2015 की ब्लॉकबस्टर फिल्म, जिसे अमिताभ बच्चन ने पहले ठुकराया, 43 साल छोटी हीरोइन के साथ मचाया तहलका।
Bollywood News: साल 2015 में रिलीज हुई एक ऐसी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया, जिसे पहले बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने....

Bollywood News: साल 2015 में रिलीज हुई एक ऐसी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया, जिसे पहले बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने ठुकरा दिया था। इस फिल्म में उनके साथ लीड रोल में एक ऐसी अभिनेत्री थी, जो उनसे 43 साल छोटी थी। यह फिल्म अपनी अनोखी कहानी, शानदार अभिनय और दिल को छू लेने वाली भावनाओं के लिए जानी जाती है। इसने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि 40 से अधिक अवार्ड्स अपने नाम किए। अमिताभ बच्चन, जो 70 के दशक से एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में दे रहे हैं, ने इस फिल्म को पहले रिजेक्ट कर दिया था, लेकिन बाद में यह फिल्म बॉलीवुड के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई।
हम बात कर रहे हैं 2015 में रिलीज हुई फिल्म पिकू की। इस फिल्म को शूजित सरकार ने डायरेक्ट किया था और इसमें अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और इरफान खान जैसे शानदार कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। यह एक पारिवारिक ड्रामा-कॉमेडी फिल्म थी, जो एक बूढ़े पिता और उसकी बेटी के रिश्ते की अनोखी कहानी को दर्शाती है। फिल्म की कहानी इतनी साधारण और रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी थी कि यह हर दर्शक के दिल को छू गई। पिकू ने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी खूब वाहवाही बटोरी और बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया।
पिकू का बजट करीब 30 करोड़ रुपये था, और इसने वर्ल्डवाइड 141 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। यह फिल्म 2015 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। इसकी सफलता का श्रेय इसकी मजबूत कहानी, शानदार डायलॉग्स और कलाकारों के अभिनय को जाता है। इस फिल्म ने 40 से अधिक अवार्ड्स जीते, जिनमें चार नेशनल फिल्म अवार्ड्स शामिल थे, जिसमें अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड भी मिला।
- अमिताभ बच्चन ने क्यों ठुकराया था पिकू?
अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में रिजेक्ट कीं, जो बाद में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। पिकू भी उनमें से एक थी। बताया जाता है कि अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म को पहले इसलिए ठुकरा दिया था, क्योंकि वह उस समय अपनी छवि को लेकर सतर्क थे। 70 के दशक में “एंग्री यंग मैन” के तौर पर मशहूर हुए अमिताभ ने बाद में कई तरह के किरदार निभाए, लेकिन पिकू में उन्हें एक जिद्दी, बुजुर्ग और हाइपोकॉन्ड्रियाक (स्वास्थ्य को लेकर अति चिंतित) पिता का किरदार निभाना था। यह किरदार उनके पहले के ग्लैमरस और दमदार रोल्स से बिल्कुल अलग था।
इसके अलावा, फिल्म में उनकी बेटी का किरदार दीपिका पादुकोण निभा रही थीं, जो उनसे 43 साल छोटी थीं। अमिताभ को शायद यह उम्र का अंतर या किरदार की सादगी शुरू में पसंद नहीं आई। कुछ खबरों के मुताबिक, वह उस समय अपनी दूसरी परियोजनाओं में व्यस्त थे और इस फिल्म के लिए समय निकालना उनके लिए मुश्किल था। हालांकि, बाद में डायरेक्टर शूजित सरकार और लेखक जूही चतुर्वेदी ने उन्हें इस किरदार की गहराई और कहानी की खूबसूरती समझाई, जिसके बाद उन्होंने इस फिल्म को करने के लिए हामी भरी।
- पिकू की कहानी और उसका जादू
