पहलगाम आतंकी हमले पर ओवैसी का तीखा हमला- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मांगा इस्तीफा।

Political News: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी....

Jul 18, 2025 - 12:35
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पहलगाम आतंकी हमले पर ओवैसी का तीखा हमला- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मांगा इस्तीफा।
पहलगाम आतंकी हमले पर ओवैसी का तीखा हमला- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मांगा इस्तीफा।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से इस्तीफे की मांग की है। ओवैसी ने 16 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “अगर उपराज्यपाल ने हमले की जिम्मेदारी ली है और उन्हें इतनी पीड़ा हो रही है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।” यह बयान तब आया जब मनोज सिन्हा ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में स्वीकार किया कि पहलगाम हमला खुफिया और सुरक्षा तंत्र की विफलता के कारण हुआ। पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए। मरने वालों में ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, और ओवैसी ने दावा किया कि हमलावरों ने पहले उनका धर्म पूछा और फिर उन्हें निशाना बनाया। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जिसे भारत और अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी संगठन माना है। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक आतंकी हमला माना गया। इसने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की कमियों को उजागर किया।

हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ी कार्रवाई की। 7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर है। ओवैसी ने इस ऑपरेशन की सराहना की और कहा कि सरकार को इसे और तेज करना चाहिए।

  • ओवैसी का बयान और इस्तीफे की मांग

16 जुलाई 2025 को नांदेड़ में पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों को उनके धर्म के आधार पर मार दिया गया। अगर उपराज्यपाल ने सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी ली है, तो उन्हें नैतिकता के आधार पर अपने पद से हट जाना चाहिए।” ओवैसी ने यह भी कहा कि वह संसद के आगामी मानसून सत्र में केंद्र सरकार से इस हमले पर जवाब मांगेंगे। उनका सवाल था कि जब कश्मीर में इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का दावा किया जाता है, तो आतंकी इतने अंदर तक कैसे घुस आए?

ओवैसी ने तेलंगाना के बोधन में 16 जुलाई को एक जनसभा में भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा, “जब आतंकी हमारे हिंदू भाइयों को मार रहे थे, तब प्रशासन क्या सो रहा था? यह खुफिया तंत्र की पूरी तरह नाकामी है।” उन्होंने केंद्र सरकार पर बिहार में मतदाता सूची से बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों की पहचान करने में तो सक्रियता दिखाने, लेकिन पहलगाम जैसे हमले को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।

  • मनोज सिन्हा का बयान

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 15 जुलाई 2025 को एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में स्वीकार किया कि पहलगाम हमला खुफिया और सुरक्षा तंत्र की विफलता थी। उन्होंने कहा, “यह एक दुखद घटना थी, और मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।” सिन्हा ने यह भी जोड़ा कि पिछले पांच वर्षों में कई आतंकी सरगनाओं को खत्म किया गया है, और इस हमले के दोषियों का भी यही हश्र होगा।

सिन्हा के इस बयान के बाद कई विपक्षी नेताओं और संगठनों ने उनकी आलोचना की। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने सिन्हा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से तत्काल इस्तीफे की मांग की। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा गया कि सिन्हा का जिम्मेदारी लेना केंद्रीय नेतृत्व को बचाने की कोशिश है।

ओवैसी उस बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिसने पहलगाम हमले के बाद भारत के आतंकवाद-विरोधी रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया की यात्रा की। सऊदी अरब के रियाद में एक कार्यक्रम में ओवैसी ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान खुद को मुस्लिम दुनिया का रहनुमा बताता है, लेकिन भारत में 240 मिलियन मुसलमान शांति से रहते हैं।” उन्होंने पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डालने की वकालत की और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को और तेज करने की मांग की।

पहलगाम हमले ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर किया। ओवैसी ने सवाल उठाया कि इतने बड़े हमले को रोकने में खुफिया एजेंसियां क्यों नाकाम रहीं। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि सुरक्षा तंत्र की पूरी तरह विफलता है।” सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि TRF जैसे संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर काम करते हैं, और इस हमले में उनकी भूमिका की गहन जांच जरूरी है।

इस हमले और ओवैसी के बयान ने देश में तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग ओवैसी के बयान को राजनीतिक स्टंट मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि वह सुरक्षा चूक को उजागर करने में सही हैं। सोशल मीडिया पर भी सिन्हा के बयान की आलोचना हुई, और कुछ यूजर्स ने इसे उनकी जिम्मेदारी स्वीकार करने की देरी से जोड़ा। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी की सक्रियता को भी उनकी राजनीतिक रणनीति से जोड़ा जा रहा है।

पहलगाम आतंकी हमला भारत के लिए एक बड़ा झटका था, जिसने सुरक्षा तंत्र की कमियों को सामने ला दिया। असदुद्दीन ओवैसी की मनोज सिन्हा से इस्तीफे की मांग ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। सिन्हा ने भले ही जिम्मेदारी स्वीकार की हो, लेकिन उनकी ओर से इस्तीफे का कोई संकेत नहीं है। दूसरी ओर, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए आतंकियों को जवाब दिया है, और ओवैसी ने इसकी सराहना करते हुए इसे और तेज करने की मांग की है। संसद का मानसून सत्र इस मुद्दे पर गर्मागर्म बहस का गवाह बनेगा, जहां केंद्र सरकार को जवाब देना होगा।

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