Trending: इटावा में कथावाचक मुकुट मणि यादव का सिर मुंडवाया था, अब अखिलेश यादव ने किया सम्मानित, कहा- अभी और...

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र में एक शर्मनाक और अमानवीय घटना ने पूरे राज्य में सामाजिक और राजनीतिक हलचल ...

Jun 25, 2025 - 11:48
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Trending: इटावा में कथावाचक मुकुट मणि यादव का सिर मुंडवाया था, अब अखिलेश यादव ने किया सम्मानित, कहा- अभी और...

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र में एक शर्मनाक और अमानवीय घटना ने पूरे राज्य में सामाजिक और राजनीतिक हलचल मचा दी है। भागवत कथा सुनाने आए कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत कुमार यादव के साथ कथित तौर पर जाति के आधार पर मारपीट, अपमान और बर्बरता की गई। पीड़ितों का दावा है कि उनकी चोटी और बाल काटे गए, नाक रगड़वाने को मजबूर किया गया, और सबसे चौंकाने वाला, उन पर पेशाब छिड़ककर ‘शुद्धिकरण’ करने का प्रयास किया गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ा रुख अपनाया और पीड़ित कथावाचकों को लखनऊ में सम्मानित किया। इस मामले ने जातिगत भेदभाव और सामाजिक समानता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

  • जाति पूछकर शुरू हुआ अत्याचार?

21 जून 2025 को इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र के दांदरपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया था। इस आयोजन के लिए औरैया के अछल्दा से कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत कुमार यादव को बुलाया गया था। मुकुट मणि ने बताया कि पहले दिन कलश यात्रा के बाद कुछ ग्रामीणों ने उनसे उनकी जाति पूछी। जब उन्होंने बताया कि वे यादव जाति से हैं, तो कुछ लोगों ने आपत्ति जताते हुए उनके साथ अभद्रता शुरू कर दी। पीड़ितों के अनुसार, गांव के कुछ दबंगों ने उन्हें बंधक बनाकर पूरी रात प्रताड़ित किया। मुकुट मणि ने बताया, “उन्होंने हमें मारा-पीटा, बाल काटे और पेशाब से शुद्धिकरण किया।” संत कुमार यादव ने कहा कि उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं, उनकी चोटी काटी गई, और एक महिला के पैर छूने और नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, उनकी सोने की चेन और 25,000 रुपये नकद छीन लिए गए, और उनके हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्र तोड़ दिए गए। इस पूरी घटना का वीडियो बनाया गया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

  • दूसरे पक्ष का दावा: जाति छिपाने और छेड़छाड़ का आरोप

घटना के दूसरे पक्ष ने दावा किया कि कथावाचकों ने अपनी जाति छिपाकर खुद को अग्निहोत्री ब्राह्मण बताया था। ग्रामीणों का कहना है कि जब उनकी असल जाति का पता चला, तो कुछ लोगों ने गुस्से में उनके साथ मारपीट की। इसके अलावा, आयोजक और यजमान ने कथावाचकों पर एक महिला से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कथावाचक ने भोजन के दौरान यजमान की पत्नी का हाथ पकड़ा और गलत ढंग से छुआ। ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने इस मामले में कथावाचकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। हालांकि, पुलिस ने अभी तक छेड़छाड़ के आरोपों की पुष्टि नहीं की है और मामले की जांच चल रही है।

  • पुलिस की कार्रवाई: चार गिरफ्तार, जांच जारी

23 जून 2025 को वायरल वीडियो के आधार पर इटावा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पीड़ित संत कुमार यादव की तहरीर पर धारा 115(2), 309(2), 351(2), और 352 बीएनएसएस के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। चार आरोपियों आशीष तिवारी, उत्तम अवस्थी, प्रथम दुबे, और निक्की अवस्थी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) सिटी अभयनाथ त्रिपाठी को जांच सौंपी गई है। पुलिस ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए कठोर कार्रवाई की जाएगी। एसएसपी ने यह भी कहा कि दूसरे पक्ष के दावों की जांच की जा रही है, और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

  • अखिलेश यादव: पीड़ितों का सम्मान और आंदोलन की चेतावनी

घटना के वायरल होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 23 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए इसे संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने लिखा, “इटावा के दांदरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान कथावाचक और उनके सहायकों की जाति पूछने पर पीडीए की एक जाति बताने पर, कुछ वर्चस्ववादी और प्रभुत्ववादी लोगों ने उनके बाल कटवाए, नाक रगड़वाई और इलाके की शुद्धि कराई।” उन्होंने तीन दिनों के भीतर सख्त कार्रवाई न होने पर ‘पीडीए के सम्मान की रक्षा’ के लिए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। 24 जून को लखनऊ में सपा मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश ने पीड़ित कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव को सम्मानित किया। उन्होंने दोनों को 21-21 हजार रुपये की नकद सहायता दी और सपा की ओर से 51-51 हजार रुपये देने की घोषणा की। अखिलेश ने कहा, “अगर सच्चे कृष्ण भक्तों को भागवत कथा कहने से रोका जाएगा, तो कोई यह अपमान क्यों सहे? भागवत कथा सबके लिए है। अगर सब सुन सकते हैं, तो सब बोल क्यों नहीं सकते?” उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह घटना पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज के उत्पीड़न का हिस्सा है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या धार्मिक कर्मकांडों पर कुछ जातियों का एकाधिकार है, और अगर ऐसा है, तो बीजेपी इसके लिए कानून बनाए।

  • सियासी तूल

यह घटना भारत में गहरे जड़े जातिगत भेदभाव को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक कर्मकांडों में जाति के आधार पर वर्चस्व की मानसिकता अभी भी समाज में मौजूद है। सामाजिक कार्यकर्ता रीना मेहता कहती हैं, “यह केवल एक कथावाचक का अपमान नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है। हमें ऐसी मानसिकता के खिलाफ जागरूकता फैलानी होगी।” इस घटना ने यह भी सवाल उठाया कि क्या धार्मिक आयोजनों में जाति की बाधाएं अभी भी प्रासंगिक हैं। अखिलेश यादव ने कहा, “जब भगवान श्रीकृष्ण की कथा सब सुन सकते हैं, तो उसे सुनाने का अधिकार सबको क्यों नहीं है?” इटावा की इस घटना ने न केवल जातिगत भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बहस को भी जन्म दिया है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और अखिलेश यादव के समर्थन से पीड़ितों को कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन यह मामला समाज के सामने एक बड़ा सवाल छोड़ गया है क्या हम 21वीं सदी में भी जाति की जंजीरों में जकड़े हैं? इस घटना ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। सपा सांसद जितेंद्र दोहरे, विधायक राघवेंद्र गौतम, और जिला अध्यक्ष प्रदीप शाक्य ने पीड़ितों के साथ एसएसपी से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की। सपा ने इसे जातीय उत्पीड़न का मामला बताते हुए बीजेपी सरकार पर सामाजिक समानता और कानून-व्यवस्था में विफलता का आरोप लगाया। वहीं, प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि यह सामाजिक विद्वेष का मामला है, न कि पीडीए का। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। एक यूजर ने लिखा, “यह मध्ययुगीन सोच आज के भारत के मुंह पर तमाचा है।” एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, “क्या यही है ‘सबका साथ, सबका विकास’?”

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