यूपी के आगरा में थाना प्रभारी ने भाजपा मंडल अध्यक्ष को घसीटा, पार्टी कार्यकर्ताओं ने की निंदा।
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक थाने के अंदर भाजपा के मंडल अध्यक्ष के साथ कथित तौर पर अभद्र व्यवहार का मामला सामने आया है। मंगलवार की सुबह करीब दस बजे आगरा
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक थाने के अंदर भाजपा के मंडल अध्यक्ष के साथ कथित तौर पर अभद्र व्यवहार का मामला सामने आया है। मंगलवार की सुबह करीब दस बजे आगरा के एक कस्बे में अग्रवाल समाज से जुड़े मनोज अग्रवाल, जो भाजपा के मंडल मंत्री हैं, का स्थानीय ठेला संचालक दामोदर माहौर के बच्चों के साथ विवाद हो गया। यह झगड़ा मारपीट तक पहुंच गया, जिसके बाद मनोज अग्रवाल ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की। थाने पर थाना प्रभारी के न मिलने पर उन्होंने मंडल अध्यक्ष लवलेश को फोन किया और थाने बुला लिया। लेकिन वहां पहुंचने पर थाना प्रभारी ने कथित रूप से लवलेश के साथ दुर्व्यवहार किया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, थाना प्रभारी ने लवलेश को घसीटते हुए थाने के अंदर ले जाकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इस घटना ने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा कर दिया और उन्होंने थाने का घेराव कर प्रदर्शन किया।
यह घटना आगरा के ताजगंज थाना क्षेत्र से जुड़ी बताई जा रही है, जहां स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे विवाद आम हैं, लेकिन पुलिस की भूमिका पर सवाल उठना नया नहीं है। मनोज अग्रवाल ने बताया कि सुबह के समय कस्बे की मुख्य सड़क पर ठेले वालों के बच्चों ने उनके वाहन को रास्ता रोक लिया था। बात बढ़ने पर मामूली धक्का-मुक्की हुई, जिसमें कोई गंभीर चोट नहीं लगी। लेकिन सामाजिक सम्मान को ठेस पहुंचने का अहसास होने पर उन्होंने तुरंत थाने जाने का फैसला किया। थाने पहुंचे तो स्टाफ ने कहा कि प्रभारी महोदय मीटिंग में हैं। इंतजार करने के बजाय मनोज ने मंडल अध्यक्ष लवलेश को बुलाया, जो भाजपा की स्थानीय इकाई में सक्रिय हैं। लवलेश थाने पहुंचे तो प्रभारी भी आ गए, लेकिन बातचीत के बजाय उन्होंने लवलेश को कोलर से पकड़कर अंदर घसीट लिया। चश्मदीदों ने कहा कि प्रभारी ने चिल्लाते हुए कहा, यहां आकर हंगामा मत करो, वरना मुकदमा लिख दूंगा। लवलेश ने विरोध किया, लेकिन सिपाहियों ने उन्हें घेर लिया।
इस घटना की जानकारी फैलते ही भाजपा के अन्य कार्यकर्ता थाने पहुंच गए। उन्होंने नारेबाजी की और थाना प्रभारी के खिलाफ नारों का सहारा लिया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि प्रभारी पर तत्काल कार्रवाई हो, वरना आंदोलन तेज किया जाएगा। स्थानीय भाजपा विधायक ने भी इसकी निंदा की और कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता जनसेवा के लिए घर-घर जाते हैं, लेकिन पुलिस का यह रवैया असहनीय है। आगरा के भाजपा जिला अध्यक्ष ने बताया कि मामले की शिकायत एसएसपी से की गई है और जल्द ही उच्च स्तरीय जांच होगी। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल लवलेश के साथ अन्याय है, बल्कि पूरी पार्टी के सम्मान पर चोट है। दूसरी ओर, थाना प्रभारी ने सफाई दी कि लवलेश ने थाने में हंगामा मचाया था, इसलिए उन्हें शांत करने के लिए अंदर ले जाना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि कोई घसीटने की घटना नहीं हुई, सिर्फ समझाइश दी गई। लेकिन वीडियो फुटेज सामने आने पर यह दावा कमजोर पड़ गया।
