UP News: हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी को 10 साल की सजा: यूपी को दहलाने की साजिश में था शामिल।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की एक अदालत ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी उल्फत हुसैन उर्फ मोहम्मद सैफुल इस्लाम को आतंकी गतिविधियों...
हाइलाइट्स:
- मुरादाबाद कोर्ट का फैसला: हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी उल्फत हुसैन को 10 साल की कठोर कारावास की सजा और 48,000 रुपये का जुर्माना।
- 17 साल से फरार: 2008 में जमानत पर रिहा होने के बाद उल्फत हुसैन 17 साल तक फरार रहा, 2025 में यूपी एटीएस ने पुंछ से किया गिरफ्तार।
- आतंकी साजिश का खुलासा: 2001 में उल्फत और उसके साथियों से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद, धार्मिक स्थलों पर हमले की थी योजना।
- पाकिस्तान से प्रशिक्षण: उल्फत ने 1999-2000 में PoK में आतंकी प्रशिक्षण लिया, यूपी में बड़े हमले की थी साजिश।
- यूपी पुलिस की सक्रियता: यूपी एटीएस और मुरादाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से आतंकी साजिश नाकाम, सुरक्षा व्यवस्था की सराहना।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की एक अदालत ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी उल्फत हुसैन उर्फ मोहम्मद सैफुल इस्लाम को आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश छाया शर्मा ने 26 मई 2025 को इस मामले में फैसला सुनाते हुए उल्फत पर 48,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह सजा उसकी 2001 में गिरफ्तारी के बाद शुरू हुए एक लंबे मुकदमे का परिणाम है, जिसमें उसे धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया। इस गिरफ्तारी ने उत्तर प्रदेश में आतंकवाद के खिलाफ चल रही सतर्कता और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता को फिर से रेखांकित किया है।
- उल्फत हुसैन का आतंकी इतिहास
उल्फत हुसैन, जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के फजलाबाद, सुरनकोट का निवासी, 2002 से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह 1999-2000 के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित हुआ था। वहां उसे हथियार चलाने, विस्फोटक तैयार करने और आतंकी हमलों की योजना बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद लौटा, जहां उसने अपने साथियों के साथ मिलकर धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर हमले की साजिश रची। 9 जुलाई 2001 को मुरादाबाद पुलिस ने तत्कालीन कटघर पुलिस स्टेशन प्रभारी के.एस. तलन के नेतृत्व में उल्फत हुसैन और उसके तीन साथियों मोहम्मद तकी उर्फ कारी तकी, मोहम्मद रिजवान, और जफर आलम को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से एक विशाल हथियारों का जखीरा बरामद हुआ, जिसमें एक AK-47 राइफल, एक AK-56 राइफल, दो .30 बोर पिस्टल, 12 हथगोले, 39 टाइमर, 50 डेटोनेटर, 37 बैटरी, 29 किलोग्राम विस्फोटक, 560 जिंदा कारतूस, और आठ मैगजीन शामिल थे। इस बरामदगी ने पुलिस को चौंका दिया, क्योंकि यह यूपी में एक बड़े आतंकी हमले की योजना का संकेत था।
- जमानत के बाद फरारी और फिर गिरफ्तारी
2001 में गिरफ्तारी के बाद उल्फत हुसैन को 2008 में जमानत मिल गई, लेकिन उसने अदालत में पेश होने के लिए जारी समन और वारंट की अवहेलना की। इसके बाद वह 17 साल तक फरार रहा। मुरादाबाद पुलिस ने उसके खिलाफ 2015 और 2025 में स्थायी वारंट जारी किए और उसकी गिरफ्तारी के लिए 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया। इस दौरान उल्फत ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई उपनामों का इस्तेमाल किया, जिनमें मोहम्मद सैफुल इस्लाम, हुसैन मलिक, और परवेज शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) और मुरादाबाद पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर 8 मार्च 2025 को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले से उल्फत को गिरफ्तार किया। यह संयुक्त ऑपरेशन यूपी पुलिस की सतर्कता और समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण था। गिरफ्तारी के बाद उल्फत को मुरादाबाद जेल में स्थानांतरित किया गया, जहां से उसका मुकदमा फिर से शुरू हुआ।
- मुरादाबाद कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील सुरेश सिंह ने बताया कि उल्फत हुसैन के खिलाफ आर्म्स एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत पर्याप्त सबूत थे। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि उल्फत और उसके साथियों की साजिश धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हमले करके सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की थी। बचाव पक्ष ने दावा किया कि उल्फत को झूठा फंसाया गया, लेकिन अदालत ने सबूतों के आधार पर उसे दोषी ठहराया। 26 मई 2025 को, न्यायाधीश छाया शर्मा ने उल्फत को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई और 48,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
- हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी नेटवर्क
हिजबुल मुजाहिदीन, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था, एक पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन है, जो कश्मीर को भारत से अलग करने और इसे पाकिस्तान में मिलाने के उद्देश्य से सक्रिय है। यह संगठन जमात-ए-इस्लामी कश्मीर का सैन्य विंग माना जाता है और इसका मुख्यालय पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में है। हिजबुल को भारत, अमेरिका, कनाडा, और यूरोपीय संघ ने आतंकी संगठन घोषित किया है।
उल्फत हुसैन जैसे आतंकियों को प्रशिक्षण देने के लिए हिजबुल ने PoK में कई शिविर स्थापित किए हैं, जहां से वे भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने कैडर भेजते हैं। यूपी में उल्फत की साजिश इस बात का संकेत है कि हिजबुल न केवल कश्मीर में, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस और ATS ने हाल के वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों को और मजबूत किया है। उल्फत हुसैन की गिरफ्तारी से पहले भी ATS ने कई आतंकी साजिशों को नाकाम किया है। 2018 में दर्ज एक अन्य मामले में, NIA ने हिजबुल के आतंकी कमरुज-जमां को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जो उत्तर प्रदेश में मंदिरों पर हमले की साजिश में शामिल था। ATS के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी टीमें लगातार खुफिया जानकारी एकत्र करती हैं और आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए काम करती हैं। उल्फत की गिरफ्तारी से उसके नेटवर्क और अन्य संदिग्धों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।”
उल्फत हुसैन की सजा की खबर ने उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था की सराहना को बढ़ाया है। स्थानीय लोगों ने पुलिस और ATS की त्वरित कार्रवाई की प्रशंसा की। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमारे शहर को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस का यह प्रयास काबिल-ए-तारीफ है।” वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने चिंता जताई कि आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ सामुदायिक सौहार्द को बनाए रखना भी जरूरी है।
उल्फत हुसैन को 10 साल की सजा न केवल एक आतंकी साजिश को नाकाम करने की कहानी है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और दृढ़ता का भी प्रतीक है। यह मामला दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समय, धैर्य, और समन्वित प्रयासों की जरूरत होती है। उल्फत की गिरफ्तारी और सजा से यह संदेश साफ है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है। इस बीच, पुलिस और ATS उसकी गतिविधियों की और जांच कर रही है ताकि उसके नेटवर्क और अन्य संभावित खतरों का पता लगाया जा सके।
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