सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैला कमाई करने वाली तीन युवतियों और कैमरामैन को किया गिरफ्तार। 

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सोशल मीडिया के दुरुपयोग का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां तीन युवतियों—मेहरूल निशा...

Jul 16, 2025 - 11:54
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सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैला कमाई करने वाली तीन युवतियों और कैमरामैन को किया गिरफ्तार। 
सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैला कमाई करने वाली तीन युवतियों और कैमरामैन को किया गिरफ्तार। 

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सोशल मीडिया के दुरुपयोग का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां तीन युवतियों—मेहरूल निशा उर्फ परी, महक, और हिना—तथा उनके कैमरामैन जर्रार आलम को पुलिस ने इंस्टाग्राम पर अश्लील और अपमानजनक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 15 जुलाई 2025 को असमोली थाना क्षेत्र में हुई, जब स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद पुलिस ने कार्रवाई की। इन युवतियों ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट 'महकपरी143' पर अश्लील इशारों, गालियों, और आपत्तिजनक सामग्री वाले वीडियो अपलोड किए, जो हजारों लोगों तक पहुंचे। पुलिस जांच में पता चला कि ये लोग इस तरह के कंटेंट से प्रति माह 25,000 से 35,000 रुपये की कमाई कर रहे थे।

संभल जिले के शाहबाजपुर कला गांव की रहने वाली महक और मेहरूल निशा उर्फ परी, साथ ही हिना और उनके सहयोगी जर्रार आलम, ने इंस्टाग्राम पर 'महकपरी143' नामक अकाउंट के जरिए अश्लील रील्स और वीडियो बनाकर अपलोड किए। इन वीडियो में छोटे कपड़े पहनकर अश्लील इशारे करना, गाली-गलौज, और आपत्तिजनक भाषा का उपयोग शामिल था। इनके वीडियो को हजारों लोग देखते थे, और प्रत्येक वीडियो पर हजारों व्यूज आते थे। इस लोकप्रियता ने उन्हें न केवल सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि दिलाई, बल्कि विज्ञापनों और प्रायोजित सामग्री के जरिए मोटी कमाई भी कराई।

पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इन वीडियो के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कीं, जिसमें कहा गया कि यह सामग्री सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन करती है और युवाओं पर गलत प्रभाव डाल रही है। शिकायतों के आधार पर असमोली सर्किल ऑफिसर कुलदीप सिंह के नेतृत्व में जांच शुरू हुई। पुलिस की मीडिया सेल ने इंस्टाग्राम अकाउंट की पड़ताल की और पाया कि यह सामग्री न केवल अश्लील थी, बल्कि भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 296(B) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 67 के तहत दंडनीय थी।

15 जुलाई 2025 को संभल पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महक, परी, हिना, और जर्रार आलम को शाहबाजपुर कला गांव से गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि ये लोग अश्लील व konsek:1⁊ वीडियो बनाने और एडिट करने में जर्रार आलम की भूमिका थी, जबकि तीनों युवतियां कंटेंट क्रिएशन में सक्रिय थीं। गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से सभी आपत्तिजनक वीडियो हटाने का आदेश दिया, और 'महकपरी143' अकाउंट को इंस्टाग्राम ने बाद में बैन कर दिया।

पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ 14 जुलाई 2025 को प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी, जब पहली बार स्थानीय लोगों ने शाहबाजपुर कला में इनके वीडियो के खिलाफ हंगामा किया। सब-इंस्पेक्टर मोहित चौधरी ने शिकायत के आधार पर कार्रवाई शुरू की थी। इससे पहले भी महक और परी को उनके अश्लील कंटेंट के लिए चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने पुराने वीडियो नहीं हटाए और नई रील्स अपलोड करना जारी रखा, जिसके बाद पुलिस को सख्त कदम उठाना पड़ा।

चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस ने बताया कि ये लोग अपने कंटेंट के जरिए सामाजिक मर्यादाओं को तोड़ रहे थे और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे थे।

पुलिस जांच में सामने आया कि इन चारों ने सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि और कमाई के लिए जानबूझकर अश्लील सामग्री बनाई। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर 429,000 से अधिक फॉलोअर्स थे, और प्रत्येक वीडियो पर हजारों व्यूज मिलते थे। इस लोकप्रियता के जरिए उन्हें विज्ञापनों, प्रायोजित सामग्री, और अन्य डिजिटल मार्केटिंग गतिविधियों से प्रति माह 25,000 से 35,000 रुपये की आय हो रही थी। यह राशि उनके लिए एक बड़ा प्रलोभन थी, जिसने उन्हें बार-बार आपत्तिजनक कंटेंट बनाने के लिए प्रेरित किया।

सोशल मीडिया पर त्वरित प्रसिद्धि का यह जुनून आज के युवाओं में आम है। विशेषज्ञों का कहना है कि इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स ने रील्स और शॉर्ट वीडियो के जरिए कम समय में मशहूर होने का रास्ता खोल दिया है। हालांकि, इस मामले में महक, परी, और हिना ने सामाजिक और नैतिक सीमाओं को लांघकर ऐसी सामग्री बनाई, जो न केवल आपत्तिजनक थी, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय थी।

इस घटना ने सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएशन की नैतिकता और जिम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है। संभल के स्थानीय लोगों में इन वीडियो को लेकर भारी आक्रोश था। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इनके कंटेंट की आलोचना की और इसे सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ बताया। एक एक्स पोस्ट में यूजर ने लिखा, "यह वीडियो देखने के बाद गुस्सा आना स्वाभाविक है। ऐसी सामग्री सामाजिक माहौल को खराब करती है।"

यह मामला डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉडरेशन और नियमों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित करना या प्रसारित करना गैरकानूनी है, जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस घटना ने यह सवाल भी उठाया कि क्या सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसी सामग्री को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने चाहिए।

गिरफ्तारी के बाद, चारों आरोपियों को पुलिस ने मीडिया के सामने पेश किया। हैरानी की बात यह थी कि गिरफ्तारी के बावजूद महक और परी ने थाने से बाहर निकलते समय कैमरे के सामने 'विक्ट्री साइन' दिखाया और मुस्कुराए, जैसे कि उन्होंने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल की हो। इस रवैये की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई। एक यूजर ने एक्स पर लिखा, "ऐसा व्यवहार दिखाता है कि इनमें कोई पछतावा नहीं है।" पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296(B) और IT एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया है।

यह घटना सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और इसके सामाजिक प्रभावों पर गंभीर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉडरेशन को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, युवाओं को यह समझना होगा कि त्वरित प्रसिद्धि और पैसे की चाहत में नैतिकता और कानून का उल्लंघन महंगा पड़ सकता है।

पुलिस ने चारों आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है, और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहन जांच की जा रही है। संभल पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया कि 'महकपरी143' अकाउंट से सभी आपत्तिजनक सामग्री हटा दी जाए। यह मामला अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स के लिए एक चेतावनी है कि कानून की नजर से बचना आसान नहीं है।

संभल में महक, परी, हिना, और जर्रार आलम की गिरफ्तारी सोशल मीडिया के दुरुपयोग और इसके कानूनी परिणामों का एक बड़ा उदाहरण है। यह घटना हमें सिखाती है कि प्रसिद्धि और कमाई का लालच गलत रास्ते पर ले जा सकता है। सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और ऐसी सामग्री से बचना होगा, जो सामाजिक मर्यादाओं और कानून का उल्लंघन करती हो। यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई का विषय है, बल्कि समाज में डिजिटल नैतिकता पर व्यापक चर्चा का भी आधार बन गया है।

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