Delhi-NCR में मेगा मॉक ड्रिल- भूकंप और रासायनिक आपदा से निपटने की तैयारी, NDMA ने 55 जगहों पर किया अभ्यास। 

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Aug 2, 2025 - 10:48
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Delhi-NCR में मेगा मॉक ड्रिल- भूकंप और रासायनिक आपदा से निपटने की तैयारी, NDMA ने 55 जगहों पर किया अभ्यास। 
Delhi-NCR में मेगा मॉक ड्रिल- भूकंप और रासायनिक आपदा से निपटने की तैयारी, NDMA ने 55 जगहों पर किया अभ्यास। 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (Delhi-NCR) में 1 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने एक बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य भूकंप और रासायनिक रिसाव जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारियों को परखना और आम लोगों में जागरूकता फैलाना था। Delhi के 11 जिलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह और रेवाड़ी में 55 स्थानों पर यह मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इस अभ्यास में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), भारतीय सेना, Delhi पुलिस, अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और अन्य एजेंसियां शामिल थीं। ‘सुरक्षा चक्र’ नामक इस मॉक ड्रिल में आपातकालीन वाहनों की आवाजाही, सायरन और राहत शिविरों की स्थापना शामिल थी। Delhi आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने इस अभ्यास का नेतृत्व किया। यह आयोजन हाल के भूकंपों और औद्योगिक खतरों की आशंका के मद्देनजर किया गया।

  • मॉक ड्रिल का उद्देश्य

यह मॉक ड्रिल 29 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक चली, जिसमें तीन चरण शामिल थे। पहले चरण में 29 जुलाई को Delhi के मानेकशॉ सेंटर में एक संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न एजेंसियों ने आपदा प्रबंधन पर विचार-विमर्श किया। 30 जुलाई को टेबलटॉप अभ्यास (TTEx) हुआ, जिसमें 19 जिलों (Delhi के 11, उत्तर प्रदेश के 2 और हरियाणा के 6) के प्रतिनिधियों ने नकली आपदा परिदृश्यों पर प्रतिक्रिया योजनाओं का परीक्षण किया। अंतिम चरण में 1 अगस्त को 55 स्थानों पर वास्तविक मॉक ड्रिल की गई, जिसमें भूकंप और रासायनिक रिसाव की स्थिति को नकली रूप से प्रस्तुत किया गया।

मॉक ड्रिल की शुरुआत सुबह 9 बजे एक नकली भूकंप परिदृश्य के साथ हुई, जिसके बाद औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों में रासायनिक रिसाव की स्थिति बनाई गई। उदाहरण के लिए, Delhi के रमेश नगर मेट्रो स्टेशन पर रासायनिक रिसाव का नकली दृश्य बनाया गया, जहां मेट्रो कर्मचारियों और स्वयंसेवकों ने यात्रियों को सुरक्षित निकाला। आपातकालीन कर्मी हाजमट सूट में उपकरणों के साथ मौके पर पहुंचे और नकली पीड़ितों का इलाज किया। इसी तरह, श्री औरोबिंदो मार्ग पर मदर इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों को शिक्षकों और कर्मचारियों ने सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर निकासी अभ्यास किया।

  • क्यों जरूरी थी यह मॉक ड्रिल?

Delhi-NCR भूकंपीय जोन IV में आता है, जो भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। जुलाई 2025 में क्षेत्र में कई हल्के भूकंप आए, जिनमें 11 जुलाई को हरियाणा के झज्जर में 3.7 तीव्रता और 10 जुलाई को 4.4 तीव्रता का भूकंप शामिल था। इसके अलावा, 17 और 22 जुलाई को रोहतक और फरीदाबाद में क्रमशः 3.3 और 3.2 तीव्रता के भूकंप दर्ज किए गए। इन घटनाओं ने क्षेत्र में भूकंप की तैयारियों की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसके साथ ही, औद्योगिक क्षेत्रों में रासायनिक रिसाव की आशंका भी एक बड़ा खतरा है। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपदा प्रबंधन में कमियों को पहचानना और समन्वय को मजबूत करना था।

NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बताया कि यह मॉक ड्रिल Delhi-NCR में अब तक का सबसे बड़ा आपदा प्रबंधन अभ्यास था। उन्होंने कहा, “हम भूकंप और रासायनिक दुर्घटनाओं जैसे खतरों का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं। 1 अगस्त को टेबलटॉप अभ्यास को जमीन पर लागू किया गया। हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।” उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) योगेंद्र डिमरी ने कहा कि इस अभ्यास से लोगों के व्यवहार का अध्ययन कर कमियों को समझा जाएगा और अगले कदम तय किए जाएंगे।

  • मॉक ड्रिल में क्या हुआ?

