रोहतास रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा टला: चलती ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच फंसी महिला को आरपीएफ ने बचाया।

बिहार के रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन पर बुधवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। यहां सियालदाह-प्रयागराज योगनागरी स्पेशल ट्रेन संख्या 04311 के चलने

Oct 30, 2025 - 13:13
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रोहतास रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा टला: चलती ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच फंसी महिला को आरपीएफ ने बचाया।
रोहतास रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा टला: चलती ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच फंसी महिला को आरपीएफ ने बचाया।

बिहार के रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन पर बुधवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। यहां सियालदाह-प्रयागराज योगनागरी स्पेशल ट्रेन संख्या 04311 के चलने के दौरान एक महिला यात्री ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच की खाई में फिसलकर गिर गई। यह दृश्य बेहद भयानक था, लेकिन मौके पर तैनात रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के जवानों की फुर्ती और साहस से महिला की जान बच गई। अगर थोड़ी सी भी देरी होती तो यह एक बड़ा रेल हादसा बन जाता। घटना दोपहर करीब एक बजे प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर हुई, जब ट्रेन अपने निर्धारित समय पर स्टेशन से रवाना हो रही थी।

महिला यात्री का नाम माया मांझी है। वह कोलकाता से वाराणसी लौट रही थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन स्टेशन पर रुकने के बाद माया कुछ खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए प्लेटफॉर्म पर उतर गई थीं। इसी बीच ट्रेन चलने लगी। जल्दबाजी में ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते हुए उनका पैर फिसल गया और वे ट्रेन की बोगी और प्लेटफॉर्म के बीच बने करीब चार-पांच इंच के गैप में गिर पड़ीं। यह गैप इतना संकरा होता है कि इसमें फंसने पर व्यक्ति का शरीर पूरी तरह दब जाता है। माया के गिरते ही ट्रेन की चेन खींचने की आवाजें गूंजने लगीं। प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री चीखने-चिल्लाने लगे। कुछ लोग वीडियो बनाने में लग गए, तो कुछ ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए। लेकिन भीड़भाड़ के कारण तुरंत कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

आरपीएफ के दो जवान, हेड कांस्टेबल राम अवतार सिंह और कांस्टेबल सुनील कुमार, ड्यूटी पर तैनात थे। उन्हें घटना की जानकारी मिलते ही वे दौड़ पड़े। राम अवतार ने बताया कि वे प्लेटफॉर्म के दूसरे छोर पर गश्त कर रहे थे, जब दूर से चीखें सुनाई दीं। तेजी से दौड़कर वे माया के पास पहुंचे। ट्रेन की रफ्तार कम होने के बावजूद बोगी के पहियों का दबाव खतरनाक था। राम अवतार ने एक हाथ से माया का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से उनकी कमर थामी। सुनील ने ट्रेन की चेन खींची, जिससे ट्रेन रुक गई। दोनों ने मिलकर माया को बाहर खींचा। इस दौरान राम अवतार का हाथ मामूली रूप से चोटिल हो गया, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। माया को बाहर निकालते ही उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए स्टेशन के मेडिकल रूम ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उन्हें केवल हल्की चोटें आई हैं, जैसे हाथ पर खरोंच और पैर में मोच। वे खतरे से बाहर हैं।

माया ने बताया कि वे कोलकाता में अपने रिश्तेदारों के पास रहती हैं और वाराणसी में अपने परिवार से मिलने जा रही थीं। "मैंने सोचा नहीं था कि एक छोटी सी जल्दबाजी मेरी जान ले लेगी। आरपीएफ के जवानों ने मुझे नया जीवन दिया है।" उन्होंने कहा। उनके पति, जो वाराणसी में इंतजार कर रहे थे, को घटना की खबर मिलते ही वे स्टेशन पहुंचे। परिवार ने जवानों को धन्यवाद दिया और माया को घर ले गए। रेलवे अधिकारियों ने भी इस घटना की सीसीटीवी फुटेज की जांच की। स्टेशन मास्टर अविनाश श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि ट्रेन करीब दो मिनट रुकी रही, जिससे अन्य यात्रियों को थोड़ी असुविधा हुई, लेकिन सुरक्षा पहले थी।

यह घटना भारतीय रेलवे की उन चुनौतियों को उजागर करती है, जो रोजाना लाखों यात्रियों के सामने आती हैं। देश में प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनें चलती हैं और स्टेशनों पर भीड़ हमेशा बनी रहती है। खासकर बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में, जहां रेलवे यात्रा मुख्य साधन है, ऐसी दुर्घटनाएं आम हैं। आंकड़ों के अनुसार, रेल मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 2024-25 में ट्रेन-प्लेटफॉर्म गैप में गिरने से करीब 150 से अधिक मौतें हुईं। इनमें से अधिकांश मामले जल्दबाजी में चढ़ने-उतरने के कारण थे। रोहतास जिला, जो सासाराम और डेहरी जैसे व्यस्त स्टेशनों के लिए जाना जाता है, यहां प्रतिदिन हजारों यात्री गुजरते हैं। डेहरी स्टेशन पर चार प्लेटफॉर्म हैं और यह कोलकाता-वाराणसी रूट पर महत्वपूर्ण है। लेकिन रखरखाव की कमी और जागरूकता के अभाव से खतरे बढ़ जाते हैं।

रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) और गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) की भूमिका ऐसी स्थितियों में अहम होती है। आरपीएफ का 'ऑपरेशन जीवन रक्षक' अभियान इसी उद्देश्य से चलाया जाता है, जिसमें जवानों को त्वरित प्रतिक्रिया देने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस घटना में राम अवतार और सुनील को उच्च अधिकारियों से प्रशंसा पत्र मिलने की संभावना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले भी कहा है कि रेलवे सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। इसके तहत स्टेशनों पर सीसीटीवी, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर यात्री जागरूकता जरूरी है। रेलवे नियमों के अनुसार, चलती ट्रेन में चढ़ना या उतरना प्रतिबंधित है। स्टेशन पर लाउडस्पीकर से बार-बार घोषणा की जाती है, लेकिन कई यात्री इसे अनदेखा कर देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बढ़ाने और गैप को कम करने से ऐसी घटनाएं रुक सकती हैं।

रोहतास जिले में रेल हादसों का इतिहास भी चिंताजनक है। कुछ साल पहले सासाराम स्टेशन पर एक समान घटना में एक यात्री की मौत हो गई थी। वहीं, डेहरी में 2024 में एक महिला को इसी तरह बचाया गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन बेहतर होना चाहिए। सुबह-दोपहर के पीक आवर्स में प्लेटफॉर्म पर जगह कम पड़ जाती है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे ट्रेन के रुकने का इंतजार करें और सामान कम लेकर चलें। बच्चों और बुजुर्गों के साथ विशेष सावधानी बरतें। अगर कोई दुर्घटना दिखे तो तुरंत हेल्पलाइन 139 पर कॉल करें।

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