महाराष्ट्र के वसई में बाल दिवस पर दर्दनाक घटना- 12 वर्षीय छात्रा की मौत, देरी से आने पर टीचर ने लगवाईं 100 उठक-बैठकें

प्रिया ने बिना विरोध के सजा पूरी की। सहपाठियों के अनुसार, वह थकी हुई लग रही थी, लेकिन चुपचाप क्लास में बैठ गई। दोपहर के ब्रेक के बाद उसकी तबीयत अचानक बिगड़

Nov 16, 2025 - 14:36
 0  15
महाराष्ट्र के वसई में बाल दिवस पर दर्दनाक घटना- 12 वर्षीय छात्रा की मौत, देरी से आने पर टीचर ने लगवाईं 100 उठक-बैठकें
महाराष्ट्र के वसई में बाल दिवस पर दर्दनाक घटना- 12 वर्षीय छात्रा की मौत, देरी से आने पर टीचर ने लगवाईं 100 उठक-बैठकें

महाराष्ट्र के वसई इलाके से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल बाल दिवस की खुशियों को मातम में बदल देगी, बल्कि स्कूलों में शारीरिक सजा के खिलाफ चल रही बहस को फिर से हवा देगी। 12 वर्षीय एक छठी कक्षा की छात्रा, जो मात्र 10 मिनट देरी से स्कूल पहुंची थी, को उसके कक्षा अध्यापक ने कंधे पर बैग लटकाकर 100 उठक-बैठकें लगाने की सजा दी। सजा पूरी करने के कुछ ही मिनटों बाद छात्रा की तबीयत बिगड़ गई। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान शुक्रवार 15 नवंबर 2025 को उसकी मौत हो गई। यह घटना वसई के एक निजी स्कूल में हुई, जहां छात्रा रोजाना पढ़ने जाती थी। पुलिस ने टीचर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और स्कूल प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह हादसा न केवल परिवार को शोक में डुबो रहा है, बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या अनुशासन के नाम पर बच्चों की जान जोखिम में डाली जा सकती है। आइए, इस दुखद घटना के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं।

घटना 8 नवंबर 2025 को वसई के वागाड क्षेत्र में स्थित एक निजी स्कूल में घटी। यह स्कूल स्थानीय स्तर पर जाना-माना है, जहां करीब 500 छात्र पढ़ते हैं। मृतक छात्रा का नाम प्रिया शर्मा था, जो एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी। उसके पिता एक ऑटो रिक्शा चालक हैं, जबकि मां घर संभालती हैं। प्रिया के दो छोटे भाई-बहन हैं, और वह घर की जिम्मेदार बड़ी बहन थी। परिवार का कहना है कि प्रिया हमेशा समय पर स्कूल जाती थी, लेकिन उस दिन सुबह बारिश के कारण बस लेट हो गई। वह करीब 8:50 बजे स्कूल पहुंची, जबकि पहली घंटी 8:40 पर बजती थी। कक्षा में पहुंचते ही टीचर ने देरी का हवाला देकर सजा सुनाई। टीचर ने प्रिया से कहा कि वह कंधे पर अपना भारी बैग लटकाकर 100 उठक-बैठकें लगाए। बैग में किताबें, नोटबुक और पानी की बोतलें भरी हुई थीं, जिसका वजन करीब 10 किलोग्राम था।

प्रिया ने बिना विरोध के सजा पूरी की। सहपाठियों के अनुसार, वह थकी हुई लग रही थी, लेकिन चुपचाप क्लास में बैठ गई। दोपहर के ब्रेक के बाद उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। वह सिर पकड़कर गिर पड़ी और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। स्कूल स्टाफ ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और उसे वसई के नजदीकी निजी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में हृदय संबंधी समस्या बताई, जो शारीरिक थकान से ट्रिगर हुई। प्रिया को वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन अगले कुछ दिनों में उसकी हालत स्थिर नहीं रही। परिवार ने बताया कि प्रिया को पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि अचानक की गई कठोर शारीरिक मेहनत से उसके हृदय पर दबाव पड़ा। 15 नवंबर को दोपहर करीब दो बजे डॉक्टरों ने परिवार को बुलाकर मौत की सूचना दी। प्रिया का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट में सजा से जुड़ी थकान को मौत का कारण बताया गया।

परिवार का गम अथाह है। प्रिया के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मेरी बेटी ने कभी शिकायत नहीं की। वह कहती थी कि टीचर जी गुस्सा हो गए थे। हमने सोचा था कि थोड़ी थकान है, लेकिन यह जानलेवा साबित हो गई।" मां ने रोते हुए कहा कि बाल दिवस पर प्रिया ने स्कूल में भाग लिया था, लेकिन उसी स्कूल ने उसकी जान ले ली। परिवार ने स्कूल पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सजा के समय कोई स्टाफ मौजूद नहीं था, और तबीयत बिगड़ने पर देरी से एम्बुलेंस बुलाई गई। प्रिया की छोटी बहन ने बताया कि दीदी हमेशा होमवर्क समय पर करती थी और कभी देरी नहीं करती थी। परिवार ने मांग की है कि टीचर को सख्त सजा दी जाए और स्कूल पर जुर्माना लगाया जाए।

पुलिस ने तुरंत संज्ञान लिया। वसई पुलिस स्टेशन पर प्रिया के पिता की शिकायत पर टीचर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 304 (लापरवाही से मौत) और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। वसई के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने बताया कि टीचर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। स्कूल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। प्रिया के सहपाठियों से बयान लिए गए, जिन्होंने सजा की पुष्टि की। पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल का निरीक्षण किया और अस्थायी रूप से संचालन रोक दिया। महाराष्ट्र सरकार ने मामले को गंभीर बताते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शारीरिक सजा पर पूर्ण प्रतिबंध है, और उल्लंघन पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।

यह घटना स्कूलों में शारीरिक सजा की समस्या को फिर से उजागर कर रही है। भारत में 2009 के अधिकारों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत शारीरिक सजा पर सख्ती से रोक है। लेकिन कई स्कूलों में अनुशासन के नाम पर यह प्रथा जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि उठक-बैठक जैसी सजाएं बच्चों के हृदय और मांसपेशियों पर दबाव डालती हैं, खासकर अगर बच्चा कमजोर हो। प्रिया का मामला महाराष्ट्र में पिछले साल हुई एक समान घटना की याद दिलाता है, जहां एक छात्र को सजा देने से उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। बाल मनोवैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऐसी सजाएं बच्चों में डर पैदा करती हैं और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करती हैं। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने स्कूलों को नोटिस जारी करने की योजना बनाई है।

स्थानीय स्तर पर गुस्सा भड़क गया है। वसई के निवासियों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया। अभिभावक संगठनों ने बैठक बुलाई और सभी स्कूलों में सजा नीतियों की समीक्षा की मांग की। एक अभिभावक ने कहा, "बच्चों को डराने से शिक्षा नहीं मिलती। हमें जागरूक रहना होगा।" सोशल मीडिया पर #JusticeForPriya ट्रेंड कर रहा है। लोग टीचरों की ट्रेनिंग पर सवाल उठा रहे हैं। स्कूल प्रिंसिपल ने सफाई दी कि सजा का पता नहीं चला, लेकिन परिवार ने इसे खारिज किया। यह हादसा बाल दिवस के संदेश को झकझोर रहा है, जो बच्चों के अधिकारों पर जोर देता है।

Also Click : बिहार चुनाव 2025: जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार चंद्रशेखर सिंह की हार्ट अटैक से दर्दनाक मौत, तरारी सीट पर 2271 वोटों के साथ रहे थे पीछे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow