Politics: SCO समिट में राजनाथ सिंह की दो टूक, जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर से इनकार, चीन-पाकिस्तान को सबके सामने धोया।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस...

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती से सामने रखा। उन्होंने 26 जून 2025 को चीन के क्विंगदाओ में आयोजित इस बैठक में प्रस्तावित संयुक्त बयान (जॉइंट स्टेटमेंट) पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया। इसका कारण था कि बयान में भारत द्वारा उठाए गए आतंकवाद, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद (क्रॉस-बॉर्डर टेरेरिज्म) के मुद्दे को शामिल नहीं किया गया, जबकि इसमें पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अशांति का उल्लेख था। इस कदम ने न केवल भारत के आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख को दर्शाया, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी रेखांकित किया।
- SCO समिट
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना 2001 में क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इस संगठन में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस जैसे दस सदस्य देश शामिल हैं। क्विंगदाओ में आयोजित इस बैठक में रक्षा मंत्रियों ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। हालांकि, भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके विपरीत, बयान में बलूचिस्तान में अशांति का उल्लेख था, जिसे भारत ने पाकिस्तान और चीन द्वारा भारत को बदनाम करने की कोशिश के रूप में देखा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में बिना किसी लाग-लपेट के कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।” यह बयान स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करता था, जिसे भारत लंबे समय से आतंकवादी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM), को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।
- पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में पहलगाम आतंकी हमले का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की मौत हुई थी। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। सिंह ने कहा कि इस हमले में पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया, जो लश्कर के पुराने हमलों की शैली से मेल खाता है।
इसके जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया और 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन ने भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक तनावपूर्ण सैन्य टकराव को जन्म दिया, जो 10 मई को दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद समाप्त हुआ। राजनाथ सिंह ने SCO समिट में इस ऑपरेशन का बचाव करते हुए कहा, “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए यह कदम उठाया। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं, और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।”
- क्यों नहीं हुआ संयुक्त बयान?
SCO के नियमों के अनुसार, सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। भारत के हस्ताक्षर न करने के कारण इस बार रक्षा मंत्रियों की बैठक बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हुई, जो संगठन के इतिहास में एक असामान्य घटना थी। सूत्रों के अनुसार, चीन, जो 2025 में SCO की अध्यक्षता कर रहा है, और उसका ‘सदाबहार मित्र’ पाकिस्तान, संयुक्त बयान में आतंकवाद के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे। बयान में पहलगाम हमले का उल्लेख न होने और बलूचिस्तान में अशांति का जिक्र होने से भारत ने इसे अपनी स्थिति के खिलाफ माना।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “भारत चाहता था कि आतंकवाद पर उसकी चिंताओं को बयान में शामिल किया जाए, लेकिन यह एक विशेष देश के लिए स्वीकार्य नहीं था। इसलिए, बयान को अंतिम रूप नहीं दिया गया।” विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी राजनाथ सिंह के रुख का समर्थन करते हुए कहा, “SCO का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है। जब एक देश ने आतंकवाद का उल्लेख करने से इनकार किया, तो राजनाथ जी ने स्पष्ट कर दिया कि बिना इसके हम बयान पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।”
- पाकिस्तान और चीन की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान और चीन ने SCO मंच का उपयोग भारत को कूटनीतिक रूप से घेरने की कोशिश की। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में अशांति को भारत से जोड़ने की कोशिश की, जबकि पहलगाम हमले को बयान से हटाने का प्रयास किया। पाकिस्तान लंबे समय से भारत पर बलूचिस्तान में स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है, जिसे भारत ने हमेशा खारिज किया है। दूसरी ओर, भारत ने SCO सदस्य देशों के साथ खुफिया जानकारी और सैटेलाइट तस्वीरें साझा कीं, जो पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने और PoK में आतंकी ठिकानों को पनाह देने का सबूत देती थीं। चीन, जो SCO की मौजूदा अध्यक्षता कर रहा है, ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए बयान में आतंकवाद के खिलाफ कड़े शब्दों को शामिल करने से बचने की कोशिश की। यह भारत के लिए अस्वीकार्य था, क्योंकि यह न केवल पहलगाम हमले को नजरअंदाज करता था, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को भी कमजोर करता था।
- राजनाथ सिंह का संदेश
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा, “शांति और समृद्धि आतंकवाद और गैर-राज्य तत्वों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के साथ सह-अस्तित्व नहीं रख सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है।” उन्होंने SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (RATS) की भूमिका की सराहना की और 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी ‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने’ पर SCO के बयान को साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
सिंह ने यह भी कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए अपनी नीति में लगातार और दृढ़ रहा है। उन्होंने ड्रोन और अन्य तकनीकों के माध्यम से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की वकालत की।
- कूटनीतिक महत्व
राजनाथ सिंह के इस कदम का कूटनीतिक महत्व काफी बड़ा है। SCO एक ऐसा मंच है, जिसमें चीन और रूस का प्रभुत्व रहा है, और 2025 में चीन की अध्यक्षता ने इसे और अधिक प्रभावित किया। ऐसे में भारत का संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर न करना एक मजबूत संदेश देता है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही यह किसी बड़े मंच पर हो। यह कदम भारत की स्वायत्त विदेश नीति और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाने की कोशिश को भी दर्शाता है।
इसके अलावा, राजनाथ सिंह ने अपनी चीन यात्रा के दौरान चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी की, जिसमें भारत-चीन सैन्य हॉटलाइन को फिर से शुरू करने पर चर्चा हुई। यह बातचीत दोनों देशों के बीच सैन्य संचार को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम हो सकती है।
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। X पर कई यूजर्स ने राजनाथ सिंह के रुख की सराहना की और इसे भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत नीति का प्रतीक बताया। एक यूजर ने लिखा, “राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान के नापाक गठजोड़ को बता दिया कि आतंक के मुद्दे पर भारत कहीं भी समझौता नहीं करेगा।” हालांकि, कुछ पोस्ट्स में अतिशयोक्तिपूर्ण दावे भी किए गए, जिन्हें विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि नहीं मिली। राजनाथ सिंह का SCO समिट में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर न करने का फैसला भारत के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए सिंह ने न केवल पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि चीन के नेतृत्व वाले SCO में भारत की स्वतंत्र और मजबूत स्थिति को भी स्थापित किया। यह घटना भारत की कूटनीतिक रणनीति और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में उसकी भूमिका को और मजबूत करती है।
वैश्विक स्तर पर, भारत के इस कदम को आतंकवाद के खिलाफ उसकी सख्त नीति के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे SCO के भीतर सहमति बनाने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। फिर भी, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अडिग है।
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