ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर बैठक- रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक सहयोग और हथियार नियंत्रण पर चर्चा से पहले कड़ी सुरक्षा।

International: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली शिखर बैठक से पहले सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व...

Aug 15, 2025 - 14:27
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ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर बैठक- रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक सहयोग और हथियार नियंत्रण पर चर्चा से पहले कड़ी सुरक्षा।
ट्रंप-पुतिन अलास्का शिखर बैठक- रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक सहयोग और हथियार नियंत्रण पर चर्चा से पहले कड़ी सुरक्षा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली शिखर बैठक से पहले सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर कड़ा कर दिया गया है। यह बैठक जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन, एंकरेज में होगी, जो दोनों देशों के लिए कोल्ड वॉर के समय का एक रणनीतिक स्थल रहा है। इस उच्च-स्तरीय मुलाकात में रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम, आर्थिक सहयोग और परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों पर चर्चा होने की उम्मीद है। अलास्का में होटल, वाहन और अन्य संसाधनों की सीमित उपलब्धता के बावजूद, दोनों देशों के सुरक्षा एजेंटों को समान संख्या में तैनात किया गया है ताकि किसी भी खतरे को रोका जा सके। यह बैठक वैश्विक कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध के समाधान और वैश्विक स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

  • सुरक्षा व्यवस्था: अभूतपूर्व कदम

अलास्का के एंकरेज में जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में होने वाली इस बैठक के लिए सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया गया है। यह स्थान कोल्ड वॉर के दौरान मिसाइल रक्षा, रडार चौकियों और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने का केंद्र रहा था, जिसके कारण इसे रणनीतिक रूप से चुना गया। स्थानीय संसाधनों की कमी को देखते हुए, अमेरिका और रूस ने अपने-अपने सुरक्षा एजेंटों की समान संख्या में तैनाती की है। व्हाइट हाउस और क्रेमलिन के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात दोपहर 3:30 बजे केवल अनुवादकों की मौजूदगी में होगी, जिसके बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के साथ दोपहर का भोजन और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी।

सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपायों में हवाई और समुद्री निगरानी, साइबर खतरों की निगरानी और स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय शामिल है। अलास्का में रूस के ऐतिहासिक संबंध और इसकी भौगोलिक निकटता (बेरिंग जलडमरूमध्य के पार रूस की सीमा) के कारण सुरक्षा को और सख्त किया गया है। पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के बावजूद, अमेरिका आईसीसी का सदस्य नहीं है, इसलिए पुतिन की गिरफ्तारी का कोई जोखिम नहीं है। फिर भी, रूस की ओर से इस मुलाकात को प्रचार के रूप में इस्तेमाल करने की आशंका को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं।

  • बैठक का एजेंडा: रूस-यूक्रेन युद्ध

इस शिखर बैठक का मुख्य उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम की संभावनाओं पर चर्चा करना है। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में वादा किया था कि वह इस युद्ध को 24 घंटे में खत्म कर देंगे, हालांकि बाद में उन्होंने इसे मजाक बताया। फिर भी, वह इस बैठक के जरिए अपनी शांतिदूत छवि को मजबूत करना चाहते हैं। दूसरी ओर, पुतिन ने युद्धविराम के लिए कठोर शर्तें रखी हैं, जिनमें यूक्रेन के चार क्षेत्रों—लुहान्स्क, डोनेट्स्क, जपोरिजिया और खेरसॉन—का पूर्ण नियंत्रण, क्रीमिया की 2014 की अवैध कब्जे की मान्यता, यूक्रेन का नाटो में शामिल होने पर स्थायी रोक, और यूक्रेन की सेना के आकार पर सीमाएं शामिल हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इन शर्तों को अस्वीकार करते हुए कहा है कि कोई भी समझौता यूक्रेन के बिना नहीं हो सकता। उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा, "यूक्रेन के बिना कोई भी निर्णय शांति के खिलाफ होगा। ये मृत निर्णय होंगे।" यूरोपीय नेताओं ने भी इस रुख का समर्थन किया है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कालास ने कहा, "शांति का रास्ता यूक्रेन और यूरोप के बिना नहीं बन सकता।" ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह क्षेत्रीय हस्तांतरण (टेरिटोरियल स्वैप) के विचार पर विचार कर रहे हैं, लेकिन यूक्रेन ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं करेगा।

