राहुल गांधी का पीएम मोदी पर हमला: ट्रंप की टैरिफ धमकी और अडानी जांच को लेकर सवाल, कहा- ‘मोदी के हाथ बंधे हैं।
Political: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया....
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा, “भारत, कृपया समझें: प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बार-बार की धमकियों के बावजूद उनके सामने खड़े नहीं हो पा रहे हैं। इसका कारण अडानी समूह के खिलाफ चल रही अमेरिकी जांच है। एक धमकी मोदी, अडानी, और रूसी तेल सौदों के बीच वित्तीय संबंधों को सामने लाने की है। मोदी के हाथ बंधे हुए हैं।” यह बयान अमेरिका द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद आया, जिसके कारण विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
- ट्रंप की टैरिफ घोषणा और कारण
06 अगस्त 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की गई। यह टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू होगा और पहले से घोषित 25 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त होगा, जिससे भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो जाएगा। ट्रंप ने इस फैसले का कारण भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदना बताया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि उस तेल को खुले बाजार में बेचकर बड़ा मुनाफा भी कमा रहा है। उन्हें यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन से कितने लोगों की मौत हो रही है, इसकी परवाह नहीं है।”
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका का अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा, क्योंकि यह अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंचे टैरिफ और गैर-आर्थिक व्यापार बाधाएं लगाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करता, तो वह अगले 24 घंटों में टैरिफ को और बढ़ा सकते हैं और सेकेंडरी प्रतिबंध भी लगा सकते हैं। सेकेंडरी प्रतिबंध उन देशों पर लगाए जाते हैं जो रूस जैसे प्रतिबंधित देशों के साथ व्यापार करते हैं।
- राहुल गांधी का बयान और अडानी जांच का कनेक्शन
राहुल गांधी ने अपने बयान में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप की धमकियों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ चल रही जांच ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी है। उन्होंने कहा कि इस जांच में मोदी, अडानी, और रूसी तेल सौदों के बीच वित्तीय संबंध सामने आ सकते हैं। राहुल ने “AA” का जिक्र किया, जिसे उन्होंने स्पष्ट नहीं किया, लेकिन माना जा रहा है कि यह अडानी समूह की ओर इशारा है।
जून 2024 में, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खबर दी थी कि अमेरिकी न्याय विभाग अडानी समूह की जांच कर रहा है। इस जांच में यह देखा जा रहा है कि क्या अडानी समूह ने भारत में सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी थी। अमेरिकी सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भी आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अमेरिकी निवेशकों को रिश्वत के बारे में जानकारी नहीं दी। अडानी समूह ने इन आरोपों को “निराधार और दुर्भावनापूर्ण” बताया और कहा कि वह सभी देशों में उच्चतम शासन, पारदर्शिता और नियामक अनुपालन के मानकों का पालन करता है।
राहुल गांधी ने पहली बार टैरिफ विवाद को अडानी जांच से जोड़ा, हालांकि इन दोनों के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं दिखता। उनके इस बयान ने विपक्षी दलों के बीच चर्चा को तेज कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना की और कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की “हगलोमेसी” (गले लगाने वाली कूटनीति) की विफलता को दिखाता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले इंदिरा गांधी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का डटकर सामना किया था।
- भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने ट्रंप के टैरिफ को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” बताया और अपनी ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हितों के आधार पर सही ठहराया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारी ऊर्जा खरीद बाजार की गतिशीलता और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल आयात करने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल की कीमतें स्थिर रहें।”
भारत ने यह भी बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस से 67.5 अरब यूरो का तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात किया, और अमेरिका ने भी रूस से यूरेनियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखा। भारत ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि उसका रूसी तेल आयात वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए जरूरी था।
- भारत का रूस से तेल आयात
2022 में यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद, रूस ने भारत को सस्ते दामों पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया। भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है, ने इस अवसर का फायदा उठाया। 2025 के पहले छह महीनों में, भारत ने रोजाना लगभग 17.5 लाख बैरल रूसी तेल आयात किया, जो उसकी कुल तेल आपूर्ति का लगभग 35 प्रतिशत है। रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, इसके बाद इराक, सऊदी अरब, और संयुक्त अरब अमीरात हैं।
भारत का कहना है कि रूसी तेल का आयात उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है। दिल्ली स्थित ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने कहा, “भारत का तेल आयात पारदर्शी रहा है और अमेरिका को इसकी जानकारी थी। भारत ने तेल की कीमतों को स्थिर करने में मदद की।”
- टैरिफ का भारत पर प्रभाव
50 प्रतिशत टैरिफ का असर भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों, जैसे कपड़ा, रत्न और आभूषण, ऑटो पार्ट्स, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, और रसायन, पर पड़ सकता है। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (FIEO) के महानिदेशक अजय साहाय ने कहा, “यह टैरिफ भारत के 55 प्रतिशत निर्यात को प्रभावित करेगा।” 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर था, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर था। इस टैरिफ से भारत का निर्यात 30-40 अरब डॉलर तक कम हो सकता है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने चिंता जताई कि 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण भारतीय वस्तुएं अमेरिका में कई लोगों के लिए महंगी हो जाएंगी, जिससे उपभोक्ता बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं, जहां टैरिफ कम हैं। हालांकि, फार्मास्युटिकल्स, क्रूड ऑयल, रिफाइंड ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को इस टैरिफ से छूट दी गई है।
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के खिलाफ हमले के लिए इस्तेमाल किया है। राहुल ने दावा किया कि मोदी की चुप्पी अडानी जांच के डर से है, जिससे उनकी सरकार कमजोर दिख रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को संसद में और जोर-शोर से उठाएगी।
भारत और अमेरिका के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले और इसके बाद भारत की सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया था। मोदी ने संसद में कहा कि किसी भी विश्व नेता ने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए नहीं कहा, लेकिन उन्होंने ट्रंप का नाम नहीं लिया।
अगर ट्रंप 100 प्रतिशत टैरिफ या सेकेंडरी प्रतिबंध लागू करते हैं, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है। हालांकि, भारत के तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “हमें चिंता नहीं है। हमने अपनी तेल आपूर्ति के स्रोतों को 27 देशों से बढ़ाकर 40 देश कर लिया है।” भारत अब ब्राजील और अन्य गैर-ओपेक देशों से तेल आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम भारत पर व्यापार समझौते के लिए दबाव बनाने की रणनीति हो सकता है। अगर भारत जवाबी टैरिफ लगाता है, तो अमेरिकी तेल, गैस, रसायन, और एयरोस्पेस उत्पाद प्रभावित हो सकते हैं।
राहुल गांधी का बयान और ट्रंप की टैरिफ धमकी ने भारत-अमेरिका संबंधों में नया तनाव पैदा कर दिया है। राहुल ने अडानी जांच को मोदी की चुप्पी से जोड़कर सरकार पर दबाव बढ़ाया है, जबकि भारत ने रूसी तेल आयात को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है। 50 प्रतिशत टैरिफ भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकता है, लेकिन भारत ने अपनी स्थिति मजबूत रखने का संकल्प लिया है। यह देखना बाकी है कि क्या दोनों देश कूटनीतिक वार्ताओं के जरिए इस तनाव को कम कर पाएंगे, या यह व्यापार युद्ध और गहरा होगा।
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