देश- विदेश: गाजा में भुखमरी का मंजर: ₹5 का Parle-G बिस्किट ₹2350 में, मोहम्मद जवाद की बेटी रवीफ की कहानी ने झकझोरा दिल।
गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच अक्टूबर 2023 से जारी युद्ध ने वहां के निवासियों के लिए जीवन को नरक बना दिया है। महीनों की घेराबंदी...

गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच अक्टूबर 2023 से जारी युद्ध ने वहां के निवासियों के लिए जीवन को नरक बना दिया है। महीनों की घेराबंदी, बमबारी, और मानवीय सहायता की कमी ने गाजा को भुखमरी और बेबसी के कगार पर ला खड़ा किया है। इस संकट की एक मार्मिक तस्वीर तब सामने आई, जब गाजा के रहने वाले मोहम्मद जवाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी बेटी रवीफ का एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में रवीफ बड़े प्यार और सलीके से भारत का मशहूर Parle-G बिस्किट खा रही है, जिसे उसके पिता ने €24 (लगभग ₹2350) में खरीदा। भारत में मात्र ₹5 में मिलने वाला यह बिस्किट गाजा में एक लक्जरी आइटम बन चुका है।
- गाजा में खाद्य संकट की भयावह स्थिति
7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजराइल पर अभूतपूर्व हमले, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 251 लोग बंधक बनाए गए, के बाद इजराइल ने गाजा पर बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया। इस अभियान ने गाजा की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया। संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य मानवीय संगठनों के अनुसार, गाजा में 54,600 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 1,25,530 लोग घायल हुए हैं। इस युद्ध ने गाजा की 90% आबादी को विस्थापित कर दिया, और खाद्य आपूर्ति पर लगाए गए प्रतिबंधों ने भुखमरी को बढ़ावा दिया। 2 मार्च से 19 मई 2025 तक, इजराइल ने गाजा पर लगभग पूर्ण नाकाबंदी लागू की, जिसके कारण मानवीय सहायता ट्रकों की संख्या बेहद कम हो गई। इजराइल का दावा है कि हमास सहायता सामग्री को हथियारों के लिए इस्तेमाल करता है, जिसके चलते उसने संयुक्त राष्ट्र की नियमित खाद्य आपूर्ति को निलंबित कर दिया।
इसके बजाय, गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) द्वारा संचालित सिक्योर डिस्ट्रीब्यूशन साइट 1 (SDS1) मॉडल शुरू किया गया, जिसे अमेरिका, स्विट्जरलैंड, और इजराइल का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इस मॉडल की आलोचना हो रही है, क्योंकि यह पर्याप्त सहायता प्रदान नहीं कर पा रहा। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में तीव्र कुपोषण की दर फरवरी 2025 की तुलना में लगभग तीन गुना बढ़ गई है। मई 2025 में 50,000 बच्चों की जांच में 5.8% बच्चे तीव्र कुपोषण से पीड़ित पाए गए, और गंभीर कुपोषण के मामले दोगुने हो गए। उत्तरी गाजा और राफा में उपचार केंद्र बंद हो चुके हैं, जिसके कारण बच्चे और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं।
- Parle-G की कीमत: ₹5 से ₹2350 तक
Parle-G, भारत में एक सस्ता और लोकप्रिय बिस्किट, 1938 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान शुरू हुआ था। यह बिस्किट अपनी किफायती कीमत और लंबी शेल्फ लाइफ के कारण भारत में हर घर का हिस्सा है। भारत में ₹5 में मिलने वाला एक पैकेट (55 ग्राम) गाजा में €24 (लगभग ₹2350) में बिक रहा है। यह कीमत एकल पैकेट की है या मल्टी-पैक की, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतनी ऊंची कीमत गाजा में खाद्य संकट की गंभीरता को दर्शाती है। मोहम्मद जवाद, एक गाजा निवासी, ने 1 जून 2025 को एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उनकी बेटी रवीफ Parle-G बिस्किट खा रही है। उन्होंने लिखा, "लंबे इंतजार के बाद आज रवीफ के लिए उसका पसंदीदा बिस्किट ले सका। पहले इसकी कीमत €1.5 (लगभग ₹147) थी, जो अब बढ़कर €24 हो गई है।" यह वीडियो दुनिया भर में वायरल हो गया, और भारतीय यूजर्स ने इसे देखकर भावुक प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और Parle कंपनी को टैग कर सहायता की मांग की। गाजा में खाद्य पदार्थों की कीमतें सामान्य से कई गुना बढ़ गई हैं।