  • आर्थिक सहयोग: आर्कटिक और ऊर्जा

बैठक में आर्थिक सहयोग, खासकर आर्कटिक क्षेत्र में, भी चर्चा का हिस्सा होगा। अलास्का और रूस के बीच बेरिंग जलडमरूमध्य की निकटता इसे रणनीतिक बनाती है। आर्कटिक में दुनिया के 13% अखोजे तेल भंडार और 30% प्राकृतिक गैस भंडार हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ पिघलने से नॉर्दर्न सी रूट जैसे नए शिपिंग मार्ग खुल रहे हैं, जो एशिया और यूरोप के बीच शिपिंग समय को 40% तक कम कर सकते हैं। रूस इस मार्ग पर अपनी बर्फ तोड़ने वाली जहाजों के जरिए प्रभुत्व रखता है, लेकिन अमेरिकी कंपनियां उन्नत तकनीक के साथ इसमें भागीदारी चाहती हैं।

ट्रंप ने भारत और चीन जैसे देशों पर रूस से तेल खरीदने के लिए द्वितीयक प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद, भारत ने इसे "अनुचित" बताया। रूस के लिए ये निर्यात महत्वपूर्ण हैं, और ट्रंप इस आर्थिक दबाव का इस्तेमाल पुतिन को बातचीत के लिए मजबूर करने में कर सकते हैं। क्रेमलिन के एक सूत्र ने कहा, "प्रतिबंधों के दबाव में हम इनकार नहीं कर सकते। कुछ शर्तों पर सहमति बन सकती है।"

  • हथियार नियंत्रण समझौते

पुतिन ने परमाणु हथियार नियंत्रण समझौते का प्रस्ताव रखा है, क्योंकि मौजूदा समझौता फरवरी 2026 में समाप्त हो रहा है। रूस का परमाणु शस्त्रागार उसकी सबसे बड़ी ताकत है, और यह प्रस्ताव ट्रंप के लिए आकर्षक हो सकता है, जो इसे अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में पेश कर सकते हैं। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन इसका इस्तेमाल युद्धविराम की शर्तों को कमजोर करने और प्रतिबंधों से राहत पाने के लिए कर सकते हैं। ट्रंप ने रूस के परमाणु बयानों के जवाब में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।

यूक्रेन की अनुपस्थिति और यूरोप की चिंता

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को इस बैठक में शामिल नहीं किया गया है, जिससे यूक्रेन और यूरोप में चिंता बढ़ गई है। यूरोपीय नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, "यूक्रेन के बिना शांति संभव नहीं है।" जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा, "क्षेत्रीय मुद्दों को यूरोप और यूक्रेन के सिर के ऊपर से तय नहीं किया जा सकता।" यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बलपूर्वक बदला नहीं जा सकता। नाटो महासचिव मार्क रुटे ने सुझाव दिया कि कुछ क्षेत्र रूस के कब्जे में रह सकते हैं, लेकिन कानूनी तौर पर यूक्रेन के रहेंगे, जिसे लिथुआनिया के पूर्व विदेश मंत्री ने "रूसी साम्राज्यवाद को बढ़ावा" बताया।

अलास्का का चयन केवल भौगोलिक सुविधा के लिए नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक महत्व के लिए भी किया गया है। 1867 में रूस ने इसे 7.2 मिलियन डॉलर में अमेरिका को बेचा था, जिसे तब "सीवर्ड्स फॉली" कहा गया था। आज यह अमेरिकी आर्कटिक नीति का केंद्र है। रूस के लिए, यह मुलाकात पुरानी जमीन पर होने का प्रतीक है, जिसे वह अपनी राष्ट्रवादी भावनाओं के लिए इस्तेमाल कर सकता है। ट्रंप के लिए, यह अमेरिकी धरती पर अपनी मेजबानी की ताकत दिखाने का मौका है।

यह शिखर बैठक ट्रंप के लिए उनकी "शांति स्थापक" छवि को मजबूत करने का अवसर है, लेकिन यह जोखिमों से भरी है। पुतिन इसे अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में पेश कर सकते हैं, खासकर तब जब वह अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन और यूरोप की अनुपस्थिति से यह आशंका बढ़ती है कि कोई भी समझौता रूस के पक्ष में हो सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि पुतिन युद्धविराम के नाम पर समय हासिल करना चाहते हैं, ताकि रूस अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत कर सके।

ट्रंप ने कहा है कि इस बैठक की सफलता की संभावना 75% है, लेकिन असफल होने पर वह देश चलाने पर ध्यान देंगे। व्हाइट हाउस ने इसे "सुनने का अभ्यास" बताया है, जो भविष्य में जेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय बैठक की नींव रख सकता है। यूक्रेन ने मांग की है कि कोई भी समझौता मजबूत सुरक्षा गारंटी, रूस द्वारा 500 अरब डॉलर के नुकसान की भरपाई, और 20,000 अपहृत बच्चों की वापसी सुनिश्चित करे। ट्रंप और पुतिन की अलास्का शिखर बैठक वैश्विक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण क्षण है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह मुलाकात रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्थिक सहयोग और हथियार नियंत्रण जैसे जटिल मुद्दों पर केंद्रित है।

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