मलाला यूसुफजई का खुलासा: ऑक्सफोर्ड में गांजे के सेशन से लौटी तालिबान हमले की दबी यादें, यूके-भारत-इस्लामिक कानून में मरिजुआना की स्थिति। 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने अपनी आगामी आत्मकथा 'फाइंडिंग माय वे' में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। 28 वर्षीय पाकिस्तानी कार्यकर्ता ने बताया कि ब्रिटेन के

Oct 14, 2025 - 11:21
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मलाला यूसुफजई का खुलासा: ऑक्सफोर्ड में गांजे के सेशन से लौटी तालिबान हमले की दबी यादें, यूके-भारत-इस्लामिक कानून में मरिजुआना की स्थिति। 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने अपनी आगामी आत्मकथा 'फाइंडिंग माय वे' में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। 28 वर्षीय पाकिस्तानी कार्यकर्ता ने बताया कि ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पहली बार दोस्तों के साथ मरिजुआना (गांजा) का सेवन करने के बाद उन्हें तालिबान के हमले की दबी हुई यादें ताजा हो गईं। यह घटना 2012 के उस हमले से जुड़ी है, जब 15 साल की उम्र में स्वात घाटी में स्कूल बस में सवार मलाला पर तालिबान के एक बंदूकधारी ने गोली मार दी थी। गोली उनके सिर में लगी, जिससे वे कोमा में चली गईं। ब्रिटेन ले जाए जाने के बाद कई सर्जरी के जरिए वे बचीं। मलाला ने बताया कि उनके दिमाग ने हमले की यादें पूरी तरह मिटा दी थीं, लेकिन मरिजुआना के प्रभाव में वे फ्लैशबैक की तरह लौट आईं। यह खुलासा 'द गार्जियन' अखबार को दिए इंटरव्यू में आया, जो उनकी किताब के प्रमोशन का हिस्सा था। मलाला ने कहा कि यह अनुभव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला। उन्होंने चिंता, पैनिक अटैक और थेरेपी की जरूरत का भी जिक्र किया। किताब 2025 के अंत में रिलीज होगी, जिसमें वे अपनी शादी, परिवार और लड़कियों की शिक्षा के संघर्ष के अलावा मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात करेंगी। मलाला का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां कुछ ने उनकी साहस की तारीफ की तो कुछ ने मरिजुआना के इस्तेमाल पर सवाल उठाए।

मलाला की कहानी दुनिया को प्रेरित करती रही है। 2012 में तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ उनकी मुखालफत के कारण हमला किया। गोली सिर में लगने से चेहरा लकवाग्रस्त हो गया, कान फट गया और जबड़ा टूट गया। ब्रिटेन में इलाज के बाद वे ठीक हुईं। 2014 में नोबेल पुरस्कार जीतकर वे सबसे युवा विजेता बनीं। मलाला फंड के जरिए वे दुनिया भर में लड़कियों की पढ़ाई के लिए काम करती हैं। लेकिन इस हमले ने उनके दिमाग पर गहरा असर छोड़ा। उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के दौरान दोस्तों के साथ 'द शैक' नामक जगह पर पहली बार बोंग (मरिजुआना पीने का पानी वाला पाइप) ट्राई किया। धुंए के बाद अचानक यादें लौट आईं। 'मेरा स्कूल बस, बंदूकधारी, खून, भीड़ में स्ट्रेचर पर ले जाना, पिता का दौड़ना'—ये सब फ्लैशबैक की तरह सामने आ गए। मलाला बेहोश हो गईं। दोस्तों ने उन्हें डॉरम में ले जाकर मदद की। घंटों तक पैनिक, उल्टी और डर लगा रहा। उन्होंने कहा, 'मैं 15 साल की फिर हो गई थी।' मलाला ने माता-पिता और दोस्तों को बताने में हिचकिचाहट महसूस की, क्योंकि वे हमेशा 'बहादुर' की छवि बनाए रखना चाहती थीं। लेकिन बाद में थेरेपी से उन्होंने इन यादों का सामना किया। मलाला ने स्वीकार किया कि मरिजुआना का इस्तेमाल विवादास्पद हो सकता है, लेकिन यह उनके मानसिक स्वास्थ्य की यात्रा का हिस्सा था। उन्होंने कहा, 'मैंने कभी सोचा नहीं था कि दिमाग हमले को मिटा देगा, लेकिन यह सच्चाई थी।'

