अजब गजब: MP में सनसनीखेज सांप घोटाला, एक शख्स को 38 बार सांप ने काटा, 11 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा गबन।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में हंगामा मचा दिया है। एक व्यक्ति को कथित तौर पर 38 बार...
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में हंगामा मचा दिया है। एक व्यक्ति को कथित तौर पर 38 बार सांप ने काटा और हर बार उसे 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप कुल 11.26 करोड़ रुपये का गबन होने का आरोप है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस सनसनीखेज घोटाले को उजागर करते हुए एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया है। इस घोटाले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर एक व्यक्ति को इतनी बार सांप कैसे काट सकता है और मुआवजा कैसे स्वीकृत हुआ।
- क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सांप के काटने से मृत्यु होने पर पीड़ित के परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की योजना है। लेकिन सिवनी जिले में इस योजना का दुरुपयोग कर एक बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। जीतू पटवारी ने दावा किया कि एक व्यक्ति को 38 बार सांप ने काटा और हर बार उसे मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये दिए गए। इसके अलावा, 47 अन्य मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मुआवजे का दावा कर 11.26 करोड़ रुपये की राशि निकाली गई। इस घोटाले में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
- जीतू पटवारी का विस्फोटक बयान
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले को "सांप घोटाला" करार देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "हमने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई मामले देखे हैं, लेकिन सीएम मोहन यादव के शासन में ऐसा अनोखा घोटाला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति को 38 बार सांप ने काटा और हर बार 4 लाख रुपये का मुआवजा निकाला गया। सिवनी जिले में अकेले 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सांप काटने के नाम पर लूटी गई। ऐसा सांप घोटाला पहले कभी नहीं सुना गया।" पटवारी ने इस मामले की प्रदेशव्यापी जांच की मांग की है, ताकि इस गबन के पीछे शामिल सभी दोषियों को बेनकाब किया जा सके।
- घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
यह सनसनीखेज घोटाला तब सामने आया, जब सिवनी जिले में मुआवजा वितरण की प्रक्रिया की जांच शुरू हुई। जांच में पता चला कि एक व्यक्ति के नाम पर 38 बार मुआवजा दावा किया गया, जिसमें हर बार उसे मृत घोषित किया गया। इसके अलावा, 47 अन्य व्यक्तियों के नाम पर भी बार-बार फर्जी दावे किए गए। यह राशि सरकारी खजाने से निकाली गई, जिसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस मामले ने तूल पकड़ा, जब जीतू पटवारी ने एक वीडियो शेयर कर इस घोटाले की जानकारी दी। वीडियो में उन्होंने इस मामले को "अजब-गजब" बताते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर तंज कसा।
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- सोशल मीडिया पर हंगामा
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ यूजर्स ने इसे "सांपों की बार-बार की दुश्मनी" कहकर मजाक उड़ाया, तो कुछ ने इसे सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण बताया। एक यूजर ने लिखा, "यह तो कमाल हो गया! एक आदमी को 38 बार सांप काटे और हर बार 4 लाख रुपये? यह घोटाला नहीं, मजाक है!" वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "यह मामला बताता है कि सरकारी योजनाओं का कितना दुरुपयोग हो रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।"
- प्रशासन की चुप्पी और जांच की मांग
इस मामले में अभी तक सिवनी जिला प्रशासन या राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। जीतू पटवारी ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह घोटाला केवल सिवनी तक सीमित नहीं हो सकता, बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसी अनियमितताएं हो सकती हैं।
- क्या कहता है सांप काटने का मुआवजा नियम?
मध्य प्रदेश सरकार की नीति के तहत, सांप के काटने से मृत्यु होने पर पीड़ित के परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। यह राशि पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए होती है। हालांकि, इस योजना का दुरुपयोग कर फर्जी दावे करना न केवल सरकारी धन की लूट है, बल्कि यह उन वास्तविक पीड़ितों के साथ अन्याय भी है, जिन्हें इस सहायता की जरूरत होती है।
निष्कर्ष
सिवनी का यह "सांप घोटाला" मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का एक चैंकाने वाला उदाहरण है। एक व्यक्ति को 38 बार सांप के काटने का दावा और 11.26 करोड़ रुपये से ज्यादा का गबन न केवल हास्यास्पद है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है।
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