पटना में STET अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज- TRE-4 से पहले परीक्षा की मांग।
Trending News: बिहार की राजधानी पटना में 7 अगस्त 2025 को शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज...
बिहार की राजधानी पटना में 7 अगस्त 2025 को शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। यह घटना तब हुई जब हजारों अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे थे। वे मांग कर रहे थे कि बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) से पहले STET का आयोजन किया जाए। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस घटना में कई अभ्यर्थियों को चोटें आईं, जिनमें से दो के सिर में गंभीर चोटें शामिल हैं।
STET यानी माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा, बिहार में सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवश्यक है। यह परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा आयोजित की जाती है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि TRE-4 से पहले STET का आयोजन नहीं हुआ, तो 2022-2024 और 2023-2025 सत्र के B.Ed और BTC प्रशिक्षु छात्र इस भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। उनके अनुसार, STET पास किए बिना वे TRE-4 के लिए आवेदन करने के योग्य नहीं होंगे, जिससे उनका शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह जाएगा।
प्रदर्शनकारी छात्रों का यह भी कहना है कि सरकार ने पहले वादा किया था कि STET साल में दो बार आयोजित होगी, लेकिन पिछले डेढ़ से दो साल में एक बार भी यह परीक्षा नहीं हुई। एक महिला प्रदर्शनकारी, खुशबू पाठक ने कहा, "सरकार ने कहा था कि साल में दो बार STET होगा, लेकिन अब तक कोई परीक्षा नहीं हुई। हमारी पूरी तैयारी इस उम्मीद पर थी कि STET होगा और हम TRE-4 में आवेदन कर पाएंगे।"
7 अगस्त 2025 को पटना कॉलेज से शुरू हुआ अभ्यर्थियों का जुलूस नया टोला, मुसल्लहपुर हाट और बाकरगंज होते हुए गांधी मैदान के पास जेपी गोलंबर तक पहुंचा। हजारों की संख्या में अभ्यर्थी "STET नहीं तो वोट नहीं" जैसे नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे थे। पुलिस ने जेपी गोलंबर पर बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की। जब कुछ अभ्यर्थी बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने लगे, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन जब अभ्यर्थी नहीं रुके, तो पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इस दौरान कई अभ्यर्थियों को गंभीर चोटें आईं। दो अभ्यर्थियों के सिर फट गए, और कई अन्य भगदड़ में गिरकर जख्मी हो गए। घायल अभ्यर्थियों को पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) में भर्ती कराया गया। पुलिस ने डाकबंगला चौराहे पर भी बैरिकेडिंग लगाई थी, जहां फिर से झड़प हुई और दूसरी बार लाठीचार्ज किया गया। कुछ खबरों के अनुसार, पुलिस ने वाटर कैनन की गाड़ी भी मंगवाई थी।
अभ्यर्थियों की मांगें
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें निम्नलिखित थीं:
TRE-4 से पहले STET 2024 का आयोजन किया जाए।
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
योग्य अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान किया जाए।
डोमिसाइल नीति को विशेष परीक्षाओं में लागू किया जाए।
अभ्यर्थियों का कहना है कि STET के बिना उनकी मेहनत और तैयारी बेकार हो जाएगी। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "पापा रोज पूछते हैं, कब लगेगी नौकरी? क्या जवाब दूं कि सरकार हमें सड़कों पर दौड़ा रही है?" यह बयान अभ्यर्थियों की निराशा और हताशा को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि TRE-5 से पहले STET का आयोजन कर लिया जाएगा। हालांकि, अभ्यर्थियों की मांग है कि यह परीक्षा TRE-4 से पहले होनी चाहिए। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने संकेत दिए हैं कि STET फरवरी 2026 में आयोजित हो सकती है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक तारीख घोषित नहीं हुई है।
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने प्रदर्शन के दौरान पांच अभ्यर्थियों से मुलाकात की और उन्हें न्याय का आश्वासन दिया। हालांकि, अभ्यर्थियों का कहना है कि ऐसी बैठकों से कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। वे चाहते हैं कि उनकी मांगों पर तुरंत कार्रवाई हो।
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के कारण आम लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही थी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।" हालांकि, अभ्यर्थियों का आरोप है कि पुलिस ने जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया, जिसमें महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा गया।
इस घटना ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पुलिस के रवैये की निंदा की है। एक अभ्यर्थी ने लिखा, "STET हर हाल में TRE-4 से पहले होना चाहिए। सरकार ने वादा किया था, फिर इतना लंबा इंतजार क्यों?"
यह घटना बिहार में शिक्षक भर्ती से जुड़े व्यापक असंतोष को दर्शाती है। पहले भी कई बार अभ्यर्थी डोमिसाइल नीति और भर्ती प्रक्रिया में देरी को लेकर सड़कों पर उतर चुके हैं। TRE-4 के तहत लगभग 1.6 लाख शिक्षक पदों पर भर्ती होनी है, जो बिहार में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन STET के आयोजन में देरी ने कई योग्य अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पटना में STET अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की घटना ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन के सामने युवाओं की मांगों को रखा है।
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