पिकू एक ऐसी फिल्म है, जो साधारण सी दिखने वाली कहानी को असाधारण तरीके से पेश करती है। यह कहानी है भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) की, जो एक 70 साल के रिटायर्ड व्यक्ति हैं और अपनी सेहत को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। उनकी बेटी पिकू (दीपिका पादुकोण) एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर लड़की है, जो अपने पिता की हर छोटी-बड़ी जरूरतों का ख्याल रखती है। दोनों के बीच का रिश्ता प्यार, तकरार और समझदारी का अनोखा मिश्रण है। कहानी में एक तीसरा किरदार राणा चौधरी (इरफान खान) का भी है, जो एक टैक्सी कंपनी का मालिक है और इन दोनों के साथ एक रोड ट्रिप पर निकलता है।
फिल्म कोलकाता से दिल्ली तक की इस रोड ट्रिप के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें पिता-पुत्री के रिश्ते की छोटी-छोटी बातें, उनकी जिद, प्यार और हंसी-मजाक को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है। भास्कर बनर्जी का किरदार अपनी सेहत को लेकर बार-बार होने वाली शिकायतों और जिद के कारण हास्य पैदा करता है, लेकिन साथ ही यह किरदार दर्शकों को भावुक भी करता है। दीपिका का किरदार एक ऐसी बेटी का है, जो अपने पिता की हरकतों से परेशान तो होती है, लेकिन उन्हें बेइंतहा प्यार भी करती है। इरफान खान ने राणा के किरदार में जान डाल दी, जो इस रिश्ते को और रोचक बनाता है।
फिल्म की कहानी जूही चतुर्वेदी ने लिखी थी, जिन्होंने इससे पहले वicky डोनर जैसी शानदार फिल्म लिखी थी। शूजित सरकार का डायरेक्शन और कलाकारों का अभिनय इस फिल्म को एक अलग मुकाम पर ले गया। फिल्म में कोई बड़ा ट्विस्ट या ड्रामा नहीं था, फिर भी यह दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रही।
- बॉक्स ऑफिस पर पिकू का जलवा
पिकू 8 मई 2015 को रिलीज हुई थी और इसने पहले ही दिन से दर्शकों का ध्यान खींचा। फिल्म ने पहले वीकेंड में ही 25 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर ली थी। भारत में इसने 78 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन किया, जबकि वर्ल्डवाइड इसकी कमाई 141 करोड़ रुपये से अधिक रही। यह उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। फिल्म की सफलता का एक बड़ा कारण इसका रिलेटेबल कंटेंट था। हर परिवार में पिता-पुत्री के रिश्ते की छोटी-छोटी बातें, रोजमर्रा की जिंदगी की परेशानियाँ और हल्का-फुल्का हास्य दर्शकों को अपनी कहानी जैसी लगी।
फिल्म को क्रिटिक्स ने भी खूब सराहा। इसने न केवल कमर्शियल सक्सेस हासिल की, बल्कि कई अवार्ड्स भी अपने नाम किए। अमिताभ बच्चन को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड मिला, जबकि दीपिका पादुकोण और जूही चतुर्वेदी को भी कई अवार्ड्स से नवाजा गया। फिल्म ने कुल 40 से अधिक अवार्ड्स जीते, जिनमें फिल्मफेयर, स्क्रीन अवार्ड्स और अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल थे।
- दीपिका पादुकोण और अमिताभ बच्चन की केमिस्ट्री
पिकू में अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब पसंद किया। दीपिका, जो उस समय 29 साल की थीं, और अमिताभ, जो 72 साल के थे, के बीच 43 साल का उम्र का अंतर था। लेकिन इस अंतर ने फिल्म की कहानी को और भी खास बना दिया। दोनों ने पिता-पुत्री के रिश्ते को इतने सहज और वास्तविक तरीके से पेश किया कि दर्शकों को यह बिल्कुल असल लगता था। दीपिका ने एक ऐसी बेटी का किरदार निभाया, जो अपने पिता की हर बात से परेशान होती है, लेकिन फिर भी उनका पूरा ख्याल रखती है। वहीं, अमिताभ ने भास्कर बनर्जी के किरदार में एक ऐसे पिता को जीवंत किया, जो अपनी बेटी के लिए प्यार और चिंता से भरा हुआ है।
