बिहार में बाढ़ के बीच अनोखी शाद- गंगा की उफनती लहरों को चीर नाव से निकली बारात, दुल्हन की विदाई भी नाव से।
Bihar News: बिहार के भागलपुर और कटिहार जिले में गंगा नदी के उफान और बाढ़ के बेकाबू हालात के बीच एक अनोखी शादी की कहानी सामने आई। 29 जुलाई...
बिहार के भागलपुर और कटिहार जिले में गंगा नदी के उफान और बाढ़ के बेकाबू हालात के बीच एक अनोखी शादी की कहानी सामने आई। 29 जुलाई 2025 को दूल्हा देवमुनी यादव ने अपनी बारात को गंगा की तेज लहरों को चीरते हुए नाव से दुल्हन के घर तक पहुंचाया। बाढ़ ने सड़कों को जलमग्न कर दिया और रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन देवमुनी ने हार नहीं मानी। उन्होंने पैदल, ई-रिक्शा और फिर नाव का सहारा लेकर अपनी शादी को यादगार बना दिया। नाव से बारात के पहुंचने और दुल्हन की विदाई का दृश्य देख गांव वालों की आंखें नम हो गईं। यह घटना कटिहार के मनिहारी क्षेत्र की है, जहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, और लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर नाव से सफर करते हैं। इस शादी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने बिहार में बाढ़ की गंभीरता और लोगों की जिजीविषा को सामने ला दिया।
घटना मनिहारी के गंगा तट के पास बरारी प्रखंड के रामनगर गांव की है। दूल्हा देवमुनी यादव (उम्र 25 वर्ष) भागलपुर के सन्हौला प्रखंड के एक गांव का रहने वाला है। उसकी शादी कटिहार के मनिहारी क्षेत्र में बरारी प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव की रीता कुमारी (उम्र 22 वर्ष) से तय हुई थी। शादी की तारीख 29 जुलाई थी, और तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। लेकिन बाढ़ ने हालात को जटिल बना दिया। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 1.2 मीटर ऊपर था, और सड़कें पूरी तरह जलमग्न थीं। मनिहारी से लक्ष्मीपुर तक का रास्ता टूट चुका था, और सामान्य वाहनों से यात्रा असंभव थी।
देवमुनी और उनके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। बारात को लक्ष्मीपुर पहुंचाने के लिए उन्होंने पहले पैदल और ई-रिक्शा से मनिहारी गंगा घाट तक का सफर तय किया। वहां से 20 नावों का इंतजाम किया गया, जिसमें दूल्हा, बाराती और शादी का सामान सवार हुआ। गंगा की तेज धार और उफनती लहरों के बीच नाविकों ने कुशलता से नावों को लक्ष्मीपुर के पास किनारे तक पहुंचाया। सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय लोगों के वीडियो में सज-धज कर नाव से उतरते बारातियों का दृश्य बेहद भावुक करने वाला था। गांव की महिलाएं और बच्चे तट पर खड़े होकर बारात का स्वागत कर रहे थे, और कई लोगों की आंखें नम थीं।
शादी की रस्में लक्ष्मीपुर में पूरी हुईं। दुल्हन रीता कुमारी ने बताया कि उन्हें अंदाजा था कि बाढ़ के कारण बारात को नाव से आना पड़ सकता है, लेकिन इतने बड़े जत्थे को नाव से आते देख वे हैरान रह गईं। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए एक अनोखा अनुभव था। बाढ़ ने मुश्किलें बढ़ाईं, लेकिन परिवार और गांव वालों की मदद से सब संभव हुआ।” शादी के बाद विदाई का समय आया, तो दुल्हन को भी नाव से ही ससुराल ले जाया गया। रीता को विदा करने के लिए दो नावें सजाई गईं, जिनमें दुल्हन, दूल्हा और कुछ परिजन सवार थे। बाकी बाराती दूसरी नावों से वापस लौटे।
यह घटना बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति को दर्शाती है। भागलपुर और कटिहार में गंगा और कोसी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। 30 जुलाई 2025 तक, बिहार के 12 जिलों में 12.67 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित थे। कटिहार के अमदाबाद और बरारी प्रखंडों में गंगा का कटाव इतना तेज है कि कई गांव नदी में समा चुके हैं। भागलपुर में खरीक का चोरहर तटबंध कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया, और गंगा का पानी शहरी इलाकों में घुस गया। सड़कें, रेलवे ट्रैक और स्कूल जलमग्न हैं। मनिहारी गंगा घाट पर बाढ़ और कटाव की समस्या हर साल बढ़ रही है, और वहां की सड़कें कीचड़ और गड्ढों से भरी हैं।
