Political News: राहुल गांधी का सावरकर मानहानि मामले में दावा, शिकायतकर्ता नाथूराम गोडसे का वंशज।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुणे की विशेष सांसद/विधायक अदालत में एक सनसनीखेज दावा किया है...

हाइलाइट्स
- राहुल गांधी ने पुणे की विशेष अदालत में दावा किया कि मानहानि मामले के शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर, नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते हैं।
- गांधी ने शिकायतकर्ता पर अपनी मातृ पक्ष की वंशावली छिपाने का आरोप लगाया, जो इस मामले के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह मामला राहुल गांधी के 2022 और 2023 में विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों से संबंधित है।
- अगली सुनवाई 12 जून 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें सत्यकी सावरकर को जवाब देना होगा।
गांधी को सुरक्षा और उनके लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद के कारण व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट दी गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुणे की विशेष सांसद/विधायक अदालत में एक सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ दायर मानहानि मामले के शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर, महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते हैं। यह दावा 28 मई 2025 को एक आवेदन के माध्यम से अदालत में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राहुल गांधी ने शिकायतकर्ता पर अपनी मातृ पक्ष की वंशावली को जानबूझकर छिपाने का आरोप लगाया। इस लेख में इस मामले के तथ्यों, इसकी पृष्ठभूमि, और इससे जुड़े ऐतिहासिक संदर्भों को विस्तार से समझाया जाएगा। यह विवाद 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों से शुरू हुआ। गांधी ने अपने भाषण में सावरकर पर ब्रिटिश शासन के साथ सहयोग करने और मुसलमानों के प्रति नकारात्मक विचार रखने का आरोप लगाया। इसके बाद, मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण के दौरान गांधी ने कथित तौर पर सावरकर के बारे में ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्हें सत्यकी सावरकर ने अपमानजनक माना। सत्यकी ने दावा किया कि गांधी ने सावरकर को बदनाम करने के लिए गलत तरीके से उद्धृत किया और कहा कि सावरकर ने कभी नहीं कहा कि "मुसलमान को चोट पहुंचाने में उन्हें खुशी मिलती है।"
सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ पुणे की विशेष अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें गांधी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और धारा 505 (सार्वजनिक उपद्रव) के तहत आरोप लगाए गए। इस मामले में गांधी को समन जारी किया गया था, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि, अदालत ने समन को बरकरार रखा, और गांधी को मुकदमे का सामना करना पड़ा।
- राहुल गांधी का दावा
28 मई 2025 को, राहुल गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के माध्यम से पुणे की विशेष अदालत में एक आवेदन दायर किया। इस आवेदन में उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर ने अपनी मातृ पक्ष की वंशावली को जानबूझकर छिपाया, जो इस मामले की मेरिट तय करने के लिए महत्वपूर्ण है। गांधी के अनुसार, सत्यकी की मां, हिमानी सावरकर, गोपाल गोडसे की बेटी थीं, जो नाथूराम गोडसे का छोटा भाई था। नाथूराम और गोपाल दोनों को महात्मा गांधी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। गांधी ने अपने आवेदन में कहा, “शिकायतकर्ता की मां, स्वर्गीय श्रीमती हिमानी अशोक सावरकर, गोपाल विनायक गोडसे की बेटी थीं, जो नाथूराम विनायक गोडसे का छोटा भाई था। नाथूराम ने 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी और 15 नवंबर 1949 को अपने साथी नारायण आप्टे के साथ फांसी दी गई थी।” गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सत्यकी ने केवल अपने पितृ पक्ष (सावरकर परिवार) की वंशावली प्रस्तुत की, लेकिन मातृ पक्ष (गोडसे परिवार) की जानकारी को “जानबूझकर, व्यवस्थित रूप से, और बहुत चतुराई से” छिपाया।