इरफान खान ने भी इस जोड़ी को और मजबूत किया। उनका किरदार फिल्म में हास्य और गहराई दोनों लाता है। इन तीनों कलाकारों की तिकड़ी ने फिल्म को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया।
- अमिताभ बच्चन का किरदार
अमिताभ बच्चन ने पिकू में भास्कर बनर्जी का किरदार इतनी शिद्दत से निभाया कि यह उनके करियर के सबसे यादगार किरदारों में से एक बन गया। उनकी डायलॉग डिलीवरी, बॉडी लैंग्वेज और भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका इस किरदार को अविस्मरणीय बनाता है। फिल्म में उनके कई डायलॉग्स, जैसे “मोशन नहीं हो रहा” और “डेथ तो फाइनल डेस्टिनेशन है”, दर्शकों के बीच काफी मशहूर हुए। अमिताभ ने इस किरदार को इतना वास्तविक बनाया कि हर दर्शक को अपने परिवार में ऐसा कोई न कोई व्यक्ति जरूर याद आया।
उनके इस शानदार प्रदर्शन ने उन्हें नेशनल अवार्ड दिलाया, जो उनके करियर का चौथा नेशनल अवार्ड था। इससे पहले वह अग्निपथ (1990), ब्लैक (2005) और पा (2009) के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके थे। पिकू में उनका अभिनय उनके करियर की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
पिकू न केवल एक मनोरंजक फिल्म थी, बल्कि इसने समाज में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को भी छुआ। यह फिल्म माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्तों, खासकर बेटियों और उनके पिता के रिश्तों को बहुत ही संवेदनशील तरीके से दर्शाती है। इसने यह भी दिखाया कि कैसे एक स्वतंत्र महिला अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी जिंदगी को संतुलित करती है। फिल्म में बुजुर्गों की सेहत और उनकी देखभाल जैसे मुद्दों को भी हल्के-फुल्के अंदाज में उठाया गया, जो आज के समय में बहुत प्रासंगिक है।
इसके अलावा, फिल्म में कोलकाता और दिल्ली की संस्कृति को भी खूबसूरती से दिखाया गया। कोलकाता की गलियाँ, वहाँ का खान-पान और बंगाली संस्कृति फिल्म में एक अलग रंग लाती है। यह फिल्म उन लोगों के लिए भी खास थी, जो अपने परिवार के साथ समय बिताने और छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढने की अहमियत को समझते हैं।
पिकू आज भी दर्शकों के बीच उतनी ही लोकप्रिय है, जितनी यह अपनी रिलीज के समय थी। इसकी कहानी, किरदार और डायलॉग्स आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। यह फिल्म उन चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जो बिना किसी बड़े ड्रामे या एक्शन के दर्शकों को बांधे रखती है। इसकी सफलता ने यह साबित किया कि साधारण कहानियाँ भी अगर दिल से बनाई जाएँ, तो वे दर्शकों के दिलों तक पहुंच सकती हैं।
पिकू ने शूजित सरकार और जूही चतुर्वेदी को भी बॉलीवुड में एक अलग पहचान दी। इस फिल्म के बाद शूजित ने अक्टूबर और गुलाबो सिताबो जैसी शानदार फिल्में बनाईं, जो उनकी कहानी कहने की कला को दर्शाती हैं। दीपिका पादुकोण के लिए भी यह फिल्म एक मील का पत्थर थी, क्योंकि इसने उनकी अभिनय क्षमता को एक नए स्तर पर दिखाया।
पिकू एक ऐसी फिल्म है, जो अपनी सादगी और गहराई के लिए हमेशा याद की जाएगी। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म को पहले रिजेक्ट कर दिया था, लेकिन बाद में उनके शामिल होने से यह फिल्म और भी खास हो गई। दीपिका पादुकोण के साथ उनकी केमिस्ट्री, इरफान खान का शानदार अभिनय और शूजित सरकार का संवेदनशील डायरेक्शन इस फिल्म को एक मास्टरपीस बनाता है। इसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि 40 से अधिक अवार्ड्स जीतकर बॉलीवुड के इतिहास में अपनी जगह बनाई। पिकू एक ऐसी कहानी है, जो हर उस व्यक्ति को छूती है, जो अपने परिवार से प्यार करता है और उनकी छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढता है।
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