की आलोचना की। वीडियो में कथित तौर पर अपमानजनक और सांप्रदायिक टिप्पणियां शामिल थीं, जिनमें उन्होंने एक पाकिस्तानी यूजर के सवाल का जवाब देते हुए पैगंबर मुहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की और बॉलीवुड अभिनेता रणवीर अल्लाहबादिया की आलोचना की। इस वीडियो के वायरल होने के बाद, इसे व्यापक आलोचना और धमकियों का सामना करना पड़ा। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने वीडियो को एक्स पर साझा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री को टैग किया और शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी की मांग की, यह दावा करते हुए कि इसने इस्लाम का अपमान किया और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दिया। 15 मई को, शर्मिष्ठा ने वीडियो हटा दिया और एक्स पर एक बिना शर्त माफी जारी की, जिसमें कहा गया, “मैं इसके लिए बिना शर्त माफी मांगती हूं। जो कुछ भी मैंने कहा, वह मेरी व्यक्तिगत भावनाएं थीं और मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। अगर किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूं। मैं भविष्य में अपने सार्वजनिक पोस्ट में सावधानी बरतूंगी।”

हालांकि, कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में 15 मई को उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196(1)(ए) (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कार्य), 352 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान), और 353(1)(सी) (सार्वजनिक उपद्रव को उकसाना) के तहत आरोप लगाए गए। पुलिस के अनुसार, शर्मिष्ठा और उनके परिवार को कई बार नोटिस देने की कोशिश की गई, लेकिन वे “फरार” पाए गए। इसके बाद, कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया, और 30 मई को शर्मिष्ठा को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया गया। 31 मई को, उन्हें कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 13 जून तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

  • अमेरिका में भारतीय समुदाय का विरोध प्रदर्शन

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद, अमेरिका में भारतीय समुदाय के बीच उनकी रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर #ReleaseSharmistha और #IStandWithSharmistha जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, जिसमें कई लोगों ने दावा किया कि शर्मिष्ठा को उनकी राय व्यक्त करने के लिए निशाना बनाया गया। इन प्रदर्शनों में शामिल भारतीय समुदाय के सदस्यों ने तर्क दिया कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर हमला है और यह पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार की “तुष्टिकरण राजनीति” का परिणाम है। हालांकि, इन विरोध प्रदर्शनों की विशिष्ट जानकारी, जैसे कि स्थान, आयोजक, और प्रदर्शन की तारीख, प्रमुख समाचार आउटलेट्स द्वारा पूरी तरह से पुष्टि नहीं की गई है। कुछ एक्स पोस्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीय समुदाय ने अमेरिका में शर्मिष्ठा की रिहाई के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए, लेकिन इन दावों का समर्थन करने के लिए स्वतंत्र स्रोतों से साक्ष्य सीमित हैं। यह संभावना है कि ये प्रदर्शन प्रवासी भारतीयों के छोटे समूहों द्वारा आयोजित किए गए हों, जो सोशल मीडिया के माध्यम से संगठित हुए हों।

शर्मिष्ठा पनोली का मामला भारत में स्वतंत्र अभिव्यक्ति और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच तनाव को उजागर करता है। कोलकाता पुलिस ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी उनके राष्ट्रवादी विचारों या पाकिस्तान विरोधी टिप्पणियों के लिए नहीं, बल्कि एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। पुलिस ने कहा, “नफरत भरे भाषण और अपमानजनक भाषा को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए।”

इसके विपरीत, शर्मिष्ठा के समर्थकों, जिसमें बीजेपी नेता अमित मालवीय, शुवेंदु अधिकारी, और अभिनेत्री-राजनेता कंगना रनौत शामिल हैं, ने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी अत्यधिक थी, खासकर क्योंकि उन्होंने वीडियो हटा दिया और सार्वजनिक माफी मांग ली थी। मालवीय ने एक्स पर पोस्ट किया, “शर्मिष्ठा पनोली, केवल 22 वर्ष की, को एक वीडियो के लिए गिरफ्तार किया गया, जिसे उन्होंने पहले ही हटा दिया और सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली। उनके बयानों के बाद कोई सांप्रदायिक अशांति नहीं हुई।” कंगना रनौत ने कहा, “मैं सहमत हूं कि शर्मिष्ठा ने अपनी अभिव्यक्ति के लिए कुछ अप्रिय शब्दों का उपयोग किया, लेकिन ऐसे शब्द आजकल ज्यादातर युवा उपयोग करते हैं। उनकी माफी काफी होनी चाहिए।” आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने भी टीएमसी सरकार की आलोचना की, यह पूछते हुए कि जब टीएमसी नेताओं ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी की, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसके अलावा, डच सांसद गीर्ट विल्डर्स ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया, जब उन्होंने शर्मिष्ठा की रिहाई की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया और उनकी गिरफ्तारी को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए “अपमान” करार दिया।

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने भारत में डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नफरत भरे भाषण के बीच संतुलन पर बहस को और तेज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल मामले में डिजिटल स्पेस में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के दायरे को बढ़ाया था, लेकिन नफरत भरे भाषण की निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता पर भी जोर दिया था। फिर भी, इस मामले में कई लोगों ने चयनात्मक कानूनी कार्रवाई और पुलिस शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, “सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अंतरराज्यीय गिरफ्तारियां, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित न करे, पुलिस शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग है।”

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शर्मिष्ठा के वकील, मोहम्मद शमीमुद्दीन, ने तर्क दिया कि एक ही अपराध के लिए कई प्राथमिकियां दर्ज करना सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी दावा किया कि गिरफ्तारी से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया, जो बीएनएस की धारा 35(3) का उल्लंघन है। उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया, और वह वर्तमान में अलीपुर महिला सुधार गृह में हिरासत में हैं, जहां उनके वकील ने खराब स्वच्छता और स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि किडनी स्टोन, का हवाला देते हुए याचिका दायर की है।शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी और अमेरिका में भारतीय समुदाय के विरोध प्रदर्शन डिजिटल युग में स्वतंत्र अभिव्यक्ति, धार्मिक संवेदनशीलता, और कानूनी जवाबदेही के जटिल मुद्दों को उजागर करते हैं। हालांकि शर्मिष्ठा के वीडियो में अपमानजनक टिप्पणियां निश्चित रूप से आपत्तिजनक थीं, उनकी त्वरित माफी और वीडियो हटाने के बावजूद गिरफ्तारी ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह कार्रवाई अनुपात में थी।

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