देश- विदेश : ऑपरेशन सिंधु- मैंने ईरान का नमक खाया है.... ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच भोपाल के दो छात्रों का भारत लौटने से इनकार। 

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। इस संघर्ष की आग में कई भारतीय नागरिक...

Jun 25, 2025 - 11:52
Jun 25, 2025 - 11:57
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देश- विदेश : ऑपरेशन सिंधु- मैंने ईरान का नमक खाया है.... ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच भोपाल के दो छात्रों का भारत लौटने से इनकार। 

हैदराबाद : ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। इस संघर्ष की आग में कई भारतीय नागरिक, जिनमें छात्र, मजदूर और तीर्थयात्री शामिल हैं, ईरान में फंस गए हैं। भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए 'ऑपरेशन सिंधु' शुरू किया है, जिसके तहत अब तक हजारों भारतीयों को स्वदेश लाया जा चुका है। लेकिन इस बीच, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दो छात्रों ने ईरान से लौटने से साफ इनकार कर दिया है, जिससे उनके परिवारों में चिंता की लहर दौड़ गई है। इनमें से एक छात्र, अबरार अली, ने ईरान के प्रति अपनी वफादारी जताते हुए कहा, "मैंने ईरान का नमक खाया है, मैं ऐसे में नहीं जाऊंगा।"

ईरान और इजरायल के बीच तनाव 13 जून 2025 को उस समय चरम पर पहुंच गया, जब इजरायल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' शुरू करते हुए ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिससे क्षेत्र में युद्ध जैसे हालात बन गए। इस संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व, बल्कि वैश्विक कूटनीति को भी प्रभावित किया। ईरान में रह रहे विदेशी नागरिकों, खासकर भारतीयों, के लिए स्थिति अत्यंत खतरनाक हो गई। तेहरान, मशहद और कोम जैसे शहरों में मिसाइल हमलों और बमबारी की खबरों ने वहां रह रहे भारतीयों के बीच दहशत पैदा कर दी।

भारत सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 18 जून 2025 को 'ऑपरेशन सिंधु' शुरू किया। इस अभियान के तहत भारतीय दूतावास ने ईरान में फंसे नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उन्हें स्वदेश लाने की व्यवस्था की। अब तक 2,858 भारतीय नागरिकों को निकाला जा चुका है, जिनमें अधिकांश छात्र और तीर्थयात्री शामिल हैं। ऑपरेशन सिंधु भारत सरकार की उन कई निकासी योजनाओं में से एक है, जो विदेशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए शुरू की गई हैं। इस अभियान के तहत भारतीय दूतावास ने ईरान सरकार के सहयोग से तेहरान, कोम और मशहद जैसे शहरों से भारतीयों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसके बाद, चार्टर्ड उड़ानों के जरिए उन्हें दिल्ली लाया गया। पहली उड़ान 19 जून 2025 को येरेवान, आर्मेनिया से दिल्ली पहुंची, जिसमें 110 छात्र शामिल थे।

20 जून को ईरान ने भारत के लिए विशेष रूप से अपने हवाई क्षेत्र को खोला, जिसके बाद मशहद से तीन चार्टर्ड उड़ानें दिल्ली पहुंचीं। इन उड़ानों में 1,000 से अधिक भारतीय नागरिक शामिल थे, जिनमें जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक के छात्र प्रमुख थे। एक निकासी उड़ान में शामिल नोएडा की छात्रा तजकिया फातिमा ने कहा, "ईरान में युद्ध जैसे हालात थे। हम नहीं जानते थे कि हम सुरक्षित निकल पाएंगे या नहीं, लेकिन भारतीय सरकार ने सबकुछ आसान कर दिया।" भारत ने न केवल अपने नागरिकों, बल्कि नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी निकाला, जिसके लिए दोनों देशों ने भारत का आभार जताया।