मनिहारी के स्थानीय निवासी पप्पू ठाकुर ने बताया कि गंगा तट पर कोई पक्की व्यवस्था नहीं है। “हर साल बाढ़ आती है, लेकिन न तटबंध बनते हैं, न सड़कें। नाव ही हमारा एकमात्र सहारा है।” बाढ़ के कारण लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर नाव से सफर करते हैं। प्रशासन ने राहत के लिए 1,400 नावें तैनात की हैं, लेकिन स्थायी समाधान की कमी है। मनिहारी गंगा घाट पर चेंजिंग रूम, शौचालय और सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे श्रद्धालु और यात्री परेशान हैं।
इस शादी ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं। वायरल वीडियो में नाव पर सजे-धजे बाराती और दुल्हन की विदाई का दृश्य लोगों को भावुक कर रहा है। एक यूजर ने लिखा, “बिहार के लोग बाढ़ में भी हार नहीं मानते। यह शादी उनकी हिम्मत की मिसाल है।” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “प्रशासन को बाढ़ का स्थायी समाधान करना चाहिए। हर साल नाव से बारात नहीं निकलनी चाहिए।” इस वीडियो ने बिहार की बाढ़ समस्या और लोगों की जिंदादिली को एक साथ सामने ला दिया।
देवमुनी के परिवार ने बताया कि शादी की तारीख पहले से तय थी, और बाढ़ के कारण इसे टालना मुश्किल था। देवमुनी के पिता रामचंद्र यादव ने कहा, “हमने सोचा कि बाढ़ आए या तूफान, शादी तो करनी ही है। गांव वालों और नाविकों की मदद से सब संभव हुआ।” बारात में शामिल सरपंच रमेश यादव ने बताया कि नाव का किराया और अन्य खर्चे गांव वालों ने मिलकर उठाए। “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमने बाढ़ को हराया,” उन्होंने कहा।
बिहार में बाढ़ के कारण शादियों को नाव से पूरा करने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। 2024 में गोपालगंज में दूल्हा विकास यादव की बारात नाव से निकली थी, और दुल्हन की विदाई भी नाव से हुई थी। उसी साल गोंडा में घाघरा नदी की बाढ़ में दूल्हा राम कुमार अपनी दुल्हन को नाव से ससुराल ले गया था। ये घटनाएं बिहार और उत्तर प्रदेश में बाढ़ की भयावहता को दर्शाती हैं।
बिहार में बाढ़ कोई नई समस्या नहीं है। कोसी नदी, जिसे “बिहार का शोक” कहा जाता है, और गंगा हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं। 2008 में कोसी की बाढ़ ने सुपौल, कटिहार, भागलपुर और अन्य जिलों में 2.7 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ का स्थायी समाधान तटबंधों का निर्माण और नदियों का ड्रेजिंग है। लेकिन सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल शर्मा ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शादियों और अन्य जरूरी कामों के लिए प्रशासन को विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। “नाव से बारात और विदाई कोई रोमांच नहीं, बल्कि मजबूरी है। सरकार को तटबंध और सड़कों का निर्माण करना चाहिए,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बाढ़ के समय नाविकों को प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण दिए जाएं।
प्रशासन ने बाढ़ राहत के लिए कई कदम उठाए हैं। कटिहार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) संजय कुमार ने बताया कि बरारी और अमदाबाद प्रखंडों में राहत शिविर शुरू किए गए हैं, और 200 नावें लोगों की मदद के लिए तैनात हैं। भागलपुर में गंगा के किनारे तटबंधों की मरम्मत का काम चल रहा है। लेकिन स्थानीय लोग इन प्रयासों को नाकाफी मानते हैं।
इस शादी ने बिहार की बाढ़ समस्या को फिर से चर्चा में ला दिया। यह घटना लोगों की हिम्मत और एकजुटता की मिसाल है, लेकिन साथ ही सरकार के लिए एक चेतावनी भी है। बाढ़ हर साल आती है, और इसके समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाएं जरूरी हैं। देवमुनी और रीता की शादी ने दिखाया कि बिहार के लोग मुश्किलों में भी हार नहीं मानते।
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