मुजफ्फरनगर में आवारा सांड का कहर- युवक पर हमला किया, गंभीर चोट, आसपास के लोगों ने बचाया।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आवारा सांडों का आतंक बढ़ता जा रहा है। शनिवार को शहर के व्यस्त इलाके में एक आवारा सांड ने अचानक एक युवक पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आवारा सांडों का आतंक बढ़ता जा रहा है। शनिवार को शहर के व्यस्त इलाके में एक आवारा सांड ने अचानक एक युवक पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए सांड को भगाया और घायल युवक को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। यह घटना 4 अक्टूबर 2025 को शाम करीब साढ़े छह बजे घटी, जब युवक बाजार से सामान लेकर घर लौट रहा था। खबर फैलते ही इलाके में दहशत फैल गई। जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पशु नियंत्रण अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं। यह हादसा सांडों के बढ़ते खतरे को उजागर करता है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों की जान पर बन आए हैं।
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है, जो दिल्ली से सटा हुआ है। यहां की आबादी करीब 52 लाख है, जिसमें किसान और छोटे व्यापारी प्रमुख हैं। जिले में गन्ना, गेहूं और सब्जियों की खेती मुख्य व्यवसाय है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आवारा पशुओं की समस्या बढ़ गई है। गौहत्या प्रतिबंध कानून के बाद गायों को छोड़ दिया जाता है, जिससे सांड सड़कों पर घूमते रहते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि सांड अक्सर बाजारों और सड़कों पर घुस आते हैं। वे तेज गति से दौड़ते हैं और बिना किसी कारण के हमला कर देते हैं। इस बार का हादसा भोपा रोड इलाके में हुआ, जो शहर का मुख्य व्यापारिक केंद्र है। यहां रोजाना सैकड़ों लोग आते-जाते हैं।
घटना के चश्मदीदों के अनुसार, युवक का नाम राजेश कुमार है, जो 28 वर्ष का है। वह स्थानीय एक दुकान पर काम करता है। शनिवार शाम को वह दैनिक सामान लेकर बाइक पर सवार होकर घर जा रहा था। अचानक सड़क किनारे से एक काला सांड दौड़ता हुआ आया और बिना चेतावनी के राजेश की बाइक पर टकरा गया। बाइक गिर गई और सांड ने सींगों से राजेश को कई बार मारा। राजेश के पेट और पैरों पर गहरी चोटें आईं। वह चिल्लाया, लेकिन सांड नहीं रुका। आसपास के दुकानदारों ने शोर मचाया। कुछ लोगों ने लाठियां और डंडे उठाए और सांड को दूर भगाया। राजेश खून से लथपथ हो गया था। स्थानीय निवासी संजय शर्मा ने बताया कि वे पास की चाय की दुकान पर थे। सांड का हमला देखकर वे दौड़े और राजेश को सड़क से हटाया। फिर पड़ोसियों की मदद से उसे एक ऑटो में बिठाकर जिला अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने बताया कि राजेश की हालत गंभीर है। उसे कई टांके आए हैं और एंटीबायोटिक्स दिए जा रहे हैं। सौभाग्य से जान तो बची, लेकिन पूर्ण रूप से ठीक होने में समय लगेगा।
इस हादसे के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। महिलाएं और बच्चे अब सड़कों पर डरते हैं। एक स्थानीय महिला ने कहा कि वे शाम को बाजार जाना बंद कर दिया है। सांडों का आतंक इतना बढ़ गया है कि लोग रात में घरों से बाहर नहीं निकलते। मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने कहा कि पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच की। सांड को पकड़ने के लिए नगर निगम की टीम भेजी गई। लेकिन सांड जंगल की ओर भाग गया। प्रशासन ने गौशाला प्रबंधन से बात की है। जिले में 50 से ज्यादा गौशालाएं हैं, लेकिन क्षमता से ज्यादा पशु हैं। सांडों को पकड़ना मुश्किल होता है, क्योंकि वे आक्रामक हो जाते हैं। पिछले महीने ही मुजफ्फरनगर में दो अन्य घटनाएं हुईं, जहां सांडों ने किसानों पर हमला किया। एक किसान को सिर पर चोट लगी थी।
उत्तर प्रदेश में आवारा सांडों की समस्या पूरे राज्य में फैली हुई है। योगी सरकार ने गौसंरक्षण के लिए सख्त कदम उठाए हैं। 2017 से गौहत्या पर प्रतिबंध है, जिसके बाद हजारों गायें छोड़ी गईं। लेकिन सांडों का प्रबंधन चुनौती है। राज्य में करीब 20 लाख आवारा पशु हैं। सरकार ने गौशालाओं के लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं कम हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि सांडों को नपुंसन (कैस्ट्रेशन) करवाना चाहिए, ताकि वे आक्रामक न हों। लेकिन यह प्रक्रिया महंगी और जोखिम भरी है। किसान संगठनों ने मांग की है कि सांडों को अलग रखने के लिए विशेष केंद्र बनें। मुजफ्फरनगर जैसे सीमावर्ती जिलों में समस्या ज्यादा है, क्योंकि यहां पशु दिल्ली की ओर भागते हैं।
स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि भोपा रोड पर पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। कुछ ने सांडों को पकड़ने के लिए जाल लगाने का सुझाव दिया। एक एनजीओ ने जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें लोगों को सांडों से बचने के तरीके सिखाए गए। जैसे, सांड को उकसाना न दें, शोर मचाकर भगाएं या दूरी बनाए रखें। लेकिन ये उपाय अस्थायी हैं। राजेश के परिवार ने कहा कि वे मजदूरी करते हैं। इस हादसे से कमाने वाला हाथ चोटिल हो गया। अस्पताल का खर्च भी मुश्किल है। प्रशासन ने परिवार को आर्थिक सहायता देने का वादा किया।
यह घटना पूरे उत्तर प्रदेश में सांडों के खतरे को रेखांकित करती है। हाल ही में मेरठ में एक सांड ने 10 लोगों को घायल किया। सहारनपुर में एक बच्चे पर हमला हुआ। सरकार ने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए हैं कि अभियान चलाकर सांडों को पकड़ा जाए। मुजफ्फरनगर के डीएम ने कहा कि अगले सप्ताह विशेष ड्राइव शुरू होगी। इसमें वेटरनरी डॉक्टर और पुलिस शामिल होंगे। लोगों को भी सहयोग की अपील की गई है। अगर कोई सांड दिखे, तो तुरंत हेल्पलाइन 1962 पर कॉल करें। राजेश की हालत अब स्थिर है। वह अस्पताल में है और परिवार के साथ है। डॉक्टरों ने कहा कि दो-चार दिनों में छुट्टी मिल जाएगी। लेकिन मानसिक आघात रहेगा। स्थानीय लोग एकजुट होकर सांड समस्या का समाधान चाहते हैं।
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