  • भोपाल के छात्रों का लौटने से इनकार

जबकि अधिकांश भारतीय नागरिक ऑपरेशन सिंधु के तहत स्वदेश लौट आए, भोपाल के दो छात्रों, अबरार अली (30) और गुल अफशा खातून, ने ईरान में रहने का फैसला किया। अबरार, जो भोपाल के निशातपुरा इलाके में रहते हैं, पिछले चार वर्षों से कोम शहर में इस्लामी धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनकी मां शहनूर बेगम ने बताया कि जब उन्होंने अबरार से लौटने के लिए कहा, तो उन्होंने जवाब दिया, "मैं चार साल से यहां रह रहा हूं। इस मुश्किल वक्त में ईरान को छोड़कर नहीं जाऊंगा। मैंने ईरान का नमक खाया है, और उनकी जनता यह नहीं कहेगी कि मैं बुरे वक्त में भाग गया।" अबरार के पिता आबिद अली ने बताया कि उनका बेटा कोम में सुरक्षित है, लेकिन परिवार उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा, "हमने सुना कि ईरान में बमबारी हो रही है। हमने अबरार से बात की, लेकिन वह नहीं माना। वह कहता है कि वह सुरक्षित जगह पर है और ईरान के प्रति वफादार रहना चाहता है।" आबिद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे इस युद्ध को रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयास करें। दूसरी छात्रा, गुल अफशा खातून, भोपाल के करोंद इलाके की रहने वाली हैं और मशहद शहर में धार्मिक अध्ययन कर रही हैं। वह अपने हॉस्टल में रहती हैं, और उनके पिता मिगदाद नुसवी ने सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी के लिए मदद मांगी है। गुल अफशा ने अभी तक लौटने से इनकार करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, लेकिन उनके परिवार को आशंका है कि वह युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसी हो सकती हैं।

अबरार और गुल अफशा के परिवारों की चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि ईरान में स्थिति अभी भी अस्थिर है। हालांकि, 24 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की घोषणा की थी, लेकिन इसके तुरंत बाद इजरायली वायुसेना ने तेहरान के उत्तर में एक रडार ठिकाने पर हमला किया, जिसके जवाब में ईरान ने दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इस अस्थिरता ने परिवारों की चिंता को और बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग अबरार के ईरान के प्रति वफादारी को उनकी निजी पसंद मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "अबरार का फैसला उनकी निजी भावनाओं का हिस्सा हो सकता है, लेकिन उन्हें अपने परिवार की चिंता भी समझनी चाहिए।" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "यह समय देशभक्ति और परिवार का साथ देने का है, न कि विदेशी देश के प्रति वफादारी दिखाने का।"

विशेषज्ञों का कहना है कि अबरार जैसे मामलों में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक भी भूमिका निभा सकते हैं। विदेश में लंबे समय तक रहने से कुछ लोग उस देश के प्रति गहरी भावनात्मक लगाव विकसित कर लेते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. रीना शर्मा कहती हैं, "ऐसे मामलों में परिवार और सरकार को संवेदनशीलता के साथ बातचीत करनी चाहिए। जबरदस्ती करने से स्थिति और जटिल हो सकती है।" ऑपरेशन सिंधु ने भारत की अपने नागरिकों के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार फिर साबित किया है। लेकिन भोपाल के दो छात्रों का लौटने से इनकार इस अभियान की जटिलता को दर्शाता है। अबरार और गुल अफशा के फैसले ने न केवल उनके परिवारों, बल्कि पूरे समाज में बहस छेड़ दी है। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि व्यक्तिगत वफादारी और राष्ट्रीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। भारत सरकार को अब न केवल बाकी नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करनी है, बल्कि अबरार और गुल अफशा जैसे लोगों को मनाने के लिए कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक प्रयास भी करने होंगे। यह मामला भारत के लिए कूटनीतिक और साइबर दोनों स्तरों पर चुनौतियां पेश करता है। ईरान में करीब 10,000 भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनमें से अधिकांश छात्र और तीर्थयात्री हैं। इन सभी को निकालना एक जटिल प्रक्रिया है, खासकर तब जब कुछ लोग लौटने से इनकार कर रहे हों। भारतीय दूतावास ने 24x7 हेल्पलाइन शुरू की है और नागरिकों से दूतावास के साथ संपर्क में रहने की अपील की है।

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