मिग-21 की अंतिम उड़ान- नाल एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख ने दी भावुक विदाई, चंडीगढ़ में होगा औपचारिक समापन। 

flight of Mig-21: भारतीय वायुसेना के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21, जो छह दशकों से अधिक समय तक भारत के आसमान की शान रहा, ने 18 और 19 अगस्त 2025 को राजस्थान के नाल एयरबेस पर अपनी अंतिम

Aug 26, 2025 - 12:24
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मिग-21 की अंतिम उड़ान- नाल एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख ने दी भावुक विदाई, चंडीगढ़ में होगा औपचारिक समापन। 
मिग-21 की अंतिम उड़ान- नाल एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख ने दी भावुक विदाई, चंडीगढ़ में होगा औपचारिक समापन। 

भारतीय वायुसेना के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21, जो छह दशकों से अधिक समय तक भारत के आसमान की शान रहा, ने 18 और 19 अगस्त 2025 को राजस्थान के नाल एयरबेस पर अपनी अंतिम परिचालन उड़ानें भरीं। इस ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित करने के लिए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने मिग-21 बाइसन में एकल उड़ानें भरीं, जिसे भारतीय वायुसेना के लिए एक भावुक विदाई माना गया। मिग-21 की औपचारिक विदाई समारोह 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में होगा, जहां इसे 1963 में पहली बार शामिल किया गया था। यह विमान न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक रहा, बल्कि इसने कई पीढ़ियों के पायलटों को प्रशिक्षित भी किया। मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था, और यह भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। इसकी तेज गति, फुर्ती, और सादगी ने इसे वायुसेना का रीढ़ बना दिया। यह विमान 250 मीटर प्रति सेकंड से अधिक की गति से ऊंचाई हासिल करने में सक्षम था, जिसने इसे एक शक्तिशाली इंटरसेप्टर बनाया। विश्व स्तर पर, मिग-21 सबसे अधिक उत्पादित सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है, जिसके 11,000 से अधिक यूनिट 60 से अधिक देशों की वायुसेनाओं में सेवा दे चुके हैं। भारत में इसने 1965 और 1971 के युद्धों, 1999 के कारगिल युद्ध, और 2019 के बालाकोट हवाई संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

18 और 19 अगस्त को नाल एयरबेस, बीकानेर में मिग-21 की अंतिम उड़ानें हुईं। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने नाल में नंबर 23 स्क्वाड्रन “पैंथर्स” का दौरा किया, जो मिग-21 को संचालित करने वाली अंतिम इकाई है। उन्होंने एकल उड़ान के साथ-साथ स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा के नेतृत्व में एक संरचना उड़ान में भी हिस्सा लिया। यह उड़ान परंपरा और परिवर्तन का प्रतीक थी, क्योंकि प्रिया उन 20 से अधिक महिला लड़ाकू पायलटों में से एक हैं, जो अब सुखोई-30 MKI और राफेल जैसे आधुनिक विमानों को उड़ा रही हैं। वायुसेना के आधिकारिक X हैंडल ने इस घटना को साझा करते हुए लिखा, “मिग-21 की विरासत का सम्मान करते हुए, वायुसेना प्रमुख ने अंतिम स्क्वाड्रन का दौरा किया और उड़ान भरी। 26 सितंबर को मिग-21 छह दशकों की शानदार सेवा के बाद सेवानिवृत्त होगा।” एयर चीफ मार्शल सिंह ने उड़ान के बाद कहा, “मिग-21 1960 के दशक से वायुसेना का कार्यक्षम रहा है। मैंने 1985 में तेजपुर में इसका टाइप-77 संस्करण पहली बार उड़ाया था। यह एक फुर्तीला और शानदार विमान है, लेकिन अब इसका तकनीकी समय समाप्त हो चुका है।” उन्होंने यह भी बताया कि मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस, राफेल, और सुखोई-30 जैसे आधुनिक विमान लेंगे। मिग-21 की डिजाइन और रखरखाव की चुनौतियां बढ़ गई थीं, जिसके कारण इसे सेवानिवृत्त करने का निर्णय लिया गया।

