पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग और राजनयिकों के लिए समाचार पत्रों की डिलीवरी रोकी, पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा निगरानी भी की जा रही है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान ...
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ की गई एक सटीक सैन्य कार्रवाई, ने दोनों देशों के बीच पहले से ही नाजुक राजनयिक संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग और वहां तैनात राजनयिकों को निशाना बनाते हुए कई कदम उठाए हैं, जिन्हें भारत ने वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया है।
जवाब में भारत ने भी नई दिल्ली में पाकिस्तानी राजनयिकों के खिलाफ समान कार्रवाई शुरू की है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। ऑपरेशन सिंदूर का प्रारंभ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के जवाब में हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली थी। भारत ने इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा और इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के प्रमुख प्रशिक्षण शिविर नष्ट किए गए, जिससे पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बड़ा झटका लगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ एक मापी गई और संयमित प्रतिक्रिया थी, जिसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया।
हालांकि, इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंचाई, और इसके परिणामस्वरूप उसने भारतीय राजनयिकों को परेशान करने की रणनीति अपनाई। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग और वहां तैनात राजनयिकों के आवासों में समाचार पत्रों की डिलीवरी पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, गैस और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति भी बाधित की गई है। सुई नॉर्दन गैस पाइपलाइंस ने भारतीय उच्चायोग के परिसर में गैस पाइपलाइनें तो स्थापित कीं, लेकिन आपूर्ति शुरू नहीं की। स्थानीय विक्रेताओं को भी भारतीय राजनयिकों को गैस सिलेंडर बेचने से मना किया गया है, जिसके कारण उन्हें महंगे और कठिन विकल्पों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
इन कार्रवाइयों को भारत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन बताया है, जो राजनयिकों और दूतावास कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी देता है। पाकिस्तान की इन हरकतों तक सीमित नहीं रहा। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने भारतीय राजनयिकों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी है। इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों के आवासों और कार्यालयों में अनधिकृत प्रवेश की घटनाएं भी सामने आई हैं। ऐसी घटनाएं राजनयिक कर्मचारियों को डराने और उनकी दिनचर्या को बाधित करने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती हैं। भारत ने इन कदमों को न केवल कूटनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन माना है, बल्कि इसे पाकिस्तान की खीझ और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के प्रति उसकी हताशा का प्रतीक भी बताया है।
जवाबी कार्रवाई में, भारत ने भी नई दिल्ली में तैनात पाकिस्तानी राजनयिकों के लिए समाचार पत्रों की आपूर्ति रोक दी है। इसके साथ ही, कुछ गैर-आवश्यक सेवाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया को संयमित और कूटनीतिक दायरे में रखा है, ताकि स्थिति को और तनावपूर्ण होने से रोका जा सके। दोनों देशों के बीच यह "जैसे को तैसा" की कार्रवाई राजनयिक तनाव को और बढ़ाने वाली साबित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति 2019 में पुलवामा हमले के बाद देखे गए तनाव की पुनरावृत्ति है, जब पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों को समान रूप से परेशान करने की कोशिश की थी।
उस समय भी भारत ने संयम और कूटनीति के साथ जवाब दिया था, और इस बार भी भारत की प्रतिक्रिया मापी गई और रणनीतिक रही है। वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस, 1961, एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो राजनयिकों की सुरक्षा, उनकी गतिविधियों की स्वतंत्रता, और दूतावास परिसरों की अखंडता सुनिश्चित करती है। इस संधि के तहत, मेजबान देश को राजनयिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है। पाकिस्तान की कार्रवाइयां, जैसे कि समाचार पत्रों, गैस, और पानी की आपूर्ति पर रोक, इस संधि के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन हैं। इसके अलावा, भारतीय राजनयिकों की निगरानी और अनधिकृत प्रवेश की घटनाएं संधि के अनुच्छेद 22 और 30 का उल्लंघन करती हैं, जो दूतावास परिसरों और राजनयिक आवासों की अखंडता और गोपनीयता की रक्षा करते हैं। भारत ने इन उल्लंघनों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की बात कही है, और यह संभव है कि यह मामला संयुक्त राष्ट्र या अन्य कूटनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बने।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की ये कार्रवाइयां उसकी सैन्य और कूटनीतिक हार की प्रतिक्रिया हैं। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने और पाकिस्तानी उड़ानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम भी उठाए। इन कदमों ने पाकिस्तान को आर्थिक और रणनीतिक रूप से कमजोर किया। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान को अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय उड़ानों के लिए बंद करने से 4.10 अरब पाकिस्तानी रुपये का नुकसान हुआ, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डाला। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों को परेशान करने की रणनीति अपनाई, जो विशेषज्ञों के अनुसार, उसकी हताशा और कमजोर स्थिति को दर्शाती है।
इस तनाव का वैश्विक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी स्थिति मजबूत की है। इजरायल और रूस जैसे देशों ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ कदमों का समर्थन किया है, जबकि चीन और तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया। अमेरिका ने तटस्थ रुख अपनाते हुए युद्धविराम की पेशकश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत का आधार केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का मुद्दा होगा।
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