सतारा में चमत्कारिक प्रसव- 27 वर्षीय काजल ने चार बच्चों को जन्म दिया, अब सात संतानों की मां

अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर युवराज कार्पे ने बताया कि काजल की स्थिति हाई रिस्क वाली थी। वे लगातार निगरानी में थीं। प्रसव के समय डॉक्टर देसाई, डॉक्टर सलमा इनामदार, डॉक्टर खड

Sep 17, 2025 - 10:50
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सतारा में चमत्कारिक प्रसव- 27 वर्षीय काजल ने चार बच्चों को जन्म दिया, अब सात संतानों की मां
सतारा में चमत्कारिक प्रसव- 27 वर्षीय काजल ने चार बच्चों को जन्म दिया, अब सात संतानों की मां

महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक ऐसा चमत्कार हुआ है जिसने पूरे इलाके को आश्चर्यचकित कर दिया। 27 वर्षीय काजल विकास खाकर्डिया ने 13 सितंबर 2025 को एक साथ चार बच्चों को जन्म दिया। इनमें तीन लड़कियां और एक लड़का शामिल है। यह प्रसव सी-सेक्शन के जरिए क्रांति सिन्हा नाना पाटिल सिविल अस्पताल में हुआ। काजल गुजरात मूल की हैं और पांच साल पहले यानी 2020 में उन्होंने तीन बच्चों को एक साथ जन्म दिया था। इस तरह दो प्रसवों में ही वे सात बच्चों की मां बन गईं। सभी बच्चे स्वस्थ हैं, हालांकि उनका वजन कम है। परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन आर्थिक चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। डॉक्टरों ने इसे बेहद दुर्लभ मामला बताया है, जो हर पांच से छह लाख प्रसवों में एक बार होता है। काजल के पति विकास ने कहा कि वे गरीब परिवार से हैं, लेकिन बच्चों की खुशी के लिए सब कुछ सह लेंगे।

यह घटना सतारा जिले के कोरेगांव तहसील से जुड़ी है। काजल और विकास खाकर्डिया मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले कई सालों से महाराष्ट्र में बस गए हैं। वे दोनों पुणे के सासवाड़ इलाके में निर्माण मजदूर के रूप में काम करते हैं। काजल की उम्र 27 वर्ष है, जबकि विकास 30 वर्ष के हैं। दंपति के पास पहले से तीन बच्चे थे, जो ट्रिपलेट्स के रूप में पैदा हुए थे। इनमें दो लड़के और एक लड़की है। काजल ने बताया कि वे गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में नियमित जांच नहीं करा पाईं, क्योंकि काम की व्यस्तता थी। लेकिन जब प्रसव का समय नजदीक आया, तो वे परंपरा के अनुसार मायके गईं। कोरेगांव में रिश्तेदारों से मिलने गईं काजल को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। स्थानीय डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड किया, तो पता चला कि चार बच्चे हैं। काजल को तुरंत सतारा के जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। 13 सितंबर की सुबह एम्बुलेंस से उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। वहां डॉक्टरों की टीम ने फौरन सी-सेक्शन का फैसला लिया, क्योंकि गर्भावस्था 33वें सप्ताह में थी।

अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर युवराज कार्पे ने बताया कि काजल की स्थिति हाई रिस्क वाली थी। वे लगातार निगरानी में थीं। प्रसव के समय डॉक्टर देसाई, डॉक्टर सलमा इनामदार, डॉक्टर खडतरे, डॉक्टर झेंडे और डॉक्टर दीपाली राठोड सहित पूरी टीम ने मेहनत की। तीन लड़कियों का वजन क्रमशः 1.4 किलोग्राम, 1.5 किलोग्राम और 1.6 किलोग्राम था, जबकि लड़के का वजन 1.55 किलोग्राम है। सभी बच्चों को नवजात शिशु इकाई में रखा गया है, जहां वे इनक्यूबेटर में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि वे तेजी से बढ़ रहे हैं और कुछ दिनों में मां के पास आ जाएंगे। काजल भी स्वस्थ हैं और आराम कर रही हैं। डॉक्टर कार्पे ने जोर देकर कहा कि गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह में सोनोग्राफी जरूरी है। इससे बहुगर्भता का पता चल जाता है और तैयारी की जा सकती है। काजल ने स्वीकार किया कि वे अनजान थीं, लेकिन अब सब ठीक है।

परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। विकास ने सासवाड़ से सतारा का सफर तय किया और अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टरों ने चार बच्चों की बात कही, तो वे स्तब्ध रह गए। घर पर तीन बड़े बच्चे दादी के पास हैं। वे उत्साहित हैं कि उनके नए भाई-बहन आ गए। रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने बधाई दी। अस्पताल में भी हर्ष का माहौल था। नर्सें और स्टाफ ने मिठाई बांटी। लेकिन खुशी के साथ चिंता भी है। विकास दंपति दिहाड़ी मजदूर हैं। एक दिन का काम छूटा तो भोजन का इंतजाम मुश्किल। सात बच्चों की देखभाल कैसे करेंगे, यह सोचकर रातें कट रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने मदद का वादा किया है। जिला कलेक्टर ने परिवार से मुलाकात की और आर्थिक सहायता की घोषणा की। एनजीओ भी आगे आए हैं। वे दूध, दवा और कपड़े मुहैया करा रहे हैं। विकास ने कहा कि वे सरकार की योजनाओं का लाभ लेंगे, जैसे पलवल योजना और जननी सुरक्षा योजना।

यह मामला चिकित्सा जगत के लिए भी रोचक है। बहुगर्भता यानी एक साथ कई बच्चों का जन्म दुर्लभ होता है। डॉक्टर कार्पे के अनुसार, यह आनुवंशिक कारणों से हो सकता है। कुछ परिवारों में यह प्रवृत्ति होती है। काजल के मामले में प्राकृतिक गर्भधारण था, कोई आईवीएफ नहीं। भारत में ऐसे केस कम ही सुनने को मिलते हैं। सतारा अस्पताल में यह पहली बार हुआ। विशेषज्ञ कहते हैं कि बहुगर्भता में मां को पोषण, आराम और जांच की ज्यादा जरूरत होती है। कम वजन वाले बच्चों को संक्रमण का खतरा रहता है, इसलिए अस्पताल में रखना पड़ता है। काजल को सलाह दी गई है कि वे स्तनपान पर जोर दें। लेकिन चार बच्चों के लिए यह चुनौती है। अस्पताल ने फॉर्मूला मिल्क की व्यवस्था की है। डॉक्टरों ने परिवार को काउंसलिंग दी कि बच्चों की देखभाल के लिए योजना बनाएं। बड़ा होना समय लेगा, लेकिन धैर्य रखें।

सतारा जिले में यह खबर तेजी से फैली। सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लोग इसे ईश्वर की कृपा बता रहे हैं। कुछ ने परिवार की मदद के लिए फंड जुटाने की अपील की। स्थानीय विधायक ने अस्पताल का दौरा किया और बधाई दी। उन्होंने कहा कि सरकार गरीब परिवारों की मदद करेगी। महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया जा रहा है। जिला अस्पताल ने हाल ही में नवजात इकाई को मजबूत किया है। ऐसे केसों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। काजल का परिवार अब सासवाड़ लौटने की तैयारी कर रहा है। लेकिन पहले बच्चों को डिस्चार्ज मिलना है। डॉक्टरों का अनुमान है कि एक-दो हफ्ते लगेंगे। तब तक अस्पताल ही उनका घर है।

यह घटना समाज को संदेश देती है कि स्वास्थ्य जागरूकता जरूरी है। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अक्सर जांच टाल देती हैं। लेकिन समय पर चेकअप से जटिलताएं टल सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बहुगर्भता बढ़ रही है, खासकर उम्रदराज माताओं में। लेकिन प्राकृतिक मामलों में यह चमत्कार जैसा है। काजल की कहानी प्रेरणा देती है। गरीबी के बावजूद वे मुस्कुरा रही हैं। विकास ने कहा कि बच्चे उनका धन हैं। वे मेहनत करके बड़ा करेंगे। परिवार के दोस्त मदद कर रहे हैं। कोई खाना ला रहा है, कोई कपड़े। समुदाय की एकजुटता दिख रही है। सतारा जैसे छोटे शहर में ऐसी घटनाएं यादगार बन जाती हैं। डॉक्टर कार्पे ने गर्व से कहा कि हमारी टीम ने सफलता हासिल की। भविष्य में ऐसे केसों के लिए तैयार रहेंगे।

काजल अब सात बच्चों की जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं। बड़े तीन बच्चे स्कूल जाते हैं। छोटे चारों को घर लाकर देखभाल करनी है। पति-पत्नी मिलकर काम करेंगे। रिश्तेदार सहारा देंगे। यह यात्रा कठिन होगी, लेकिन प्यार से आसान हो जाएगी। समाज को ऐसे परिवारों से सीखना चाहिए। खुशी बांटना और मदद करना। यह चमत्कार न सिर्फ काजल का, बल्कि पूरे समुदाय का है। उम्मीद है कि बच्चे स्वस्थ रहें और परिवार सुखी हो। सतारा की यह कहानी देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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