आगरा पुलिस ने घटना के बाद शांति बहाल करने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की। एसएसपी ने कहा कि जांच के आदेश दिए गए हैं और यदि प्रभारी दोषी पाए गए तो सख्त कार्रवाई होगी। यह मामला उत्तर प्रदेश में पुलिस और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच तनाव को उजागर करता है। पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई उदाहरण आए हैं, जहां थानों में छोटे विवाद बड़े हंगामे में बदल गए। उदाहरण के लिए, गाजीपुर के नोनहरा थाने में बिजली के खंभे को लेकर विवाद में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहां भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। इसी तरह, बरेली में एक युवक की बाइक चोरी की शिकायत पर थानेदार ने थप्पड़ जड़ दिया। ये घटनाएं बताती हैं कि थानों में शिकायत दर्ज कराना कभी-कभी पीड़ित के लिए ही मुसीबत बन जाता है।
लवलेश ने अपनी शिकायत में कहा कि वह सिर्फ पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में मदद करने आए थे, लेकिन प्रभारी ने उन्हें गुंडा समझ लिया। उन्होंने बताया कि थाने के अंदर घसीटे जाने से उनके कपड़े फट गए और हाथ पर चोट लगी। मनोज अग्रवाल ने भी कहा कि ठेले वालों के बच्चों ने पहले हमला किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी बजाय उन्हें ही दोषी ठहराया। दामोदर माहौर के परिवार ने पलटवार किया और कहा कि विवाद में मनोज ने ही बच्चों को धमकाया था। उन्होंने भी थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन मुख्य मुद्दा थाना प्रभारी का व्यवहार बना हुआ है।
भाजपा की स्थानीय इकाई ने इस घटना को पार्टी के खिलाफ साजिश करार दिया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि योगी सरकार में कानून-व्यवस्था मजबूत होने का दावा किया जाता है, लेकिन थानों में ही न्याय नहीं मिलता। आगरा में भाजपा के कई मंडलों ने संयुक्त बैठक बुलाई है, जहां इस मुद्दे पर चर्चा होगी। विपक्षी दलों ने भी इसे तूल दिया है। समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा कि भाजपा सरकार में पुलिस का रवैया आम आदमी के प्रति तानाशाही वाला हो गया है। उन्होंने मांग की कि प्रभारी को निलंबित किया जाए। कांग्रेस ने भी ट्वीट कर इसकी निंदा की।
यह घटना स्थानीय समुदाय में चर्चा का विषय बनी हुई है। अग्रवाल समाज के सदस्यों ने कहा कि मनोज समाज के सम्मानित व्यक्ति हैं और उनके साथ हुए अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ठेले संचालक दामोदर माहौर के परिवार ने शांति की अपील की, लेकिन विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की, लेकिन विश्वास बहाली मुश्किल लग रही है। आगरा के एसपी सिटी ने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है और दोषी पर कार्रवाई निश्चित है।
इस तरह के मामलों से उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठते रहते हैं। सरकार ने कई सुधार किए हैं, जैसे थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना और शिकायत निवारण तंत्र मजबूत करना। लेकिन जमीनी स्तर पर अमल में कमी दिखती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस को प्रशिक्षण की जरूरत है ताकि राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के साथ संवेदनशीलता से पेश आ सकें। लवलेश की घटना ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है।
घटना के बाद लवलेश को अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि चोटें गंभीर नहीं हैं, लेकिन मानसिक आघात गहरा है। भाजपा ने पार्टी स्तर पर समर्थन का ऐलान किया है। मंडल स्तर के अन्य अध्यक्षों ने एकजुटता दिखाई। यह मामला अब आगरा से बाहर भी फैल रहा है, क्योंकि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया है। कई यूजर्स ने पुलिस की आलोचना की, जबकि कुछ ने कहा कि कार्यकर्ताओं को थाने में हंगामा नहीं करना चाहिए।
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