UP: उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण के नए नियम: परिवार की सहमति और पंडित की गवाही अनिवार्य।
उत्तर प्रदेश में अब बिना परिवार की सहमति के गुपचुप तरीके से विवाह कर उसका पंजीकरण कराना संभव नहीं होगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय....

हाइलाइट्स:
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण के नियमों में बदलाव।
- परिवार की सहमति के बिना विवाह पंजीकरण नहीं होगा, विशेष रूप से भागकर किए गए विवाहों के लिए सख्ती।
- विवाह कराने वाले पंडित या पुरोहित की शारीरिक उपस्थिति और शपथ पत्र अनिवार्य।
- आधार-आधारित सत्यापन, बायोमेट्रिक डेटा, और दो गवाहों की तस्वीरें आवश्यक।
- विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में होगा जहां वर-वधू या उनके माता-पिता निवास करते हों।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब बिना परिवार की सहमति के गुपचुप तरीके से विवाह कर उसका पंजीकरण कराना संभव नहीं होगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के अनुपालन में निबंधन महानिरीक्षक (आईजी स्टांप) ने शनिवार को विवाह पंजीकरण के लिए नए अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के तहत, विशेष रूप से उन जोड़ों के लिए जो अपने परिवार की सहमति के बिना विवाह करते हैं, सख्त नियम लागू किए गए हैं। अब विवाह पंजीकरण के लिए परिवार की उपस्थिति या सहमति, विवाह कराने वाले पंडित या पुरोहित की गवाही, और आधार-आधारित सत्यापन अनिवार्य होगा। यह कदम नकली विवाह पंजीकरण और जालसाजी को रोकने के लिए उठाया गया है।
- नए नियम
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को अपने एक स्वत: संज्ञान याचिका के तहत उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली, 2017 में संशोधन का निर्देश दिया था। अदालत ने छह महीने के भीतर एक मजबूत और सत्यापन योग्य तंत्र स्थापित करने का आदेश दिया ताकि विवाहों की वैधता और पवित्रता सुनिश्चित की जा सके। इस आदेश के आधार पर, निबंधन विभाग ने शनिवार को नए अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए, जो विशेष रूप से भागकर विवाह करने वाले जोड़ों (रनअवे कपल्स) पर लागू होंगे।
- नए नियमों के अनुसार, विवाह पंजीकरण के लिए निम्नलिखित शर्तें अनिवार्य हैं:
परिवार की सहमति: यदि वर-वधू के परिवार के सदस्य पंजीकरण के समय उपस्थित हैं, तो विवाह की प्रामाणिकता की पुष्टि के बाद कुछ शर्तों को छूट दी जा सकती है। लेकिन यदि परिवार की सहमति नहीं है, तो पंजीकरण प्रक्रिया सख्त होगी।
पंडित या पुरोहित की गवाही: विवाह कराने वाले पंडित, पुरोहित, या अन्य धार्मिक व्यक्ति को पंजीकरण कार्यालय में शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा। उन्हें एक शपथ पत्र देना होगा जिसमें विवाह की तारीख, स्थान, और प्रक्रिया का उल्लेख हो।
आधार-आधारित सत्यापन: वर और वधू का आधार कार्ड के माध्यम से सत्यापन अनिवार्य है। इसके अलावा, बायोमेट्रिक डेटा (उंगलियों के निशान और रेटिना स्कैन) और दोनों पक्षों की तस्वीरें ली जाएंगी।
गवाहों की आवश्यकता: कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति और उनकी तस्वीरें अनिवार्य हैं। गवाहों को भी अपनी पहचान का प्रमाण देना होगा।
जिलेवार पंजीकरण: विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में होगा जहां वर-वधू या उनके माता-पिता स्थायी रूप से निवास करते हैं। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकरण किसी अन्य जिले में गुप्त रूप से न हो।
आयु सत्यापन: वर (21 वर्ष) और वधू (18 वर्ष) की आयु की पुष्टि के लिए डिजिलॉकर, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आधिकारिक दस्तावेजों का उपयोग किया जाएगा।
ये नियम 14 अक्टूबर 2024 को जारी अधिसूचना के आधार पर लागू किए गए हैं, और सभी उप-निबंधकों को इनका कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह आदेश तब दिया जब उसने नकली विवाह पंजीकरण की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई। अदालत ने 125 याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पाया कि कई मामलों में गैर-मौजूद संगठनों द्वारा फर्जी विवाह प्रमाणपत्र जारी किए गए, जिनका उपयोग उच्च न्यायालय से सुरक्षा आदेश प्राप्त करने के लिए किया गया। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने कहा कि ऐसी जालसाजी को रोकने के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परिवार के सदस्य पंजीकरण के समय मौजूद हैं और विवाह की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं, तो उप-निबंधक अपने विवेक से कुछ शर्तों को शिथिल कर सकता है। हालांकि, भागकर विवाह करने वाले जोड़ों के लिए ये नियम सख्ती से लागू होंगे ताकि धोखाधड़ी और जबरन विवाह को रोका जा सके।
- विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण के लिए प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
आवेदन: जोड़े को उत्तर प्रदेश निबंधन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (igrsup.gov.in) पर लॉग इन कर नया आवेदन पत्र भरना होगा। ऑफलाइन आवेदन के लिए नजदीकी उप-निबंधक कार्यालय में जाना होगा।
दस्तावेज: आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, जन्म प्रमाणपत्र, 10वीं की मार्कशीट, विवाह का निमंत्रण पत्र, और संयुक्त तस्वीरें शामिल हैं। इसके अलावा, दोनों पक्षों से अलग-अलग शपथ पत्र देने होंगे जिसमें विवाह की तारीख, स्थान, और वैवाहिक स्थिति का उल्लेख हो।
नियुक्ति: ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद, जोड़े को पंजीकरण कार्यालय में सत्यापन के लिए नियुक्ति लेनी होगी। इस दौरान मूल दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
पंजीकरण: सत्यापन के बाद, विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण में 15-30 दिन लग सकते हैं, जबकि विशेष विवाह अधिनियम के तहत 30-60 दिन का समय लग सकता है।
शुल्क: पंजीकरण शुल्क 150-300 रुपये है, लेकिन शपथ पत्र और नोटरीकरण के लिए अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।
- पंडित की भूमिका
नए नियमों में पंडित या पुरोहित की भूमिका को विशेष महत्व दिया गया है। पहले कई मामलों में पंडित की अनुपस्थिति में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर पंजीकरण कर लिया जाता था। अब पंडित को न केवल शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा, बल्कि उसे एक शपथ पत्र भी देना होगा जिसमें विवाह की प्रामाणिकता की पुष्टि हो। यह नियम हिंदू, सिख, जैन, और बौद्ध विवाहों के लिए विशेष रूप से लागू है, जहां धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह संपन्न होता है।
- कानूनी और प्रशासनिक दृष्टिकोण
उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में दिया था। इसके बाद, उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली, 2017 लागू की गई, जिसमें सभी धर्मों के विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया। नए दिशा-निर्देश इस नियमावली को और सख्त करते हैं, खासकर उन मामलों में जहां परिवार की सहमति नहीं होती।
निबंधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये नियम न केवल जालसाजी को रोकेंगे, बल्कि विवाह की कानूनी मान्यता को भी मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि आधार-आधारित सत्यापन और बायोमेट्रिक डेटा से यह सुनिश्चित होगा कि केवल वैध विवाह ही पंजीकृत हों।
- विशेष परिस्थितियों में छूट
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परिवार के सदस्य मौजूद हैं और विवाह की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं, तो उप-निबंधक कुछ शर्तों को छूट दे सकता है। उदाहरण के लिए, यदि माता-पिता या भाई-बहन पंजीकरण के समय उपस्थित हैं, तो पंडित की शारीरिक उपस्थिति या अतिरिक्त सत्यापन की आवश्यकता नहीं हो सकती। यह प्रावधान उन जोड़ों के लिए राहत प्रदान करता है जिनके परिवार उनकी शादी का समर्थन करते हैं।
नए नियमों के तहत, विवाह पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों का सहमति पत्र अनिवार्य है। यदि कोई पक्ष मानसिक रूप से अक्षम है या नशे की हालत में है, तो विवाह को अवैध माना जाएगा। इसके अलावा, निषिद्ध संबंधों (जैसे सगा भाई-बहन) में विवाह की अनुमति नहीं होगी, जब तक कि यह किसी विशेष समुदाय की प्रथा न हो। निबंधन विभाग ने सभी उप-निबंधकों को नए दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रशिक्षण देने की योजना बनाई है। इसके अलावा, ऑनलाइन पोर्टल को और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के लिए अपडेट किया जा रहा है ताकि जोड़े आसानी से आवेदन कर सकें। विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पंजीकरण प्रक्रिया में गोपनीयता बरती जाए, खासकर उन मामलों में जहां जोड़े परिवार के दबाव से बच रहे हैं।
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