इजरायल की चेतावनी से गाजा में हाहाकार- शहर छोड़ो वरना, आतंकवादी मानेंगे, रक्षा मंत्री का अल्टीमेटम
इस चेतावनी से गाजा शहर में भयंकर अफरा-तफरी मच गई। सितंबर से 4 लाख लोग भाग चुके हैं, लेकिन 5 लाख से अधिक अब भी फंसे हैं। कई बुजुर्ग, बीमार या गरी
दो अक्टूबर 2025 को इजरायल ने गाजा शहर के सभी बचे हुए फिलिस्तीनियों को तत्काल दक्षिण की ओर खाली करने का आदेश दिया है। इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा कि यह फिलिस्तीनियों के लिए आखिरी मौका है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग गाजा शहर में रहेंगे, उन्हें आतंकवादी या आतंकवाद के समर्थक माना जाएगा। यह आदेश इजरायली सेना के नेटजरीम कॉरिडोर पर कब्जे के बाद आया है, जो गाजा को दो हिस्सों में बांटता है और शहर की घेराबंदी को मजबूत करता है। इससे गाजा में भय और अफरा-तफरी मच गई है। लाखों लोग पहले ही विस्थापित हो चुके हैं, लेकिन सैकड़ों हजार अब भी फंस गए हैं। कई लोग कमजोरी या आर्थिक तंगी के कारण भाग ही नहीं पा रहे। संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवीय आपदा बताया है। इस घटना ने वैश्विक स्तर पर बहस छेड़ दी है कि क्या यह फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित करने की कोशिश है। आइए इस घटना की पूरी पृष्ठभूमि, कारण और प्रभाव को समझें।
यह संघर्ष की जड़ें 7 अक्टूबर 2023 में हैं, जब हमास ने इजरायल पर हमला किया। हमास के लड़ाकों ने दक्षिणी इजरायल में घुसकर 1200 से अधिक इजरायलियों की हत्या कर दी और 251 बंधकों को अगवा कर लिया। इजरायल ने इसे आतंकवादी हमला बताया और जवाबी कार्रवाई में गाजा पर हमला बोल दिया। हमास ने कहा कि यह इजरायली कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध था। उसके बाद से इजरायली सेना ने गाजा पर हवाई हमले, तोपखाने की गोलाबारी और जमीनी अभियान चलाए। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 1 अक्टूबर 2025 तक 64,605 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। इजरायल का कहना है कि यह संख्या हमास के लड़ाकों को शामिल करती है और वह आतंकवादियों को निशाना बना रहा है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन इसे असैनिक मौतों का प्रमाण मानते हैं।
गाजा पट्टी दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला इलाका है, जहां 21 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। यह 365 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो मुंबई के एक हिस्से जितना है। गाजा शहर इसका सबसे बड़ा केंद्र है, जहां युद्ध से पहले करीब 10 लाख लोग रहते थे। इजरायल ने हमास को गाजा का शासक मानते हुए पूरे इलाके को निशाना बनाया। पिछले दो वर्षों में इजरायल ने कई बार निकासी आदेश जारी किए। अक्टूबर 2023 में पहला बड़ा आदेश आया, जिसमें वादी गाजा के उत्तर के 11 लाख लोगों को 24 घंटे में दक्षिण जाना कहा गया। लेकिन रास्ते पर हमलों में सैकड़ों मारे गए। डॉक्टरों ने कहा कि मरीजों को ले जाना असंभव था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे मौत का फरमान कहा। उसके बाद जनवरी 2024 में खान यूनिस, जुलाई 2024 में अन्य इलाकों और सितंबर 2025 में फिर गाजा शहर के लिए आदेश आए।
सितंबर 2025 में इजरायल ने गाजा शहर पर कब्जे की योजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह हमास का आखिरी गढ़ है, जहां से 3000 लड़ाके सक्रिय हैं। 6 सितंबर को इजरायली सेना ने हाई-राइज इमारतों पर हमला किया, जिन्हें हमास का ठिकाना बताया। अरबी भाषा के प्रवक्ता अविचाय अद्राई ने एक्स पर चेतावनी दी कि लोग दक्षिण के अल-मावासी क्षेत्र में मानवीय जोन जाएं। लेकिन वहां पहले से लाखों शरणार्थी तंबुओं में रह रहे हैं। 9 सितंबर को पूर्ण निकासी आदेश आया, जिसमें एक लाख लोगों को तुरंत भागने को कहा गया। इजरायली सेना ने पर्चे गिराए, जिनमें नक्शा था और दक्षिण जाने का रास्ता बताया गया। लेकिन कई जगहों पर चेकपॉइंट्स हैं, जहां से गुजरना खतरनाक है।
