11 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन (Savan) मास 2025, भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति में डूबेगा भारत, जानिए ज्योतिर्लिंगों और कांवड़ यात्रा की महत्ता। 

Savan 2025: हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष धार्मिक महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का पवित्र समय माना जाता...

Jul 9, 2025 - 10:58
Jul 9, 2025 - 16:42
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11 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन (Savan) मास 2025, भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति में डूबेगा भारत, जानिए ज्योतिर्लिंगों और कांवड़ यात्रा की महत्ता। 
(Pic: Social Media)    

हिंदू धर्म में सावन (Savan) मास का विशेष धार्मिक महत्व है, जो भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की आराधना का पवित्र समय माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन (Savan) मास 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और यह 9 अगस्त को समाप्त होगा। इस दौरान देशभर के शिव मंदिरों और 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी, और कांवड़ यात्रा भक्ति और तपस्या का अनूठा संगम प्रस्तुत करेगी। यह माह भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा प्राप्त करने, आत्मिक शुद्धि, और सुख-समृद्धि के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।

  • सावन (Savan) मास का धार्मिक महत्व

सावन (Savan) का महीना भगवान शिव (Lord Shiva) को अत्यंत प्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव ने इसी माह में पीकर सृष्टि की रक्षा की थी, जिसके कारण उनका नाम 'नीलकंठ' पड़ा। मान्यता है कि सावन (Savan) में शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, शहद, और दूध चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस बार सावन (Savan) में चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई, और 4 अगस्त) और सावन (Savan) शिवरात्रि (23 जुलाई) विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे। पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग, और आयुष्मान योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करने वाले माने जाते हैं।

  • प्रमुख शिव मंदिर और 12 ज्योतिर्लिंग

सावन (Savan) मास में देशभर के शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बनते हैं। विशेष रूप से 12 ज्योतिर्लिंग, जो सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं, भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की ओर ले जाते हैं। ये ज्योतिर्लिंग भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं। प्रमुख ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं:

सोमनाथ (गुजरात): प्रथम ज्योतिर्लिंग, चंद्रमा की कृपा और चमत्कारों से जुड़ा। सावन (Savan) में यहां भक्तों का तांता लगता है।
मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश): शिव और शक्ति का संगम, पारिवारिक सुख के लिए पूजा।
महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्य प्रदेश): समय और मृत्यु के स्वामी, रुद्राभिषेक के लिए प्रसिद्ध।
ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश): नर्मदा तट पर स्थित, आध्यात्मिक शांति का केंद्र।
केदारनाथ (उत्तराखंड): हिमालय की गोद में बसा, भक्ति और साहस की परीक्षा।
भीमाशंकर (महाराष्ट्र): राक्षस भीमा के वध से जुड़ा, बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश): मोक्षदायी, सावन (Savan) में लाखों भक्तों का आकर्षण।
त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र): गोदावरी तट पर, पापमुक्ति और आत्मिक उन्नति का प्रतीक।
वैद्यनाथ (देवघर, झारखंड): शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग का अनूठा संगम, सावन (Savan) में श्रावणी मेला आयोजित होता है।
नागेश्वर (गुजरात): सर्प दोषों से मुक्ति का केंद्र।
रामेश्वरम (तमिलनाडु): भगवान राम द्वारा स्थापित, दक्षिण भारत का पवित्र धाम।
घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): अंतिम ज्योतिर्लिंग, आत्मिक शांति और मोक्ष का प्रतीक।

इन ज्योतिर्लिंगों में सावन (Savan) के दौरान विशेष पूजा, रुद्राभिषेक, और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भक्त "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए शिव की ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ते हैं। खासकर काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर, और वैद्यनाथ मंदिरों में सावन (Savan) के दौरान श्रावणी मेले का आयोजन होता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

  • कांवड़ यात्रा: भक्ति और तपस्या का प्रतीक

सावन (Savan) मास में कांवड़ यात्रा शिव भक्ति का एक अनूठा रूप है। मान्यता है कि इसकी शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी। लाखों शिव भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, ऋषिकेश, और प्रयागराज जैसे तीर्थस्थलों से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। 2025 में कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई (सावन (Savan) शिवरात्रि) तक चलेगी।

  • कांवड़ यात्रा के प्रकार:

सामान्य कांवड़: भक्त रुक-रुककर गंगाजल ले जाते हैं, नियम अपेक्षाकृत सरल।
खड़ी कांवड़: कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता, श्रद्धालु बारी-बारी से इसे कंधे पर ले जाते हैं।
दंडवत कांवड़: भक्त दंडवत प्रणाम करते हुए यात्रा करते हैं, जो तपस्या का चरम रूप है।
डाक कांवड़: तेज गति से दौड़ते हुए जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।

हापुड़ में भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा ने कांवड़ यात्रा को नशामुक्त और शालीन रखने का आह्वान किया है। मंदिरों में महिलाओं, बुजुर्गों, और बीमारों के लिए अलग लाइन की व्यवस्था होगी, ताकि सभी भक्त सुगमता से जलाभिषेक कर सकें।

  • सावन (Savan) सोमवार और शिवरात्रि

सावन (Savan) के चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई, और 4 अगस्त) भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इन दिनों शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और शहद चढ़ाकर व्रत रखा जाता है। 23 जुलाई को सावन (Savan) शिवरात्रि होगी, जिसका निशिता काल (रात 12:07 से 12:48 बजे) पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है, और व्रत रखने से वैवाहिक सुख, सौभाग्य, और मनचाहा वर प्राप्त होता है।

  • सावन (Savan) में क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

सात्विक भोजन करें, जैसे फल, दूध, दही, साबूदाना, और कुट्टू का आटा।
शिव मंत्रों ("ॐ नमः शिवाय", महामृत्युंजय मंत्र) का जाप करें।
शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और चमेली के फूल अर्पित करें।
दान-पुण्य करें, विशेषकर दूध और उससे बनी वस्तुओं का दान।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और ध्यान-योग करें।

क्या न करें:

तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा) से बचें।
बैंगन का सेवन न करें, क्योंकि यह अशुद्ध माना जाता है।
बाल और दाढ़ी न कटवाएं, क्योंकि यह सावन (Savan) के नियमों के खिलाफ है।
क्रोध, झूठ, और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
विशेष संयोग और उपाय

इस बार सावन (Savan) के पहले दिन शिववास योग बन रहा है, जिसमें भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं। इस योग में पूजा और जलाभिषेक करने से सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। ज्योतिषियों के अनुसार, राशि के अनुसार विशेष उपाय करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है, जैसे:

चमेली के फूल: वाहन सुख के लिए।
कनेर के फूल: सुंदर वस्त्रों की प्राप्ति के लिए।
लाल धतूरा: पुत्र प्राप्ति के लिए।
दूर्वा (दूब): अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए।

सावन (Savan) मास 2025 भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति, तपस्या, और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर लेकर आ रहा है। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, कांवड़ यात्रा, और सावन (Savan) सोमवार के व्रत भक्तों को शिव की कृपा और सुख-शांति प्रदान करेंगे। यह माह न केवल धार्मिक उत्साह, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को भी दर्शाता है। भक्तों से अपील है कि वे संयम, शालीनता, और श्रद्धा के साथ इस पवित्र माह को मनाएं। कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए रोडमैप तैयार किया है। इस बार कांवड़ की ऊंचाई 7 मीटर से अधिक नहीं होगी, और बिना परिचय पत्र के हरिद्वार में प्रवेश पर रोक रहेगी। मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में विशेष पुलिस बल तैनात किया जाएगा।

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