हृदयाघात और स्ट्रोक से बचने के लिए करें ये जरूरी काम, 99% मामलों की जड़ है ये बड़ी भूल
यह अध्ययन नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया, जिसमें 9,000 से अधिक वयस्कों पर नजर रखी गई। नतीजे बताते हैं कि इन घटनाओं से पहले लोगों के रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल या शर्करा के स्तर आदर्श
दुनिया भर में हृदय रोगों की वजह से हर साल लाखों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2022 में हृदय रोगों से 1.98 करोड़ मौतें हुईं, जिनमें से 85 प्रतिशत हृदयाघात और स्ट्रोक के कारण थीं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकांश मामले रोकथाम योग्य हैं। हाल ही में जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन ने खुलासा किया है कि हृदयाघात, हार्ट फेलियर या स्ट्रोक का शिकार होने वाले 99 प्रतिशत लोगों में पहले से ही चार मुख्य जोखिम कारक मौजूद थे। ये कारक हैं उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्त शर्करा और धूम्रपान। ये सब जीवनशैली से जुड़े हैं, यानी इन्हें बदला जा सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन जैसे संगठन भी कहते हैं कि स्वस्थ आदतें अपनाकर इन बीमारियों को रोका जा सकता है। अगर आप भी इन गलतियों को दोहरा रहे हैं, तो अभी समय है बदलाव का।
यह अध्ययन नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया, जिसमें 9,000 से अधिक वयस्कों पर नजर रखी गई। नतीजे बताते हैं कि इन घटनाओं से पहले लोगों के रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल या शर्करा के स्तर आदर्श से ऊपर थे। यहां तक कि 60 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में भी 95 प्रतिशत मामलों में कम से कम एक जोखिम कारक पाया गया। उच्च रक्तचाप सबसे आम समस्या निकला, जो हृदयाघात और स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। यह धमनियों को नुकसान पहुंचाता है और रक्त प्रवाह रोकता है। सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अमेरिका में हर 40 सेकंड में एक हृदयाघात होता है, और ज्यादातर मामलों में उच्च रक्तचाप जिम्मेदार होता है। भारत में भी स्थिति चिंताजनक है। यहां हृदय रोग मौत का प्रमुख कारण हैं, और शहरीकरण के साथ ये मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि छोटे बदलावों से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। यह लंबे समय तक चलता रहता है और हृदय की मांसपेशियों को मोटा कर देता है। नतीजा? स्ट्रोक या हृदयाघात। मेयो क्लिनिक के अनुसार, उच्च रक्तचाप धमनियों को कमजोर करता है, जिससे प्लाक जमा होता है। आम गलती यह है कि लोग नियमित जांच नहीं कराते। घर पर ब्लड प्रेशर मॉनिटर रखें और हर हफ्ते चेक करें। आदर्श स्तर 120/80 एमएमएचजी से कम होना चाहिए। अगर ऊपर हो, तो डॉक्टर से सलाह लें। दवाओं के अलावा जीवनशैली बदलाव जरूरी हैं। नमक कम खाएं, क्योंकि ज्यादा नमक रक्तचाप बढ़ाता है। भारतीय भोजन में नमक की मात्रा अक्सर ज्यादा होती है, जैसे अचार, पापड़ या चिप्स। एक दिन में 5 ग्राम से कम नमक लें। व्यायाम भी महत्वपूर्ण है। रोज 30 मिनट तेज चलना या योग से रक्तचाप नियंत्रित रहता है। तनाव से बचें, क्योंकि स्ट्रेस हार्मोन रक्तचाप बढ़ाते हैं। ध्यान या गहरी सांस लेने की आदत डालें।
दूसरा बड़ा जोखिम है उच्च कोलेस्ट्रॉल। यह रक्त वाहिकाओं में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन कहता है कि ज्यादा बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) हृदय रोग का खतरा दोगुना कर देता है। आम गलती? फास्ट फूड और ट्रांस फैट से भरी डाइट। बर्गर, फ्रेंच फ्राइज या घी वाली मिठाइयां कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती हैं। कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं। आदर्श स्तर कुल कोलेस्ट्रॉल 200 एमजी/डीएल से कम। अगर ऊंचा हो, तो स्टेटिन जैसी दवाएं डॉक्टर लिख सकते हैं। लेकिन पहले डाइट बदलें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और मछली खाएं। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली हार्ट के लिए अच्छी है। नट्स जैसे बादाम या अखरोट सीमित मात्रा में लें। व्यायाम से गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ता है। वजन कम रखें, क्योंकि मोटापा कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। अगर कमर पर ज्यादा चर्बी है, तो खतरा और बढ़ जाता है।