मॉक ड्रिल में कई गतिविधियां शामिल थीं:

नकली भूकंप परिदृश्य: सभी 11 जिलों में भूकंप की स्थिति बनाई गई, जिसमें इमारतों की सुरक्षा जांच, निकासी और राहत कार्य किए गए।

रासायनिक रिसाव: औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों, जैसे मेट्रो स्टेशनों और बाजारों, में रासायनिक रिसाव का नकली दृश्य बनाया गया। NDRF और अन्य टीमें सुरक्षात्मक सूट में मौके पर पहुंचीं।

आपातकालीन वाहनों की आवाजाही: सड़कों पर एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, पुलिस और सेना के ट्रक की आवाजाही बढ़ी। सायरन और पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया गया।

राहत शिविर और कमांड पोस्ट: अस्थायी कमांड पोस्ट, राहत शिविर और मेडिकल सहायता केंद्र स्थापित किए गए।

Delhi-NCR के निवासियों को पहले से सूचित करने के लिए DDMA ने एक सार्वजनिक सलाह जारी की थी। इसमें कहा गया, “1 अगस्त 2025 को गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में भूकंप और रासायनिक आपदा का मॉक ड्रिल किया जा रहा है। सायरन और घोषणाएं हो सकती हैं। कृपया घबराएं नहीं, अफवाहें न फैलाएं और सहयोग करें।” इस सलाह ने लोगों को भ्रम से बचाया और सहयोग सुनिश्चित किया।

इस मॉक ड्रिल में कई एजेंसियों ने हिस्सा लिया, जिनमें NDRF, भारतीय सेना, Delhi पुलिस, अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन विभाग शामिल थे। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के आपदा प्रबंधन संगठनों ने भी सक्रिय भागीदारी की। स्कूलों, अस्पतालों और बाजारों जैसे स्थानों पर यह अभ्यास हुआ। उदाहरण के लिए, मदर इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों ने शिक्षकों के मार्गदर्शन में निकासी अभ्यास किया। रमेश नगर मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो कर्मचारियों ने यात्रियों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया।

लोगों ने इस मॉक ड्रिल को सकारात्मक रूप से लिया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह अभ्यास जरूरी है, क्योंकि Delhi में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। हमें पता चला कि आपदा में क्या करना चाहिए।” हालांकि, कुछ लोगों ने शिकायत की कि सायरन और आपातकालीन वाहनों की आवाजाही से शुरुआत में थोड़ा भ्रम हुआ। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस अभ्यास की तारीफ की और कहा कि यह भविष्य की आपदाओं के लिए लोगों को तैयार करेगा। एक यूजर ने लिखा, “NDMA का यह कदम स्वागत योग्य है। हमें ऐसी तैयारियों की जरूरत है।”

हाल ही में बिहार में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, यह मॉक ड्रिल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। बिहार के भागलपुर और कटिहार में गंगा और कोसी नदियों की बाढ़ ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। वहां लोग नावों से शादियां और रोजमर्रा के काम कर रहे हैं। Delhi-NCR में भूकंप और रासायनिक रिसाव जैसे खतरे बिहार की बाढ़ से अलग हैं, लेकिन दोनों ही आपदा प्रबंधन की जरूरत को दर्शाते हैं। NDMA ने पिछले पांच साल में देश भर में 200 छोटे-बड़े मॉक ड्रिल किए हैं, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रत्येक तीन साल में देश के 750 जिलों में ऐसे अभ्यास करने के निर्देश दिए हैं।

इस मॉक ड्रिल ने कई कमियों को उजागर किया। कुछ स्थानों पर आपातकालीन वाहनों को पहुंचने में देरी हुई, क्योंकि सड़कों पर ट्रैफिक सामान्य था। कुछ स्कूलों में निकासी अभ्यास के दौरान समन्वय की कमी दिखी। रासायनिक रिसाव के परिदृश्य में कुछ स्थानों पर सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी देखी गई। NDMA और DDMA ने इन कमियों को दर्ज किया और भविष्य में सुधार की योजना बनाई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह अभ्यास हमें अपनी कमजोरियों को समझने और उन्हें ठीक करने का मौका देता है।”

सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने कहा कि Delhi जैसे घनी आबादी वाले शहर में आपदा प्रबंधन चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों और कार्यस्थलों में नियमित मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रासायनिक रिसाव जैसे खतरों के लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों की जरूरत है।

यह मॉक ड्रिल Delhi-NCR के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का कहना है कि Delhi में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है, क्योंकि यह हिमालयी भूकंपीय बेल्ट के पास है। औद्योगिक क्षेत्रों में रासायनिक रिसाव की आशंका भी कम नहीं है। इस अभ्यास ने न केवल आपदा प्रबंधन की तैयारियों को परखा, बल्कि लोगों को आपात स्थिति में शांत रहने और सहयोग करने की सीख दी। NDMA ने कहा कि ऐसे अभ्यास आपदा के प्रति “तैयारी” और “लचीलापन” की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।

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