देश- विदेश: छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सलमुक्त घोषित, चार दशकों की लड़ाई में सुरक्षाबलों की ऐतिहासिक जीत। 

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। यह घोषणा चार....

May 30, 2025 - 11:42
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देश- विदेश: छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सलमुक्त घोषित, चार दशकों की लड़ाई में सुरक्षाबलों की ऐतिहासिक जीत। 

देश- विदेश: 29 मई 2025 को, केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। यह घोषणा चार दशकों से चली आ रही नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। बस्तर, जो लंबे समय तक नक्सलियों का गढ़ रहा और हिंसा, आतंक, और अस्थिरता का पर्याय बन चुका था, अब सुरक्षाबलों की कड़ी मेहनत और रणनीतिक अभियानों के परिणामस्वरूप नक्सल प्रभाव से मुक्त हो गया है। केंद्र सरकार ने बस्तर को वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism, LWE) से मुक्त घोषित किया, जो सुरक्षाबलों, स्थानीय प्रशासन, और सरकार की समन्वित नीतियों का परिणाम है। हाल के महीनों में कई बड़े नक्सल कमांडरों के खिलाफ सफल ऑपरेशन ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। यह न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो नक्सलवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता और जीत को दर्शाता है।

  • बस्तर और नक्सलवाद का इतिहास

बस्तर, छत्तीसगढ़ का एक आदिवासी बहुल क्षेत्र, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। हालांकि, पिछले चार दशकों से यह क्षेत्र नक्सलवाद की चपेट में रहा, जिसने स्थानीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया और विकास को बाधित किया। 1980 के दशक से, बस्तर नक्सलियों का प्रमुख केंद्र रहा, जहां माओवादी विचारधारा के तहत सशस्त्र विद्रोहियों ने हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया। नक्सलियों ने स्थानीय प्रशासन, सुरक्षाबलों, और नागरिकों को निशाना बनाया, जिससे क्षेत्र में भय और अस्थिरता का माहौल बना रहा।

स्कूल, अस्पताल, सड़कें, और अन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के साथ-साथ नक्सलियों ने स्थानीय आदिवासियों को जबरन अपने संगठन में भर्ती किया, जिससे क्षेत्र का सामाजिक और आर्थिक ताना-बाना चरमरा गया। केंद्र और राज्य सरकारों ने नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए कई अभियान चलाए, लेकिन बस्तर का जटिल भूगोल, घने जंगल, और नक्सलियों की छिपने की रणनीति ने इसे एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना दिया। फिर भी, हाल के वर्षों में, खासकर 2020 के बाद, सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी रणनीति को और मजबूत किया, जिसके परिणामस्वरूप बस्तर अब नक्सलमुक्त हो गया है।

  • नक्सलमुक्त बस्तर की राह

बस्तर को नक्सलमुक्त बनाने की प्रक्रिया लंबी और कठिन रही है। सुरक्षाबलों, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), छत्तीसगढ़ पुलिस, और विशेष कार्य बल जैसे कोबरा (Commando Battalion for Resolute Action) शामिल हैं, ने नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए। इन अभियानों में खुफिया जानकारी, तकनीकी सहायता, और स्थानीय समुदायों का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने 2022 में नक्सलवाद को 2024 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में 2026 तक बढ़ाया गया।

हालांकि, बस्तर में अपेक्षा से पहले मिली इस सफलता ने इस लक्ष्य को समय से पहले हासिल करने की उम्मीद जगा दी है। हाल के महीनों में, सुरक्षाबलों ने बस्तर और आसपास के क्षेत्रों में कई बड़े नक्सल कमांडरों को ढेर किया। अप्रैल 2025 में, दंतेवाड़ा के जंगलों में एक बड़े ऑपरेशन में 12 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें दो शीर्ष कमांडर शामिल थे। इसके बाद, मई 2025 में, सुकमा-बस्तर सीमा पर एक और ऑपरेशन में सात नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें माओवादी संगठन का एक प्रमुख रणनीतिकार शामिल था।