उच्च रक्त शर्करा यानी डायबिटीज तीसरा खतरा है। यह हृदय रोग का जोखिम चार गुना बढ़ा देती है। डायबिटीज धमनियों को नुकसान पहुंचाती है और स्ट्रोक का कारण बनती है। सीडीसी के अनुसार, डायबिटीज वाले लोगों में उच्च रक्तचाप भी आम है। गलती यह कि लोग मीठा ज्यादा खाते हैं। चीनी वाली चाय, कोल्ड ड्रिंक या मिठाई ब्लड शुगर बढ़ाती हैं। फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/डीएल से कम होना चाहिए। अगर डायबिटीज है, तो इंसुलिन या दवाएं लें। लेकिन डाइट कंट्रोल करें। ब्राउन राइस, दालें और हरी सब्जियां चुनें। व्यायाम से इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है। रोज 150 मिनट मध्यम व्यायाम करें। वजन घटाना सबसे बड़ा उपाय है। मोटापा डायबिटीज का मुख्य कारण है।
धूम्रपान चौथा घातक कारक है। निकोटीन हृदय गति बढ़ाता है और रक्तचाप ऊंचा करता है। धूम्रपान से क्लॉट बनने का खतरा बढ़ता है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि धूम्रपान हृदय रोग का जोखिम दोगुना कर देता है। ई-सिगरेट भी उतनी ही हानिकारक हैं। गलती? सोचना कि एक सिगरेट से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन हर सिगरेट धमनियों को नुकसान पहुंचाती है। छोड़ना मुश्किल लगे, तो निकोटिन पैच या काउंसलिंग लें। छोड़ने के बाद 1 साल में ही हृदय रोग का खतरा आधा हो जाता है। पैसिव स्मोकिंग से भी बचें।
ये चारों कारक आपस में जुड़े हैं। उच्च रक्तचाप से डायबिटीज बढ़ सकती है, और धूम्रपान कोलेस्ट्रॉल खराब करता है। अध्ययन में पाया गया कि ज्यादातर लोगों में दो या तीन कारक साथ थे। रोकथाम के लिए समग्र बदलाव जरूरी। स्वस्थ डाइट अपनाएं। मेडिटेरेनियन डाइट फायदेमंद है: जैतून का तेल, फल, सब्जियां, नट्स। शराब सीमित रखें, क्योंकि ज्यादा पीने से रक्तचाप बढ़ता है। पुरुषों के लिए दो ड्रिंक, महिलाओं के लिए एक से ज्यादा न लें। नींद पूरी लें, 7-8 घंटे। कम नींद से स्ट्रेस बढ़ता है। तनाव प्रबंधन के लिए मेडिटेशन या हॉबी अपनाएं।
भारत में हृदय रोग तेजी से फैल रहे हैं। शहरी जीवनशैली जिम्मेदार है। व्यस्तता में लोग जंक फूड खाते हैं, व्यायाम भूल जाते हैं। लेकिन छोटे कदम बड़ा फर्क लाते हैं। डॉक्टर फिलिप ग्रीनलैंड कहते हैं कि हर चेकअप में ये कारकों की जांच होनी चाहिए। अगर थोड़ा भी ऊंचा हो, तो तुरंत उपचार शुरू करें। महिलाओं में भी खतरा कम नहीं। मेनोपॉज के बाद हार्मोन बदलाव से रिस्क बढ़ता है। युवाओं में भी स्ट्रोक देखे जा रहे हैं, धूम्रपान और तनाव से।
रोकथाम के उपाय सरल हैं। रोज व्यायाम करें: वॉकिंग, साइक्लिंग या स्विमिंग। वजन नियंत्रित रखें। बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच हो। नियमित स्क्रीनिंग करवाएं। 40 वर्ष से ऊपर हर साल ब्लड टेस्ट। अगर परिवार में हृदय रोग है, तो जल्दी शुरू करें। दवाएं अगर जरूरी हों, तो न छोड़ें। स्टेटिन या ब्लड प्रेशर की गोलियां जीवन बचाती हैं।
कुल मिलाकर, हृदयाघात और स्ट्रोक कोई रहस्य नहीं। ये ज्यादातर हमारी गलतियों का नतीजा हैं। उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, शर्करा या धूम्रपान को नजरअंदाज करना बड़ी भूल है। लेकिन जागरूकता और बदलाव से इन्हें रोका जा सकता है। आज से शुरू करें: नमक कम, व्यायाम ज्यादा, धूम्रपान छोड़। डॉक्टर से सलाह लें। स्वस्थ हृदय से जीवन खुशहाल बनेगा। याद रखें, रोकथाम इलाज से बेहतर है।
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