अब 1 अक्टूबर को रक्षा मंत्री काट्ज का बयान आया। उन्होंने कहा, गाजा शहर के निवासियों के लिए यह अंतिम अवसर है। दक्षिण जाएं और हमास को अलग-थलग छोड़ दें। जो रहेंगे, वे आतंकवादी माने जाएंगे। इजरायली सेना ने कहा कि नेटजरीम कॉरिडोर पर कब्जा हो गया है, जो भूमध्य सागर तक जाता है। इससे गाजा दो भागों में बंट गया। दक्षिण जाने वालों को चेकपॉइंट्स से गुजरना पड़ेगा। काट्ज ने जोर दिया कि अभियान तब तक चलेगा जब तक सभी बंधक मुक्त न हो जाएं और हमास निष्प्राण न हो। फिलहाल 48 बंधक बचे हैं, जिनमें से 20 जीवित माने जाते हैं।
इस चेतावनी से गाजा शहर में भयंकर अफरा-तफरी मच गई। सितंबर से 4 लाख लोग भाग चुके हैं, लेकिन 5 लाख से अधिक अब भी फंसे हैं। कई बुजुर्ग, बीमार या गरीब हैं, जो चल-फिर नहीं सकते। एक फिलिस्तीनी ने कहा, हम कहां जाएं? दक्षिण में भुखमरी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा शहर में अकाल घोषित हो चुका है। इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन ने कहा कि 90 प्रतिशत आबादी भोजन असुरक्षा का शिकार है। इजरायल ने सीमाओं पर नाकाबंदी की है, जिससे भोजन, पानी, दवा और ईंधन नहीं पहुंच रहा। अल जजीरा के अनुसार, 1 अक्टूबर को हमलों में 21 लोग मारे गए, जिनमें एक स्कूल पर हमला था जहां विस्थापित रहते थे। अल-शिफा और अल-अहली अस्पतालों ने कहा कि वे निकासी नहीं करेंगे, क्योंकि मरीजों को छोड़ना मौत के बराबर है।
मानवीय संकट चरम पर है। संयुक्त राष्ट्र के एजेंसियों ने कहा कि निकासी से लाखों परिवार बर्बाद हो जाएंगे। कई जगहों पर तंबू कैंप सागर तट तक फैले हैं। लोग लकड़ी और प्लास्टिक इकट्ठा कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि एक लाख लोगों को स्थानांतरित करना असंभव है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य संगठनों ने इजरायल की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह जबरन विस्थापन है, जो जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। दक्षिण अफ्रीका ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इजरायल पर नरसंहार का मुकदमा चलाया है, जिसमें अक्टूबर 2023 का पहला आदेश नरसंहारपूर्ण बताया गया। इजरायल इसे खारिज करता है और कहता है कि वह आतंकवाद से बचाव कर रहा है।
इस बीच, शांति प्रयास रुके हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया प्रस्ताव पेश किया, जिसमें गाजा को शांति बोर्ड से शासित करने का सुझाव है। हमास ने कहा कि वह अन्य फिलिस्तीनी गुटों से सलाह लेगा। लेकिन इजरायल ने कहा कि जब तक हमास नष्ट न हो, कोई समझौता नहीं। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने फिलिस्तीन राज्य को मान्यता दी है, जबकि फ्रांस जैसे देश जल्द करने वाले हैं। लेकिन इजरायल ने इसे अस्वीकार किया।
इजरायल का कहना है कि गाजा शहर पर कब्जा हमास को खत्म करने के लिए जरूरी है। सेना ने शूजा'इया जिले को तबाह कर दिया, तुफाह का 90 प्रतिशत नष्ट हो गया। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह फिलिस्तीनियों को हमेशा के लिए हटाने की साजिश है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा कि निकासी आदेश बफर जोन बनाने के लिए हैं। फिलिस्तीनी मीडिया ने इसे नरसंहार का हिस्सा बताया। हमास ने कहा कि इजरायल का यह फैसला घुटन और नरसंहार की नीति है।
यह घटना मध्य पूर्व के संघर्ष को नई ऊंचाई दे रही है। गाजा में बिजली, पानी और संचार बाधित है। अस्पताल भरे पड़े हैं, लेकिन दवाओं की कमी है। बच्चे हर घंटे मर रहे हैं। सेव द चिल्ड्रेन ने कहा कि युद्ध के 23 महीनों में 20,000 बच्चे मारे गए। इजरायल ने दावा किया कि वह नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बच रहा है। लेकिन सबूतों से ऐसा नहीं लगता। वैश्विक समुदाय को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। शांति वार्ता फिर शुरू होनी चाहिए। फिलिस्तीनियों को सुरक्षित आश्रय और सहायता मिलनी चाहिए। यह संघर्ष कब खत्म होगा, कोई नहीं जानता। लेकिन निर्दोषों की चीखें दुनिया को झकझोर रही हैं। इजरायल और हमास दोनों को संयम बरतना होगा। शांति ही एकमात्र रास्ता है।
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