पांच साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर शुरू- अक्टूबर अंत तक चालू होगी IndiGo की कोलकाता-गुआंगझोउ सेवा, संबंधों में नरमी का संकेत

पांच साल पहले, मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण दोनों देशों के बीच व्यावसायिक उड़ानें बंद कर दी गई थीं। इसके बाद गलवान घाटी में जून 2020 की हिंसक झड़प ने संबंधों को और तनावपू

Oct 3, 2025 - 13:43
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पांच साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर शुरू- अक्टूबर अंत तक चालू होगी IndiGo की कोलकाता-गुआंगझोउ सेवा, संबंधों में नरमी का संकेत
पांच साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर शुरू- अक्टूबर अंत तक चालू होगी IndiGo की कोलकाता-गुआंगझोउ सेवा, संबंधों में नरमी का संकेत

भारत और चीन के बीच संबंधों में धीरे-धीरे सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पांच साल से अधिक समय से बंद पड़ी सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू करने पर दोनों देश सहमत हो गए हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2025 के अंत तक निर्दिष्ट शहरों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स बहाल हो जाएंगी। यह फैसला विमानन प्राधिकरणों के बीच चली आ रही तकनीकी चर्चाओं का परिणाम है, जो इस साल की शुरुआत से ही एक संशोधित हवाई सेवा समझौते पर काम कर रहे थे। इस कदम से व्यापारिक यात्रियों, छात्रों, पर्यटकों और परिवारों के बीच संपर्क बढ़ेगा, जो द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

यह घोषणा 2 अक्टूबर 2025 को विदेश मंत्रालय ने की। बयान में कहा गया कि भारत और चीन के सिविल एविएशन अथॉरिटी ने वर्ष की शुरुआत से ही सीधी उड़ानों को बहाल करने और एयर सर्विसेज एग्रीमेंट को अपडेट करने पर चर्चा की थी। इसके बाद सहमति बनी कि विन्टर शेड्यूल के अनुरूप अक्टूबर के अंत तक सेवाएं शुरू हो सकती हैं। हालांकि, यह एयरलाइंस के व्यावसायिक फैसलों और सभी परिचालन मानदंडों के पूरा होने पर निर्भर करेगा। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कदम लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देगा और द्विपक्षीय आदान-प्रदान को धीरे-धीरे सामान्य बनाने में मदद करेगा।

पांच साल पहले, मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण दोनों देशों के बीच व्यावसायिक उड़ानें बंद कर दी गई थीं। इसके बाद गलवान घाटी में जून 2020 की हिंसक झड़प ने संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया। परिणामस्वरूप, उड़ानें बहाल न हो सकीं। यात्रियों को हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर या बैंकॉक जैसे हबों से कनेक्टिंग फ्लाइट्स लेनी पड़ती रहीं, जिससे समय और खर्च दोनों बढ़ गए। इससे व्यापार, शिक्षा और पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुए। चीन भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापार साझेदार है, जहां 2024-25 में व्यापार घाटा लगभग 99.2 अरब डॉलर रहा। सीधी उड़ानों की कमी ने इस घाटे को और गहरा किया।

अब स्थिति बदल रही है। हाल के महीनों में कई सकारात्मक कदम उठे हैं। अगस्त 2025 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत हुई, जहां दोनों पक्षों ने मुख्यभूमि चीन और भारत के बीच डायरेक्ट कनेक्टिविटी जल्द बहाल करने और एयर सर्विसेज एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई। सितंबर 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट के साइडलाइन्स पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई और व्यापार घाटे की चिंता व्यक्त की। उन्होंने सीमा पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया। इसी मुलाकात के बाद उड़ानों पर तेजी आई।

इंडिगो एयरलाइंस ने सबसे पहले इस अवसर का लाभ उठाया। 2 अक्टूबर को कंपनी ने घोषणा की कि 26 अक्टूबर 2025 से कोलकाता से गुआंगझोउ के बीच दैनिक नॉन-स्टॉप उड़ानें शुरू होंगी। एयरबस A320neo विमानों से संचालित ये फ्लाइट्स व्यापारिक यात्रियों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई हैं, जो चीन से उत्पाद आयात करने वाले व्यापारियों के लिए सहूलियत प्रदान करेंगी। इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने कहा, "यह कदम हमारी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को मजबूत करेगा। हम चीन में और अधिक सीधी उड़ानें जोड़ने की योजना बना रहे हैं।" कंपनी ने इसे वैश्विक विमानन खिलाड़ी बनने की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।

एयर इंडिया भी पीछे नहीं है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी वर्ष के अंत तक दिल्ली से शंघाई की उड़ानें फिर शुरू कर देगी। यह रूट व्यापार समुदाय और छात्रों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि शंघाई चीन का प्रमुख आर्थिक केंद्र है। एयर इंडिया ने आखिरी बार फरवरी 2020 में चीन उड़ानें संचालित की थीं। इसके अलावा, चीन ईस्टर्न एयरलाइंस जैसी चीनी कंपनियां भी रूट्स पर विचार कर रही हैं। संशोधित एग्रीमेंट के तहत, दोनों देशों की नामित एयरलाइंस निर्दिष्ट बिंदुओं के बीच उड़ानें चला सकेंगी। इससे पहले, महामारी से पूर्व 20 से अधिक साप्ताहिक उड़ानें संचालित होती थीं, जिनमें एयर इंडिया, इंडिगो के साथ एयर चाइना और चाइना साउदर्न शामिल थे।

यह फैसला केवल विमानन तक सीमित नहीं है। यह द्विपक्षीय संबंधों में नरमी का प्रतीक है। गलवान के बाद दोनों सेनाओं के बीच डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया चली, जो अक्टूबर 2024 में काजान में मोदी-शी मुलाकात के बाद तेज हुई। सीमा प्रबंधन पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ। कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी फिर से शुरू किया गया। पिछले महीने भारत ने चीनी नागरिकों को वीजा जारी करना शुरू किया। ये कदम आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि सीधी उड़ानें व्यापार को गति देंगी, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में। पर्यटन भी फलेगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा।

सोशल मीडिया पर इस खबर का स्वागत हो रहा है। एक्स पर कई यूजर्स ने इसे संबंधों में सुधार का संकेत बताया। एक पोस्ट में कहा गया, "पांच साल बाद सीधी उड़ानें, उम्मीद है सीमा पर भी शांति बनी रहे।" इंडिगो की घोषणा पर व्यापारियों ने खुशी जताई। हालांकि, कुछ ने सतर्कता बरतने की सलाह दी, क्योंकि व्यापार घाटा अभी भी चिंता का विषय है। विपक्ष ने सरकार की सराहना की, लेकिन पूछा कि सीमा विवाद का स्थायी समाधान कब होगा।

भारत-चीन संबंध वैश्विक संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। दोनों दुनिया की दूसरी और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। एससीओ जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा है। लेकिन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव बरकरार है। उड़ानों का बहाल होना एक छोटा लेकिन सकारात्मक कदम है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि इससे हवाई संपर्क मजबूत होगा, जो आर्थिक सहयोग को बढ़ाएगा। यात्रियों को अब सस्ते और तेज विकल्प मिलेंगे।

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