Political News: श्रीनगर में ईद-उल-अज़हा पर जामा मस्जिद और ईदगाह बंद, मीरवाइज नजरबंद, महबूबा मुफ़्ती ने उठाया सवाल। 

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में शनिवार को ईद-उल-अज़हा के अवसर पर ऐतिहासिक जामा मस्जिद और ईदगाह ...

Jun 9, 2025 - 12:38
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Political News: श्रीनगर में ईद-उल-अज़हा पर जामा मस्जिद और ईदगाह बंद, मीरवाइज नजरबंद, महबूबा मुफ़्ती ने उठाया सवाल। 

हाइलाइट्स:

  • श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद और ईदगाह मैदान में शनिवार को ईद-उल-अज़हा की नमाज पर प्रशासन ने रोक लगाई।
  • हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन और कश्मीर के प्रमुख धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक को उनके घर में नजरबंद किया गया।
  • पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जामा मस्जिद बंद करने के फैसले को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया।
  • अनजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने प्रशासन के फैसले को "अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया।
  • 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लगातार सातवें साल जामा मस्जिद में ईद की नमाज पर रोक।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में शनिवार को ईद-उल-अज़हा के अवसर पर ऐतिहासिक जामा मस्जिद और ईदगाह मैदान को बंद कर दिया गया, जिसके कारण वहां सामूहिक नमाज अदा नहीं हो सकी। प्रशासन ने बिना कोई लिखित कारण बताए यह फैसला लिया, जिसे लेकर कश्मीर के प्रमुख धार्मिक नेता और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने तीखी आपत्ति जताई। मीरवाइज, जो ईद की नमाज के लिए उपदेश देने वाले थे, को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस कार्रवाई को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताते हुए कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य है, जैसा कि दावा किया जाता है, तो जामा मस्जिद को बंद करने का यह फैसला क्यों लिया गया। यह घटना अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लगातार सातवें साल हुई, जब जामा मस्जिद में ईद की नमाज पर रोक लगाई गई।

शनिवार की सुबह, श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित 14वीं शताब्दी की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने बंद कर दिया। मस्जिद के प्रबंधन निकाय, अनजुमन औकाफ जामा मस्जिद, ने बताया कि फज्र की नमाज के बाद पुलिस कर्मियों ने मस्जिद के सभी प्रवेश द्वारों पर ताला लगा दिया और नमाजियों को अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। अनजुमन ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि मीरवाइज उमर फारूक ईद-उल-अज़हा की नमाज का नेतृत्व करेंगे, जो सुबह 9 बजे जामा मस्जिद में या मौसम खराब होने पर ईदगाह मैदान में होनी थी। हालांकि, प्रशासन ने दोनों स्थानों पर सामूहिक नमाज की अनुमति नहीं दी।

मीरवाइज उमर फारूक ने अपने बयान में कहा कि उन्हें शनिवार सुबह बिना किसी पूर्व सूचना के घर में नजरबंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने उनके घर के प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया और उन्हें ईद की नमाज का नेतृत्व करने के लिए बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी। मीरवाइज ने इस कार्रवाई को कश्मीरी मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि यह सातवां वर्ष है जब जामा मस्जिद को ईद के दिन बंद किया गया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 1990 के दशक में, जब कश्मीर में उग्रवाद अपने चरम पर था, तब भी ईदगाह मैदान में ईद की नमाज की अनुमति थी।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जामा मस्जिद और ईदगाह मैदान में नमाज पर रोक लगाने का कोई लिखित कारण नहीं दिया। हालांकि, सुरक्षा प्रशासन, जो केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन है, ने अनौपचारिक रूप से दावा किया कि नौहट्टा का डाउनटाउन क्षेत्र, जहां जामा मस्जिद स्थित है, संवेदनशील है और वहां सामूहिक नमाज से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। यह क्षेत्र पहले भारत-विरोधी और स्वतंत्रता समर्थक प्रदर्शनों का केंद्र रहा है, जिसे प्रशासन इस फैसले का आधार मानता है।

अनजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने अपने बयान में प्रशासन के इस फैसले को "अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय" बताया। संगठन ने कहा कि ईदगाह मैदान, जो पारंपरिक रूप से कश्मीर में सबसे बड़ी सामूहिक ईद नमाज का स्थल रहा है, को बंद करना लाखों मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। अनजुमन ने यह भी उल्लेख किया कि मीरवाइज की निरंतर नजरबंदी धार्मिक और सामाजिक संगठनों के लिए चिंता का विषय है।

  • महबूबा मुफ्ती का बयान

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “ईद के दिन जामा मस्जिद पर ताला लगाना हमारे मजहब के खिलाफ है। अगर जम्मू-कश्मीर में सब कुछ सामान्य है, जैसा कि सरकार दावा करती है, तो यह मस्जिद बंद करने का फैसला क्यों लिया गया?” महबूबा ने मीरवाइज की नजरबंदी की भी निंदा की और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। उन्होंने सभी समुदायों को ईद की शुभकामनाएं दीं और प्रशासन से इस तरह की कार्रवाइयों को दोहराने से बचने की अपील की।

  • जामा मस्जिद और ईदगाह का ऐतिहासिक महत्व

श्रीनगर की जामा मस्जिद, जिसे 1394 में सुल्तान सिकंदर शाह मिरी ने बनवाया था, कश्मीर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। यह 14वीं शताब्दी का स्थापत्य चमत्कार है और कश्मीरी मुसलमानों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है। ईदगाह मैदान भी कश्मीर में सामूहिक नमाज के लिए एक पारंपरिक स्थल रहा है, जहां हर साल हजारों लोग ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा की नमाज के लिए एकत्र होते थे।

2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से, जामा मस्जिद और ईदगाह में सामूहिक नमाज पर लगातार प्रतिबंध लगाया जा रहा है। प्रशासन ने न केवल ईद बल्कि शब-ए-कद्र, जुम्मत-उल-विदा, और नियमित शुक्रवार की नमाज पर भी रोक लगाई है। अनजुमन औकाफ ने इन प्रतिबंधों को कश्मीरी मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

  • वक्फ बोर्ड की भूमिका

2019 के बाद, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड, जो बीजेपी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार के अधीन है, ने कश्मीर के अधिकांश मस्जिदों और धार्मिक स्थलों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है। इस फैसले की मीरवाइज और अन्य राजनीतिक दलों ने आलोचना की है। वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंदराबी ने रविवार को दावा किया कि ईदगाह मैदान में चल रहे निर्माण कार्यों के कारण वहां नमाज की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी सामूहिक नमाज हजरतबल दरगाह में होगी। हालांकि, अनजुमन ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि निर्माण कार्य केवल एक बहाना है।

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जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में, जैसे हजरतबल दरगाह, बड़गाम जिले के खानकाह-ए-मौला, और छरारी शरीफ में, हजारों लोगों ने शनिवार को ईद-उल-अज़हा की नमाज अदा की। अधिकारियों ने बताया कि इन स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे ताकि नमाज शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया था ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

  • मीरवाइज की नजरबंदी

मीरवाइज उमर फारूक, जो जामा मस्जिद के मुख्य मौलवी और अनजुमन औकाफ के अध्यक्ष हैं, को 2019 से कई बार नजरबंद किया गया है। शनिवार को उनकी नजरबंदी ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया। अनजुमन ने कहा कि मीरवाइज की निरंतर नजरबंदी और धार्मिक आयोजनों पर रोक कश्मीरी मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत करती है। मीरवाइज ने अपने बयान में कहा कि यह कार्रवाई कश्मीर में सामान्य स्थिति के दावों को खोखला साबित करती है।

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