राजस्थान में सनसनी: सीकर, पाली, टोंक, राजसमंद और दौसा के कलेक्ट्रेट को बम से उड़ाने की धमकी, प्रशासन हाई अलर्ट पर।
20 मई 2025 को सुबह करीब 10 बजे, सीकर, पाली, टोंक, राजसमंद और दौसा के जिला कलेक्ट्रेटों के आधिकारिक ईमेल पतों पर धमकी भरे ...
Trending News जयपुर: राजस्थान के पांच जिलों—सीकर, पाली, टोंक, राजसमंद और दौसा—के जिला कलेक्ट्रेट कार्यालयों को मंगलवार सुबह बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए, जिसके बाद पूरे राज्य में प्रशासनिक और सुरक्षा तंत्र हाई अलर्ट पर है। धमकी भरे ईमेल में दावा किया गया कि कलेक्ट्रेट परिसरों में विस्फोटक, विशेष रूप से RDX, रखे गए हैं, जो दोपहर 3:30 बजे के आसपास विस्फोट करेंगे। इस घटना ने प्रशासन में हड़कंप मचा दिया, और तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी प्रभावित कलेक्ट्रेटों को खाली कराकर बम निरोधक दस्तों और डॉग स्क्वॉड द्वारा गहन तलाशी शुरू की गई। हालांकि, अब तक की जांच में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, और प्रारंभिक जांच में ये धमकियां फर्जी प्रतीत हो रही हैं।
20 मई 2025 को सुबह करीब 10 बजे, सीकर, पाली, टोंक, राजसमंद और दौसा के जिला कलेक्ट्रेटों के आधिकारिक ईमेल पतों पर धमकी भरे संदेश प्राप्त हुए। इन ईमेल्स में दावा किया गया कि कलेक्ट्रेट परिसरों में विस्फोटक उपकरण रखे गए हैं, जो निर्धारित समय पर विस्फोट करेंगे। टोंक में यह धमकी उस समय आई जब जिला कलेक्ट्रेट में भाजपा की तिरंगा यात्रा की तैयारियां चल रही थीं, जिससे स्थिति और संवेदनशील हो गई। सीकर में धमकी मुख्य सचिव सुधांश पंत की एक निर्धारित बैठक से ठीक पहले प्राप्त हुई, जिसके कारण बैठक को तुरंत पुलिस लाइन्स ऑडिटोरियम में स्थानांतरित करना पड़ा।
प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी कलेक्ट्रेट परिसरों को खाली कराया और जनता के प्रवेश पर रोक लगा दी। पुलिस, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वॉड और सिविल डिफेंस टीमें मौके पर पहुंचीं और परिसरों की "इंच-बाय-इंच" तलाशी शुरू की। पाली में जिला कलेक्टर एलएन मंट्री ने बताया कि धमकी भरा ईमेल उनके आधिकारिक मेल आईडी पर सुबह 10 बजे प्राप्त हुआ, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक चुनाराम जाट के नेतृत्व में जोधपुर से बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वॉड बुलाया गया। दौसा में जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने पुलिस अधीक्षक सागर राणा को सूचित किया, जिन्होंने तत्काल तलाशी अभियान शुरू किया।
- जांच और साइबर अपराध इकाई की भूमिका
पुलिस की साइबर अपराध इकाई धमकी भरे ईमेल्स की उत्पत्ति का पता लगाने में जुटी है, लेकिन अभी तक प्रेषक की पहचान नहीं हो सकी है। प्रारंभिक जांच में संदेह जताया जा रहा है कि ईमेल्स में वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का उपयोग किया गया हो सकता है, जिसके कारण प्रेषक को ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। टोंक की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) गीता ने बताया कि कलेक्ट्रेट परिसर को पूरी तरह खाली कराकर कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए गए थे। 12 घंटे की गहन तलाशी के बाद कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली, जिसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली।
- समान घटनाओं का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में इस तरह की धमकियां मिली हैं। इससे पहले 14 मई 2025 को जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी, जिसमें "HMX बम ब्लास्ट" और "पाकिस्तान के साथ खिलवाड़ न करें" जैसे संदेश शामिल थे। इसके अलावा, जयपुर हवाई अड्डा, जयपुर मेट्रो स्टेशन, जोधपुर रेलवे स्टेशन और बाड़मेर कलेक्ट्रेट को भी हाल के महीनों में समान धमकियां मिल चुकी हैं। सभी मामलों में जांच के बाद ये धमकियां फर्जी पाई गईं। उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2025 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद, अलीगढ़, बाराबंकी और चंदौली के कलेक्ट्रेटों को भी ऐसी ही धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए थे, जो बाद में फर्जी साबित हुए।
प्रशासन ने इन धमकियों को गंभीरता से लिया है, खासकर इसलिए क्योंकि दो दिन बाद देश के प्रधानमंत्री राजस्थान का दौरा करने वाले हैं। इस संदर्भ में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में इसे कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने वाला बताया गया है। टोंक, राजसमंद, पाली और दौसा में कलेक्ट्रेट परिसरों को सुरक्षा घेरे में लिया गया, और आम जनता से जांच पूरी होने तक इन स्थानों पर न आने की अपील की गई। सीकर में मुख्य सचिव की बैठक को स्थानांतरित करना पड़ा, जिससे प्रशासनिक कार्यों में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
पाली के पुलिस अधीक्षक चुनाराम जाट ने कहा, "हम इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं। साइबर विशेषज्ञों की एक टीम ईमेल प्रेषक की पहचान करने में जुटी है।" दौसा में पुलिस अधीक्षक सागर राणा ने पुष्टि की कि कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली, लेकिन एहतियात के तौर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
इन धमकी भरे ईमेल्स ने न केवल प्रशासनिक कार्यों को बाधित किया, बल्कि जनता में भी दहशत का माहौल पैदा किया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को लेकर चिंता जताई है, और कुछ ने इसे प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाने वाला बताया। एक यूजर ने लिखा, "प्रधानमंत्री के दौरे से ठीक पहले ऐसी धमकियां मिलना चिंताजनक है। क्या हमारी सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है?" दूसरी ओर, कुछ यूजर्स ने इसे शरारतपूर्ण हरकत करार देते हुए इसे गंभीरता से न लेने की सलाह दी।
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यह घटना राजस्थान में हाल के दिनों में बार-बार हो रही बम धमकियों की कड़ी में एक और मामला है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी धमकियां प्रशासन को परेशान करने और दहशत फैलाने के लिए भेजी जाती हैं, लेकिन इनके फर्जी होने की पुष्टि होने पर भी इनका प्रभाव गंभीर रहता है।
सीकर, पाली, टोंक, राजसमंद और दौसा के कलेक्ट्रेटों को मिली बम धमकियों ने एक बार फिर प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों को चुनौती दी है। हालांकि, गहन जांच के बाद कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली, लेकिन इन घटनाओं ने साइबर सुरक्षा और सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस और साइबर अपराध इकाई प्रेषक की पहचान करने में जुटी है, और प्रशासन ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का वादा किया है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि डिजिटल युग में साइबर खतरों से निपटने के लिए और मजबूत तंत्र की आवश्यकता है।
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