उदाहरण के लिए, तीन आलू 150 शेकेल (लगभग ₹3000) में बिक रहे हैं, जबकि युद्ध से पहले 1 किलो आलू की कीमत 2 शेकेल (लगभग ₹40) थी। शहद का एक जार, जो पहले 25 शेकेल में मिलता था, अब 85 शेकेल में बिक रहा है। यह स्थिति कालाबाजारी और आपूर्ति की कमी का परिणाम है। गाजा में खाद्य पदार्थों की कमी का एक प्रमुख कारण कालाबाजारी है। गाजा के एक चिकित्सक, डॉ. खालिद अल्शव्वा ने बताया कि मानवीय सहायता के रूप में आने वाली वस्तुएं मुफ्त में वितरित की जाती हैं, लेकिन ये सीमित लोगों तक पहुंचती हैं। बाकी सामान कालाबाजार में ऊंची कीमतों पर बिकता है। उनके अनुसार, Parle-G का एक पैकेट उन्हें ₹240 में मिला था, लेकिन कीमतें विक्रेता के आधार पर अलग-अलग होती हैं। इजराइल का दावा है कि हमास सहायता सामग्री को हथियारों के लिए इस्तेमाल करता है, जिसके कारण उसने सहायता ट्रकों पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता संगठनों ने इन प्रतिबंधों को "सामूहिक सजा" करार दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा में 1,16,000 मीट्रिक टन खाद्य सहायता सीमा पर अटकी हुई है, जो 10 लाख लोगों को चार महीने तक खाना खिला सकती है।
- मोहम्मद जवाद और रवीफ की कहानी
मोहम्मद जवाद का वीडियो न केवल गाजा के खाद्य संकट को उजागर करता है, बल्कि यह एक पिता की अपनी बेटी के लिए छोटी-सी खुशी लाने की कोशिश को भी दर्शाता है। वीडियो में रवीफ, जो युद्ध और भुखमरी के बीच बड़ी हो रही है, बड़े ध्यान से Parle-G बिस्किट खा रही है। यह दृश्य भारतीय यूजर्स के लिए विशेष रूप से मार्मिक था, क्योंकि Parle-G उनके बचपन और सादगी का प्रतीक है। जवाद ने एक अन्य पोस्ट में दान की अपील की, जिसमें उन्होंने कहा, "आपके समर्थन और दान से हमें इन कठिन समय में जरूरी चीजें खरीदने में मदद मिलती है।" उनकी यह अपील गाजा में आम लोगों की बेबसी को दर्शाती है, जहां बुनियादी जरूरतें भी एक सपना बन चुकी हैं।
यह घटना गाजा में बच्चों और परिवारों पर युद्ध के गहरे प्रभाव को दर्शाती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में 2,733 बच्चों में तीव्र कुपोषण पाया गया है, और 8,000 से अधिक बच्चों को कुपोषण का इलाज मिला है। गंभीर कुपोषण बच्चों को बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है, और चिकित्सा सुविधाओं की कमी ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। Parle-G की कीमत का यह उछाल केवल एक बिस्किट की कहानी नहीं है; यह गाजा में जीवन की बुनियादी जरूरतों की अनुपलब्धता को दर्शाता है। भारत में जहां Parle-G हर दुकान पर आसानी से मिल जाता है, वहीं गाजा में यह एक दुर्लभ और महंगा सामान बन चुका है। यह स्थिति युद्ध के मानवीय संकट और कालाबाजारी की भयावहता को उजागर करती है। जवाद के वीडियो ने भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स को भावुक कर दिया। कई यूजर्स ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और Parle कंपनी को टैग करते हुए गाजा में मुफ्त Parle-G वितरण की मांग की।
एक यूजर ने लिखा, "Parle-G हमारा बचपन है। यह देखकर दुख होता है कि गाजा में बच्चे इसे खाने के लिए तरस रहे हैं।" एक अन्य यूजर ने लिखा, "भारत को गाजा में और Parle-G भेजना चाहिए, क्योंकि यह ग्लूकोज बिस्किट भुखमरी से जूझ रहे लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है।" हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि गाजा में सहायता पहुंचाने में कई जटिलताएं हैं। इजराइल की नाकाबंदी और हमास द्वारा सहायता सामग्री के कथित दुरुपयोग ने इस प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है। फिर भी, भारत जैसे देश, जो मानवीय सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, गाजा में खाद्य आपूर्ति बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। गाजा में ₹2350 में बिक रहा Parle-G बिस्किट युद्ध और नाकाबंदी की भयावहता का प्रतीक है। मोहम्मद जवाद और उनकी बेटी रवीफ की कहानी ने दुनिया को यह दिखाया कि कैसे युद्ध बच्चों की छोटी-छोटी खुशियों को भी छीन लेता है। यह घटना गाजा में खाद्य संकट, कालाबाजारी, और मानवीय सहायता की कमी को उजागर करती है। भारत में ₹5 का यह बिस्किट सादगी और सुलभता का प्रतीक है, लेकिन गाजा में यह एक लक्जरी बन चुका है। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि वैश्विक समुदाय को गाजा में मानवीय संकट को हल करने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने होंगे।
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