Political: महाराष्ट्र में 3 अक्टूबर को शास्त्रीय मराठी भाषा दिवस घोषित, हिंदी और मराठी भाषाओँ पर विवादों के बीच आया बड़ा फैसला।
Maharashtra Government: महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को सम्मान देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 3 अक्टूबर ...
महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को सम्मान देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 3 अक्टूबर को ‘शास्त्रीय मराठी भाषा दिवस’ के रूप में घोषित किया गया है, और इस दिन से शुरू होने वाला सप्ताह (3 से 9 अक्टूबर) ‘शास्त्रीय मराठी भाषा सप्ताह’ के रूप में मनाया जाएगा। यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा 3 अक्टूबर 2024 को मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के बाद लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य मराठी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसके संरक्षण को प्रोत्साहित करना और इसकी 2,500 वर्षों से अधिक पुरानी साहित्यिक परंपरा को जन-जन तक पहुंचाना है।
- शास्त्रीय मराठी भाषा दिवस की घोषणा
महाराष्ट्र सरकार के मराठी भाषा विभाग ने 3 जुलाई 2025 को एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया, जिसमें 3 अक्टूबर को शास्त्रीय मराठी भाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इसके साथ ही, 3 से 9 अक्टूबर तक शास्त्रीय मराठी भाषा सप्ताह के रूप में उत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, निजी उद्यमों और वित्तीय संस्थानों को मराठी भाषा के प्रचार और संरक्षण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इन आयोजनों में व्याख्यान, सेमिनार, प्राचीन ग्रंथों और ताम्रपटों की प्रदर्शनियां, निबंध प्रतियोगिताएं, प्रश्नोत्तरी, और अन्य सांस्कृतिक व शैक्षणिक गतिविधियां शामिल होंगी। सरकारी संकल्प में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्राचीन मराठी ग्रंथों और ताम्रपत्रों की प्रदर्शनियों के माध्यम से छात्रों और आम जनता को मराठी की शास्त्रीय परंपरा से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलीकरण, शास्त्रीय ग्रंथों का आधुनिक मराठी में अनुवाद, और संरक्षण विधियों पर वृत्तचित्रों का प्रदर्शन भी इस सप्ताह के दौरान प्रोत्साहित किया जाएगा।
- मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा
3 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया। यह निर्णय मराठी भाषा के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि यह भाषा 2,500 वर्षों से अधिक पुरानी साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अभियान लगभग 11 वर्षों तक चला, जिसमें महाराष्ट्र सरकार और मराठी भाषी समुदायों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
केंद्र सरकार के इस निर्णय से मराठी भाषा के अध्ययन, संरक्षण और वैश्विक प्रचार को बढ़ावा मिलेगा। शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने वाली भाषाओं को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, जिनमें विद्वानों के लिए दो प्रमुख वार्षिक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, डिजिटलीकरण और अनुवाद के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। यह दर्जा मराठी भाषा के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह मराठी के लिए ऐतिहासिक दिन है। 12 करोड़ मराठी लोगों की ओर से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी सम्माननीय मंत्रियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।”
शास्त्रीय मराठी भाषा सप्ताह का आयोजन मराठी भाषा की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। इस दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का उद्देश्य न केवल भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना भी है। स्कूलों और कॉलेजों में प्राचीन मराठी साहित्य के डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि छात्रों को इसकी समृद्धि से परिचित कराया जा सके। इसके अतिरिक्त, जिला स्तर पर मराठी भाषा समितियों की अध्यक्षता जिला कलेक्टर करेंगे, जो इस सप्ताह के आयोजनों की योजना और कार्यान्वयन की देखरेख करेंगे। इन समितियों को 31 अक्टूबर तक आयोजित गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट भाषा निदेशालय को सौंपने का निर्देश दिया गया है। इन उत्सवों का खर्च संबंधित विभागों के नियमित बजटीय आवंटन से पूरा किया जाएगा।
- मराठी भाषा की समृद्ध विरासत
मराठी भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में 13वें स्थान पर है। भारत में यह हिंदी और बंगाली के बाद तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसके 83 मिलियन से अधिक वक्ता हैं। मराठी साहित्य का इतिहास बहुत पुराना है, जिसमें ‘लीलाचरित्र’, ‘ज्ञानेश्वरी’, और ‘विवेक सिंधु’ जैसे ग्रंथ शामिल हैं। इन ग्रंथों ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मराठी भाषा ने न केवल साहित्य, बल्कि कला, संगीत, और रंगमंच के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वी.एस. खांडेकर, शिवाजी सावंत, और भालचंद्र नेमाडे जैसे लेखकों ने मराठी साहित्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया। इसके अलावा, मराठी रंगमंच और सिनेमा ने भी इस भाषा की लोकप्रियता को बढ़ाया है।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है, जब महाराष्ट्र में हिंदी लागू करने को लेकर विवाद चल रहा है। हाल ही में, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत त्रिभाषा नीति को लागू करने का प्रयास किया था, जिसमें हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में शामिल किया गया था। इस फैसले का विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों ने विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने अपने 16 अप्रैल और 17 जून के आदेशों को वापस ले लिया। इस पृष्ठभूमि में, शास्त्रीय मराठी भाषा दिवस की घोषणा को मराठी भाषा और संस्कृति के प्रति गर्व और सम्मान को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे ने इस संदर्भ में कहा, “हम चाहते हैं कि हमारी मातृभाषा मराठी का अपमान न हो और कोई भाषा जबरन थोपी न जाए।
What's Your Reaction?