हरदोई में दो दिन पुरानी सड़क धंसी, ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर सवाल।
Hardoi News: हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक में मंसूरपुर और नगरा साहसी गांवों को कुसुम खोर मार्ग से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण हाल ही में .....
Hardoi News: हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक में मंसूरपुर और नगरा साहसी गांवों को कुसुम खोर मार्ग से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण हाल ही में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किया गया। लेकिन, निर्माण पूरा होने के कुछ ही दिनों बाद ये सड़कें उखड़ने और धंसने लगीं, जिससे ठेकेदार और विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री और अपर्याप्त तारकोल का उपयोग किया गया, जिसके कारण सड़कें टिकाऊ नहीं रहीं।
हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक के मंसूरपुर और नगरा साहसी गांवों में हाल ही में सड़कों का जीर्णोद्धार कार्य किया गया। मंसूरपुर में सड़क का निर्माण कुछ दिन पहले पूरा हुआ, लेकिन यह सड़क पहले ही उखड़ने लगी। ग्रामीणों के अनुसार, सड़क में केवल एक से डेढ़ सेंटीमीटर गिट्टी का उपयोग किया गया, और तारकोल की मात्रा भी बहुत कम थी। इसी तरह, नगरा साहसी के पकड़ियापुरवा में दो दिन पहले बनी सड़क एक ट्रैक्टर के गुजरने से धंस गई। ट्रैक्टर को किसी तरह निकाला गया, लेकिन सड़क की हालत देखकर ग्रामीण हैरान रह गए। जांच करने पर पता चला कि सड़क के किनारे मिट्टी को समतल कर उस पर नाममात्र की गिट्टी और तारकोल डालकर निर्माण पूरा कर दिया गया।
स्थानीय निवासियों रामपूत, दिवारी, गुड्डू, और सुरेंद्र ने बताया कि सड़क की गुणवत्ता इतनी खराब है कि यह कुछ दिन भी नहीं टिक पाएगी। ग्रामीणों को डर है कि बारिश के मौसम में स्थिति और बदतर हो जाएगी, जिससे आवागमन में भारी परेशानी होगी। इस बीच, नगरा साहसी के जग्गापुरवा में नई सड़क का निर्माण शुरू हो चुका है, लेकिन उसकी गुणवत्ता भी पहले की सड़कों जैसी ही दिख रही है।
- ग्रामीणों का आक्रोश
सड़क की खराब स्थिति को देखकर ग्रामीणों में गुस्सा है। उनका कहना है कि लोक निर्माण विभाग और ठेकेदार ने मिलकर निर्माण में भारी लापरवाही बरती है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के दौरान न तो उचित मात्रा में गिट्टी का उपयोग किया गया और न ही तारकोल की पर्याप्त परत बिछाई गई। कई जगहों पर सड़क के किनारे स्थानीय मिट्टी को ही समतल कर उस पर पतली परत डाल दी गई, जिससे सड़क कमजोर हो गई। ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या जूनियर इंजीनियर ने निर्माण की गुणवत्ता की जांच की थी, और यदि की थी, तो किस आधार पर ठेकेदार को क्लीन चिट दी गई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार ने लागत बचाने के लिए घटिया सामग्री का उपयोग किया और विभाग के अधिकारियों ने इसकी अनदेखी की। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह की लापरवाही से न केवल सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि ग्रामीणों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। हरदोई में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप कोई नई बात नहीं हैं। हाल के महीनों में जिले की कई सड़कों के खराब होने की खबरें सामने आई हैं।
लोक निर्माण विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों ने निर्माण कार्य की निगरानी में लापरवाही बरती। सड़क निर्माण के दौरान गुणवत्ता जांच के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। कई मामलों में, निर्माण पूरा होने के तुरंत बाद सड़कें खराब होने लगीं, जिससे यह साफ होता है कि न तो उचित सामग्री का उपयोग किया गया और न ही निर्माण मानकों का पालन किया गया।
लोगों का कहना है कि ठेकेदार और अधिकारियों के बीच सांठगांठ के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो रही है। सड़क निर्माण में लागत कम करने के लिए ठेकेदार घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं, और अधिकारियों की मिलीभगत से इसे मंजूरी दे दी जाती है। इससे सरकारी धन का दुरुपयोग तो होता ही है, साथ ही जनता को भी खराब बुनियादी ढांचे का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने मांग की है कि सड़क निर्माण की उच्च स्तरीय जांच की जाए और दोषी ठेकेदारों व अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने यह भी मांग की है कि खराब सड़कों को जल्द से जल्द ठीक किया जाए और भविष्य में निर्माण कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कन्नौज के मंसूरपुर और नगरा साहसी में सड़क निर्माण की यह घटना एक बार फिर लोक निर्माण विभाग और ठेकेदारों की लापरवाही को सामने लाती है। दो दिन पुरानी सड़क का धंस जाना और उखड़ना न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि ग्रामीणों के लिए भी असुविधा का कारण बन रहा है।
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