गीत: पूर्णिका- बंद है खिड़की-हवा में बात, कर रहा अपनत्व छिपकर घात... ।

शीश पर जा बैठ, रौंदी धूल कहे पग से देख निज औकात...

May 2, 2025 - 11:17
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गीत: पूर्णिका-  बंद है खिड़की-हवा में बात, कर रहा अपनत्व छिपकर घात... ।

आचार्य संजीव वर्मा सलिल 
जबलपुर

पूर्णिका
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बंद है खिड़की-हवा में बात
कर रहा अपनत्व छिपकर घात
.
हुए हैं लायक बहुत ही पूत
विवश वृद्धाश्रम पड़े जा तात
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शीश पर जा बैठ, रौंदी धूल
कहे पग से देख निज औकात
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उषा के पीछे पड़ा है सूर्य
प्रात भय से पीत झड़ता पात
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ठठाता बुलडोजरों को सौंप
देश का निजाम लीडर मात
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आँख से ले आँख आँखें फेर
किस तरह हों बेहतर हालात
.
साँकलें जा रूठ द्वारों से
न्योततीं तस्करों की बारात
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कलमकारों ने कलम कर कलम
भेंट की सरकार को सौगात
.
पसेरी में बिक रहा साहित्य
तुल रहे हैं टकों में जज़्बात।

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