इन अभियानों ने नक्सलियों की कमान और संचार व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। सुरक्षाबलों ने न केवल सशस्त्र कार्रवाई पर ध्यान दिया, बल्कि नक्सलियों के समर्थन आधार को कमजोर करने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास-निर्माण पर भी जोर दिया। सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में विकास योजनाओं को लागू किया, जिसमें सड़क निर्माण, स्कूलों और अस्पतालों की स्थापना, और रोजगार के अवसर शामिल हैं। इन प्रयासों ने स्थानीय लोगों को नक्सलियों के खिलाफ खड़ा होने और सुरक्षाबलों का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।

  • केंद्र सरकार की घोषणा

29 मई 2025 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बस्तर को नक्सलमुक्त घोषित किया। इस घोषणा में कहा गया कि बस्तर में अब कोई सक्रिय नक्सल गतिविधि नहीं है, और क्षेत्र में नक्सलियों का संगठन पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। गृह मंत्रालय ने इस उपलब्धि का श्रेय सुरक्षाबलों की मेहनत, स्थानीय प्रशासन की सक्रियता, और केंद्र व राज्य सरकार की समन्वित नीतियों को दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा, "बस्तर की यह जीत नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम है। सुरक्षाबलों ने दिन-रात एक कर इस क्षेत्र को आतंक से मुक्त किया है। यह छत्तीसगढ़ के लोगों और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।" उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अब बस्तर में विकास और पुनर्वास पर विशेष ध्यान देगी, ताकि क्षेत्र के लोग मुख्यधारा में पूरी तरह से शामिल हो सकें।

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  • सुरक्षाबलों की रणनीति

बस्तर को नक्सलमुक्त बनाने में सुरक्षाबलों की रणनीति अहम रही। उन्होंने निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाए:

खुफिया जानकारी का उपयोग: ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, और स्थानीय मुखबिरों की मदद से नक्सलियों के ठिकानों की सटीक जानकारी प्राप्त की गई। इससे लक्षित ऑपरेशन संभव हुए।
संयुक्त अभियान: सीआरपीएफ, कोबरा, और छत्तीसगढ़ पुलिस ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन चलाए, जिससे नक्सलियों को भागने का कोई मौका नहीं मिला।
आदिवासी समुदायों का सहयोग: सुरक्षाबलों ने स्थानीय आदिवासियों के साथ विश्वास बनाया और उन्हें नक्सलियों के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। कई पूर्व नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिससे संगठन कमजोर हुआ।
तकनीकी और प्रशिक्षण: सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियारों, रात में ऑपरेशन करने की क्षमता, और नक्सलियों की गुरिल्ला रणनीति का मुकाबला करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
विकास योजनाएं: सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान कीं, जिससे नक्सलियों का स्थानीय समर्थन कम हुआ।

नक्सलमुक्त घोषणा के बाद, केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें शामिल हैं:

आर्थिक विकास: बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति को विश्व स्तर पर प्रचारित किया जाएगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य: नए स्कूल, कॉलेज, और अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, आदिवासी युवाओं के लिए स्कॉलरशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे।
रोजगार सृजन: स्थानीय स्तर पर छोटे उद्योगों और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं लागू की जाएंगी।
पुनर्वास: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम चलाए जाएंगे, ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

  • नक्सलवाद के खिलाफ व्यापक लड़ाई

बस्तर की यह उपलब्धि नक्सलवाद के खिलाफ भारत की व्यापक लड़ाई का हिस्सा है। छत्तीसगढ़ के अलावा, ओडिशा, झारखंड, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी नक्सल प्रभाव कम हुआ है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच नक्सलियों से संबंधित हिंसक घटनाओं में 70% की कमी आई है, और 15,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। बस्तर की सफलता से प्रेरित होकर, सरकार अब अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी इसी रणनीति को लागू कर रही है।

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