भारत का सुदर्शन चक्र- DRDO ने स्वदेशी IADWS का सफल परीक्षण किया, दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को हवा में नष्ट करने की ताकत। 

Trending News: भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 23 अगस्त 2025 को ओडिशा तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार

Aug 25, 2025 - 13:23
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भारत का सुदर्शन चक्र- DRDO ने स्वदेशी IADWS का सफल परीक्षण किया, दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को हवा में नष्ट करने की ताकत। 
भारत का सुदर्शन चक्र- DRDO ने स्वदेशी IADWS का सफल परीक्षण किया, दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को हवा में नष्ट करने की ताकत। 

भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 23 अगस्त 2025 को ओडिशा तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण दोपहर 12:30 बजे चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज में किया गया। इस स्वदेशी मल्टीलेयर वायु रक्षा प्रणाली ने तीन अलग-अलग लक्ष्यों दो हाई-स्पीड फिक्स्ड-विंग ड्रोन और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन को अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर एक साथ नष्ट कर अपनी ताकत दिखाई। IADWS में त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (QRSAM), उन्नत बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS), और उच्च शक्ति वाला लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW) शामिल हैं। यह प्रणाली मिशन सुदर्शन चक्र का हिस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस पर घोषित किया था। यह भारत को 2035 तक हवाई हमलों से पूरी तरह सुरक्षित करने का लक्ष्य रखता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह भारत की महत्वपूर्ण सुविधाओं को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।

IADWS एक अत्याधुनिक मल्टीलेयर वायु रक्षा प्रणाली है, जो पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसके तीन मुख्य घटक हैं: QRSAM, VSHORADS, और DEW। QRSAM एक त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो सेना के बख्तरबंद दस्तों को हवाई हमलों से बचाने के लिए बनाई गई है। यह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (RF Seeker) से लैस है, जिसमें मोबाइल लॉन्चर, स्वचालित कमांड और कंट्रोल सिस्टम, और निगरानी रडार शामिल हैं। यह मिसाइल 30 किलोमीटर की रेंज में हाई-स्पीड और लो-स्पीड लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है। VSHORADS एक बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल है, जो 6-8 किलोमीटर की रेंज में ड्रोन, हेलीकॉप्टर और छोटे हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाती है। DEW एक लेजर आधारित हथियार है, जो 3-5 किलोमीटर की दूरी पर ड्रोन और छोटे प्रोजेक्टाइल को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी खासियत यह है कि यह लक्ष्य के सेंसर और निगरानी उपकरणों को निष्क्रिय कर सकता है। इन तीनों घटकों का संचालन हैदराबाद के रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला द्वारा विकसित केंद्रीकृत कमांड और कंट्रोल सेंटर से होता है। परीक्षण के दौरान, IADWS ने अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया। चांदीपुर में तैनात रेंज उपकरणों ने उड़ान डेटा रिकॉर्ड किया, जिसने सिस्टम के सभी घटकों मिसाइल सिस्टम, ड्रोन डिटेक्शन और डिस्ट्रक्शन सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सिस्टम, संचार, और रडार के सटीक प्रदर्शन की पुष्टि की। इस परीक्षण में तीन अलग-अलग लक्ष्यों को एक साथ नष्ट किया गया, जो भारत की मल्टीलेयर रक्षा क्षमता को दर्शाता है। यह प्रणाली न केवल ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है, बल्कि हाई-स्पीड विमान और अन्य हवाई खतरों को भी रोक सकती है। DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने इस उपलब्धि के लिए सभी वैज्ञानिकों, सशस्त्र बलों और उद्योग भागीदारों को बधाई दी।

मिशन सुदर्शन चक्र का उद्देश्य भारत को हवाई हमलों से पूरी तरह सुरक्षित करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा की थी कि यह मिशन 2035 तक देश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों सैन्य और नागरिक सुविधाओं, जैसे अस्पताल, रेलवे, और धार्मिक स्थल को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करेगा। इस मिशन का नाम भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से प्रेरित है, जो दुश्मनों को नष्ट करने का प्रतीक है। यह प्रणाली न केवल रक्षा करने में सक्षम होगी, बल्कि दुश्मन के ठिकानों पर जवाबी हमले करने की क्षमता भी रखेगी। मिशन सुदर्शन चक्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम का उपयोग होगा, जो सटीक निशाना लगाने में मदद करेंगे। इसकी रेंज 2500 किलोमीटर तक होगी, और यह 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिसाइलों को रोक सकता है। यह जमीनी और अंतरिक्ष-आधारित रडार और सैटेलाइट नेटवर्क का उपयोग करेगा। यह परीक्षण मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को सफलतापूर्वक रोका था। उस समय भारत की मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों रूस निर्मित S-400, बराक-8 MRSAM, और स्वदेशी आकाश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के एकीकृत वायु कमांड और कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने हवाई श्रेष्ठता बनाए रखी। IADWS इस प्रणाली को और मजबूत करेगा, जिससे भारत की निर्भरता विदेशी हथियारों पर कम होगी।

IADWS का विकास DRDO की कई प्रयोगशालाओं के सहयोग से हुआ है। QRSAM को DRDO ने डिजाइन और विकसित किया है, जबकि VSHORADS और DEW को हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने बनाया है। अप्रैल 2025 में CHESS ने DEW के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया था, जिसमें इसने फिक्स्ड-विंग ड्रोन और ड्रोन झुंड को नष्ट किया था। इसने भारत को अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी और इजरायल जैसे देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया, जो इस तरह की तकनीक में महारत रखते हैं। DEW की रेंज 3-5 किलोमीटर है, और यह ड्रोन के सेंसर को निष्क्रिय करने में सक्षम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यह अनूठा उड़ान परीक्षण हमारी मल्टीलेयर वायु रक्षा क्षमता को स्थापित करता है और महत्वपूर्ण सुविधाओं को हवाई खतरों से बचाने में मदद करेगा।” उन्होंने DRDO, सशस्त्र बलों और उद्योग भागीदारों को बधाई दी। यह परीक्षण भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। DRDO अब प्रोजेक्ट कुशा के तहत लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली पर भी काम कर रहा है, जो 400 किलोमीटर से अधिक दूरी पर हवाई खतरों को नष्ट कर सकती है। यह प्रणाली भी IADWS के साथ एकीकृत होगी। मिशन सुदर्शन चक्र में न केवल हवाई रक्षा, बल्कि साइबर हमलों और जमीनी ठिकानों पर जवाबी हमले की क्षमता भी शामिल होगी। यह प्रणाली भारत के मौजूदा IACCS और आकाशतीर नेटवर्क के साथ मिलकर काम करेगी। इसमें क्वांटम सेंसिंग तकनीक, स्मार्ट मिसाइल और AMCA स्टील्थ विमान जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग होगा। यह प्रणाली 2026 तक पूरी तरह कार्यरत होने की उम्मीद है, और 2035 तक इसे और उन्नत किया जाएगा।

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