जानें आपके शहर में 29 अगस्त 2025 को पेट्रोल और डीजल की कीमतें- शहरों और राज्यों के आधार पर नवीनतम अपडेट्स। 

Today Petrol Price: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज़ाना सुबह 6 बजे संशोधित की जाती हैं, और यह प्रक्रिया जून 2017 से लागू डायनामिक फ्यूल प्राइसिंग मैथोडोलॉजी के तहत होती है। यह नीति अंतरराष्ट्रीय

Aug 29, 2025 - 10:22
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जानें आपके शहर में 29 अगस्त 2025 को पेट्रोल और डीजल की कीमतें- शहरों और राज्यों के आधार पर नवीनतम अपडेट्स। 
जानें आपके शहर में 29 अगस्त 2025 को पेट्रोल और डीजल की कीमतें- शहरों और राज्यों के आधार पर नवीनतम अपडेट्स। 

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज़ाना सुबह 6 बजे संशोधित की जाती हैं, और यह प्रक्रिया जून 2017 से लागू डायनामिक फ्यूल प्राइसिंग मैथोडोलॉजी के तहत होती है। यह नीति अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों, रुपये-डॉलर विनिमय दर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए मूल्य वर्धित कर (वैट), परिवहन लागत और डीलर कमीशन जैसे कारकों पर आधारित है। 29 अगस्त 2025 को, भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग रही हैं, जो स्थानीय कर संरचना और अन्य लागतों के कारण भिन्न होती हैं। इस खबर में, हम लखनऊ, दिल्ली, नोएडा, आगरा, बरेली, असम, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, तमिलनाडु और बिहार जैसे प्रमुख स्थानों में आज की तारीख को पेट्रोल और डीजल की कीमतों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे। यह जानकारी एनडीटीवी और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है।

भारत में ईंधन की कीमतें न केवल अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करती हैं, बल्कि देश की 80 प्रतिशत से अधिक तेल आवश्यकताओं के आयात पर भी आधारित हैं। इसके अलावा, रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव का भी घरेलू ईंधन की कीमतों पर सीधा असर पड़ता है। कमजोर रुपये के कारण कच्चे तेल की लागत बढ़ जाती है, जिसका प्रभाव पंप की कीमतों पर दिखता है। केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारों द्वारा वैट में अंतर के कारण विभिन्न शहरों और राज्यों में कीमतें अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में अन्य मेट्रो शहरों और अधिकांश राज्य की राजधानियों की तुलना में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हैं, क्योंकि दिल्ली में कर की दरें अपेक्षाकृत कम हैं।

29 अगस्त 2025 को, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.67 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई। यह जानकारी एनडीटीवी के नवीनतम अपडेट्स के आधार पर है। दिल्ली में कम करों के कारण ईंधन की कीमतें अन्य मेट्रो शहरों जैसे मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई की तुलना में सस्ती हैं। मुम्बई में पेट्रोल की कीमत 103.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.03 रुपये प्रति लीटर रही। कोलकाता में पेट्रोल 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.02 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बिका। चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 100.80 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 92.39 रुपये प्रति लीटर थी। इन कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ, जैसा कि 26 अगस्त 2025 के आंकड़ों में भी देखा गया था।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी ईंधन की कीमतों में अंतर देखने को मिलता है। लखनऊ में 29 अगस्त 2025 को पेट्रोल की कीमत 94.73 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.69 रुपये प्रति लीटर थी। नोएडा में पेट्रोल 94.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.67 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर रहा। आगरा में पेट्रोल की कीमत 94.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.62 रुपये प्रति लीटर थी। बरेली में पेट्रोल की कीमत 94.51 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.62 रुपये प्रति लीटर के आसपास थी। इन कीमतों में मामूली बदलाव देखे गए, जो स्थानीय करों और परिवहन लागत के कारण हैं। उत्तर प्रदेश में औसतन पेट्रोल की कीमत 94.51 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 87.62 रुपये प्रति लीटर रही।

असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में ईंधन की कीमतें अन्य क्षेत्रों की तुलना में थोड़ी अधिक रही हैं। असम में औसत पेट्रोल की कीमत 98.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.20 रुपये प्रति लीटर थी। गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहर में पेट्रोल की कीमत 99.00 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.20 रुपये प्रति लीटर के आसपास थी। यह अंतर परिवहन लागत और राज्य सरकार द्वारा लगाए गए वैट के कारण है। बिहार में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपेक्षाकृत अधिक थीं। बिहार में औसतन पेट्रोल की कीमत 106.94 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 93.19 रुपये प्रति लीटर रही। पटना में पेट्रोल 106.94 रुपये प्रति लीटर और डीजल 93.19 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बिका।

तमिलनाडु में पेट्रोल की औसत कीमत 102.18 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 92.39 रुपये प्रति लीटर थी। चेन्नई, जो तमिलनाडु का प्रमुख मेट्रो शहर है, में पेट्रोल की कीमत 100.80 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 92.39 रुपये प्रति लीटर थी। तमिलनाडु के अन्य शहरों जैसे कोयंबटूर या मदुरै में कीमतें थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, लेकिन राज्य की औसत कीमतें चेन्नई के आसपास ही रहती हैं। यह भिन्नता स्थानीय कर संरचना और डीलर कमीशन पर निर्भर करती है।

भारत में ईंधन की कीमतों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें सबसे महत्वपूर्ण हैं। भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है, इसलिए वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ता है। इसके अलावा, रुपये के मूल्य में कमी से आयात लागत बढ़ती है, जिसका प्रभाव पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर दिखता है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए वैट भी कीमतों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में कम वैट के कारण ईंधन की कीमतें मुम्बई या कोलकाता की तुलना में सस्ती हैं।

ईंधन की कीमतों में दैनिक संशोधन की नीति ने उपभोक्ताओं और डीलरों के बीच पारदर्शिता बढ़ाई है। पहले, कीमतें हर महीने की 1 और 16 तारीख को संशोधित की जाती थीं, जिसके कारण कीमतों में बदलाव की प्रत्याशा में सट्टा खरीद बढ़ जाती थी। दैनिक संशोधन नीति ने इस समस्या को काफी हद तक कम किया है। उपभोक्ता अब इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसे तेल विपणन कंपनियों की वेबसाइट्स या मोबाइल ऐप्स के माध्यम से रोज़ाना की कीमतें देख सकते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता अपने शहर की कीमतें जानने के लिए 92249 92249 पर "RSP <स्पेस> डीलर कोड" एसएमएस करके भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के लिए "RSP 102090" भेजा जा सकता है।

ईंधन की कीमतों का अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। डीजल, जो भारत में माल परिवहन का प्रमुख स्रोत है, की कीमतों में बदलाव से मुद्रास्फीति पर सीधा असर पड़ता है। उच्च डीजल की कीमतें परिवहन लागत को बढ़ाती हैं, जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी प्रभावित होती हैं। इसके अलावा, पेट्रोल की कीमतें निजी वाहन मालिकों और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह उनके मासिक बजट को प्रभावित करता है।

भारत सरकार ने ईंधन सब्सिडी को धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार माना जाता है। इससे सरकार को सामाजिक और अन्य सब्सिडी योजनाओं के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हुए हैं। हालांकि, ईंधन की कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, खासकर उन राज्यों में जहां वैट की दरें अधिक हैं।

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