यह खुलासा मलाला की दूसरी किताब 'आई एम मलाला' (2013) का सीक्वल है। पहली किताब में उन्होंने हमले की कहानी बताई, लेकिन यादें धुंधली थीं। नई किताब में वे वयस्क जीवन, पाकिस्तानी क्रिकेटर असर मलिक से शादी (2021) और परिवार की जिम्मेदारियों पर फोकस करती हैं। मलाला अब ब्रिटेन में रहती हैं, जहां वे मलाला फंड चलाती हैं। फंड ने अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में लाखों लड़कियों को शिक्षा दी। लेकिन नकारात्मक कमेंट्स का सामना भी करती रहीं। मरिजुआना वाले बयान से कुछ आलोचना हो रही है, खासकर इस्लामिक बैकग्राउंड को देखते हुए। मलाला ने कहा, 'मैं दुनिया के पुरुषों के लिए सिर्फ फोटो ऑप थी, लेकिन अब अपनी सच्चाई बता रही हूं।' यह बयान मानसिक स्वास्थ्य के कलंक को तोड़ने का प्रयास है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रॉमा के बाद दिमाग यादें दबा देता है, और ट्रिगर से वे लौट आती हैं। मलाला की कहानी पीड़ितों को थेरेपी लेने की प्रेरणा देगी।

मलाला का यह अनुभव मरिजुआना की कानूनी स्थिति पर बहस छेड़ रहा है। ब्रिटेन में मरिजुआना रिक्रिएशनल यूज के लिए अवैध है। 1971 के मिसयूज ऑफ ड्रग्स एक्ट के तहत यह क्लास बी ड्रग है। पॉजेशन पर पहली बार पकड़े जाने पर चेतावनी या जुर्माना लग सकता है, लेकिन दोबारा पर जेल हो सकती है। ड्राइविंग करते हुए इस्तेमाल पर सख्त सजा। हालांकि, 2018 से मेडिकल कैनाबिस वैध है। डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर एपिलेप्सी, एमएस और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स के लिए इस्तेमाल होता है। 2025 में एक सर्वे में 55 प्रतिशत ब्रिटिश युवा लीगलाइजेशन के पक्ष में हैं। लेकिन सरकार ने रिक्रिएशनल यूज पर कोई बदलाव नहीं किया। सीबीडी प्रोडक्ट्स (कम टीएचसी वाले) लीगल हैं, लेकिन 0.2 प्रतिशत टीएचसी लिमिट के साथ। मलाला का केस प्राइवेट था, लेकिन अगर पकड़ी जातीं तो जुर्माना या वार्निंग मिल सकती थी। ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी कैंपस पर ड्रग यूज कॉमन है, लेकिन सख्ती बढ़ रही है।

भारत में मरिजुआना की स्थिति जटिल है। नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंसेस एक्ट (एनडीपीएस) 1985 के तहत गांजे का फ्लावर और रेजिन अवैध है। पॉजेशन पर छह महीने की जेल या 10 हजार रुपये जुर्माना, या दोनों। बिक्री पर 10 साल की सजा। लेकिन भांग (पत्तियां और बीज) वैध है, जो होली या शिवरात्रि पर थंडाई में इस्तेमाल होती है। हेम्प कल्टीवेशन कुछ राज्यों में लीगल है, लेकिन कम टीएचसी के साथ। मेडिकल मरिजुआना पर कोई सेंट्रल फ्रेमवर्क नहीं, लेकिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हेम्प रिसर्च हो रहा है। 2025 में कुछ एनजीओ लीगलाइजेशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सख्त है। एनडीपीएस के तहत छोटी मात्रा (100 ग्राम तक) पर कम सजा, लेकिन फिर भी क्रिमिनल रिकॉर्ड बनता है। भारत में मरिजुआना का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से धार्मिक है, लेकिन मॉडर्न यूज पर पाबंदी। विशेषज्ञ कहते हैं कि मेडिकल यूज को लीगल करने से फायदा हो सकता है, लेकिन रिक्रिएशनल पर नहीं।

इस्लामिक कानून में मरिजुआना पर बहस है। कुरान में शराब को हराम कहा गया है, और हदीस में 'जो ज्यादा नशा करे, वो कम भी हराम'। कई उलेमा मरिजुआना को खमर (शराब) का एनालॉग मानते हैं, इसलिए हराम। शेख अल-इस्लाम इब्न तैमियाह ने हशीश को सबसे बुरे हराम पौधों में गिना। लेकिन कुछ प्रोग्रेसिव इस्लामिक स्कॉलर्स मेडिकल यूज को जायज मानते हैं, अगर डॉक्टर की सलाह पर हो। रिक्रिएशनल यूज नशा पैदा करता है, इसलिए हराम। ईरान जैसे मुस्लिम देशों में मेडिकल कैनाबिस पर डिबेट चल रही है। मलाला का बैकग्राउंड इस्लामिक है, इसलिए उनका खुलासा विवादास्पद है। लेकिन वे कहती हैं कि यह उनकी पर्सनल जर्नी है। इस्लाम में नशे से बचना जरूरी है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए दवा जायज।

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