मिग-21 का युद्ध इतिहास शानदार रहा है। 1965 के युद्ध में इसने पहली बार युद्ध में हिस्सा लिया। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में इसने ढाका में गवर्नर हाउस पर हमला किया, जिसके बाद पाकिस्तान ने 16 दिसंबर को 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया। 1999 के कारगिल युद्ध में ऑपरेशन सफेद सागर के तहत मिग-21 ने पाकिस्तानी अटलांटिक विमान को मार गिराया। 2019 में, बालाकोट हवाई संघर्ष के दौरान, मिग-21 ने पाकिस्तान के F-16 विमान को नष्ट किया, जिसे एक दुर्लभ उपलब्धि माना जाता है। हालांकि, मिग-21 का इतिहास विवादों से भी घिरा रहा। इसके उच्च दुर्घटना दर के कारण इसे “उड़ता ताबूत” भी कहा गया। कई दुर्घटनाएं पायलट की गलती, पुरानी तकनीक, और रखरखाव की समस्याओं के कारण हुईं। फिर भी, इसके बाइसन संस्करण में आधुनिक रडार, एवियोनिक्स, और लंबी दूरी की मिसाइलों को शामिल कर इसे आधुनिक बनाया गया था। वर्तमान में, केवल दो स्क्वाड्रन मिग-21 संचालित कर रहे हैं, जो सितंबर 2025 में पूरी तरह सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

मिग-21 की जगह लेने के लिए स्वदेशी तेजस विमान को तैयार किया गया है। एयर चीफ मार्शल सिंह ने बताया कि तेजस को मिग-21 के प्रतिस्थापन के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसमें मिराज विमान से प्रेरणा ली गई। तेजस अपने छोटे आकार और बहु-भूमिका क्षमता के साथ मिग-21 की विरासत को आगे बढ़ाएगा। 83 तेजस विमानों का अनुबंध पहले ही हो चुका है, और भविष्य में इसके और संस्करण, जैसे तेजस Mk2 और उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA), विकसित किए जाएंगे। 26 सितंबर को चंडीगढ़ में होने वाला विदाई समारोह नंबर 28 स्क्वाड्रन “फर्स्ट सुपरसोनिक्स” द्वारा आयोजित किया जाएगा, जिसने 1963 में मिग-21 को पहली बार शामिल किया था। यह समारोह न केवल एक विमान की सेवानिवृत्ति का प्रतीक होगा, बल्कि भारतीय वायुसेना के एक युग के अंत को भी दर्शाएगा। मिग-21 ने न केवल युद्ध में अपनी ताकत दिखाई, बल्कि सैकड़ों पायलटों को सुपरसोनिक उड़ान और युद्ध कला सिखाई।

सोशल मीडिया पर इस विदाई ने भावनात्मक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं। एक X यूजर ने लिखा, “मिग-21 भारतीय वायुसेना का गौरव रहा है। इसका अंतिम उड़ान देखकर भावुक हो गया।” एक अन्य यूजर ने कहा, “तेजस और राफेल अब हमारी शक्ति हैं, लेकिन मिग-21 की कहानियां हमेशा याद रहेंगी।” मिग-21 की सेवानिवृत्ति भारतीय वायुसेना के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। तेजस, राफेल, सुखोई-30 MKI, मिराज-2000, और जगुआर जैसे आधुनिक विमान अब भारत की हवाई शक्ति को मजबूत करेंगे। यह परिवर्तन स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता पर जोर देता है, जो भारत की रक्षा नीति का आधार है। मिग-21 ने अपने समय में भारत के आसमान को सुरक्षित रखा और अब उसकी विरासत को नए विमान आगे बढ़ाएंगे।

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