गांधी ने तर्क दिया कि सत्यकी का गोडसे परिवार से संबंध इस मामले में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सावरकर और गोडसे के बीच वैचारिक और पारिवारिक संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह जानकारी सावरकर की विरासत और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने में महत्वपूर्ण है, जो इस मानहानि मामले का मूल है। गांधी ने अदालत से अनुरोध किया कि सत्यकी को अपनी मातृ पक्ष की पूरी वंशावली का खुलासा करने का निर्देश दिया जाए।
- गोडसे और सावरकर का संबंध
नाथूराम गोडसे (19 मई 1910 - 15 नवंबर 1949) एक हिंदू राष्ट्रवादी कार्यकर्ता थे, जिन्होंने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में एक प्रार्थना सभा के दौरान महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और हिंदू महासभा के सदस्य थे, और वे विनायक दामोदर सावरकर के हिंदुत्व विचारधारा से प्रेरित थे। गोडसे का मानना था कि गांधी ने 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान मुसलमानों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति दिखाई, जिसके कारण हिंदुओं को नुकसान हुआ। गोडसे के भाई गोपाल गोडसे को भी गांधी हत्या की साजिश में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया था और उन्हें 15 साल की जेल की सजा हुई थी। गोपाल ने बाद में दावा किया कि नाथूराम ने कभी RSS नहीं छोड़ा था, और सभी गोडसे भाई (नाथूराम, दत्तात्रेय, गोविंद, और गोपाल) RSS के सक्रिय सदस्य थे। यह दावा RSS के उस बयान के विपरीत है, जिसमें कहा गया कि नाथूराम ने 1930 के दशक में संगठन छोड़ दिया था। विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, हिंदू महासभा के प्रमुख नेता थे और हिंदुत्व विचारधारा के प्रणेता थे। सावरकर पर गांधी हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। फिर भी, गोडसे और सावरकर के बीच निकटता को लेकर ऐतिहासिक बहस जारी है। गोडसे सावरकर के निवास पर नियमित रूप से जाते थे और उनकी विचारधारा से प्रभावित थे।
पुणे की विशेष अदालत के न्यायाधीश अमोल श्रीराम शिंदे ने सत्यकी सावरकर को राहुल गांधी के दावों का जवाब देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 12 जून 2025 को निर्धारित की गई है। इसके अलावा, गांधी ने एक अन्य आवेदन में इस मामले को "सारांश मुकदमे" (summary trial) से "समन मुकदमे" (summons trial) में बदलने की मांग की है, ताकि ऐतिहासिक संदर्भों और सबूतों पर विस्तृत चर्चा हो सके।
19 फरवरी 2025 को, अदालत ने गांधी को व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट दे दी थी, क्योंकि वह लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और उन्हें Z+ सुरक्षा प्राप्त है। अदालत ने माना कि उनकी सुरक्षा और व्यस्त कार्यक्रम के कारण उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। सत्यकी के वकील संग्राम कोल्हटकर ने इस छूट का विरोध नहीं किया, लेकिन गांधी द्वारा पुणे कोर्ट की सुरक्षा और नाथूराम गोडसे के पुणे निवासी होने जैसे आधारों को अप्रासंगिक बताया।
राहुल गांधी का यह दावा इस मानहानि मामले को एक नया आयाम देता है। उन्होंने तर्क दिया है कि सत्यकी का गोडसे परिवार से संबंध सावरकर की विरासत और उनके विचारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। गांधी ने अपने आवेदन में कहा कि सावरकर और गोडसे दोनों हिंदू राष्ट्र की विचारधारा के समर्थक थे और उन्होंने मुसलमानों और ईसाइयों को भारत में "असंगत" माना था। गांधी ने यह भी उल्लेख किया कि सावरकर को गांधी हत्या मामले में सह-आरोपी बनाया गया था, हालांकि उन्हें बरी कर दिया गया था। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम और हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े ऐतिहासिक विवादों को भी फिर से उजागर करता है।
गांधी का यह दावा कि सत्यकी ने अपनी मातृ पक्ष की वंशावली छिपाई, इस मामले की मेरिट को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह सावरकर और गोडसे के बीच संबंधों को और गहराई से जांचने का अवसर देता है। राहुल गांधी द्वारा पुणे की विशेष अदालत में दायर आवेदन ने सावरकर मानहानि मामले में एक नया मोड़ ला दिया है। उनका दावा कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर, नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते हैं, इस मामले को ऐतिहासिक और वैचारिक दृष्टिकोण से और जटिल बनाता है। अदालत ने सत्यकी को इस दावे का जवाब देने का निर्देश दिया है, और अगली सुनवाई में इस मामले पर और स्पष्टता आने की उम्मीद है।
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