हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बारोट में पैराग्लाइडर की इमरजेंसी लैंडिंग, पायलट बाल-बाल बचा। 

हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक खेलों के लिए जाना जाता है। यहां की ऊंची पहाड़ियां और हरी-भरी घाटियां पैराग्लाइडिंग जैसे रोमांचक

Oct 29, 2025 - 15:22
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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बारोट में पैराग्लाइडर की इमरजेंसी लैंडिंग, पायलट बाल-बाल बचा। 
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बारोट में पैराग्लाइडर की इमरजेंसी लैंडिंग, पायलट बाल-बाल बचा। 

हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक खेलों के लिए जाना जाता है। यहां की ऊंची पहाड़ियां और हरी-भरी घाटियां पैराग्लाइडिंग जैसे रोमांचक खेलों को आकर्षक बनाती हैं। लेकिन कभी-कभी मौसम की मार से ये खेल खतरनाक हो जाते हैं। हाल ही में मंडी जिले के बारोट क्षेत्र में ऐसा ही एक हादसा हुआ, जहां एक पैराग्लाइडर पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। वीडियो के वायरल होने से यह घटना चर्चा में आ गई। पायलट की जान तो बच गई, लेकिन यह घटना स्थानीय प्रशासन और साहसिक खेल संचालकों के लिए चेतावनी का संदेश दे गई।

यह घटना 27 अक्टूबर 2025 को दोपहर करीब 2 बजे की है। बारोट, जो मंडी जिले का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, वहां पैराग्लाइडिंग का एक छोटा आयोजन चल रहा था। बारोट को हिमाचल के उभरते पैराग्लाइडिंग स्पॉट्स में गिना जाता है। यहां से उड़ान भरने पर सतलुज नदी के किनारे की घाटियां और बर्फीली चोटियां दिखाई देती हैं, जो साहसिक प्रेमियों को लुभाती हैं। इस दिन पायलट, जिनका नाम राहुल शर्मा बताया जा रहा है, ने बीड़ घाटी से उड़ान भरी। बीड़ मंडी जिले में ही एक प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग टेकऑफ पॉइंट है। राहुल शर्मा 32 वर्षीय स्थानीय पायलट हैं, जो पिछले तीन वर्षों से इस क्षेत्र में उड़ान भर रहे हैं। वे हिमाचल एयरो स्पोर्ट्स काउंसिल से प्रशिक्षित हैं और कई पर्यटकों को उड़ान करा चुके हैं।

उड़ान की शुरुआत सामान्य रही। राहुल ने पर्यटकों के साथ एक ट्रायल फ्लाइट की योजना बनाई थी। हवा की गति करीब 10 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जो पैराग्लाइडिंग के लिए उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन उड़ान के करीब 15 मिनट बाद, मौसम ने अचानक करवट ली। हिमाचल में अक्टूबर का महीना सामान्यतः शांत रहता है, लेकिन इस दिन ऊंचाई पर ठंडी हवाओं का बहाव बदल गया। मौसम विभाग के अनुसार, बारोट क्षेत्र में उस दिन दोपहर 1:30 बजे से हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम से पूर्व की ओर मुड़ गई, जिससे गस्टर हवाएं चलने लगीं। गस्टर हवाएं पैराग्लाइडिंग में सबसे बड़ा खतरा पैदा करती हैं, क्योंकि वे ग्लाइडर को असंतुलित कर देती हैं। राहुल के ग्लाइडर पर लगे जीपीएस डिवाइस के डेटा से पता चला कि अचानक हवा की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई। इससे ग्लाइडर का संतुलन बिगड़ गया और पायलट नियंत्रण खो बैठे।

राहुल ने तुरंत इमरजेंसी प्रक्रिया अपनाई। उन्होंने रेडियो पर ग्राउंड कंट्रोल को संदेश दिया कि वे नियोजित लैंडिंग साइट पर नहीं पहुंच पा रहे। ग्राउंड पर मौजूद सहयोगी पायलटों ने तुरंत लोकेशन ट्रैक की। लेकिन हवा के जोर से ग्लाइडर बीड़ से करीब 8 किलोमीटर दूर एक खेत में बहता चला गया। अंततः, बारोट के निकटवर्ती गांव जाहंर के खेतों में क्रैश लैंडिंग हुई। वीडियो में दिख रहा है कि ग्लाइडर तेजी से नीचे आता है और खेत की मिट्टी पर फिसलते हुए रुकता है। राहुल पैराशूट से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं, लेकिन गिरावट के कारण वे कुछ दूर तक घसीटे जाते हैं। सौभाग्य से, खेत में कोई बड़ा पत्थर या बाड़ा नहीं था, जिससे चोट गंभीर नहीं हुई। राहुल को केवल हल्के झटके, हाथ में खरोंच और पैर में मोच आई। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर लैंडिंग थोड़ी और खराब होती तो जान पर बन सकती थी।

स्थानीय लोगों की त्वरित मदद ने स्थिति को सामान्य किया। जाहंर गांव के किसान हरि राम और उनके बेटे ने वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उन्होंने तुरंत राहुल को खेत से बाहर निकाला और नजदीकी सड़क तक पहुंचाया। गांव के अन्य लोग भी दौड़े आए। उन्होंने पायलट को पानी पिलाया और प्राथमिक उपचार दिया। करीब 10 मिनट में स्थानीय पुलिस और हेल्थ टीम मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और पायलट को जोनल अस्पताल मंडी ले जाया गया। वहां चेकअप के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। राहुल ने बताया कि हवा का अचानक बदलाव ही मुख्य कारण था। वे कहते हैं, मैंने ब्रेक लगाने की पूरी कोशिश की, लेकिन हवा ने ग्लाइडर को घुमा दिया।

यह घटना हिमाचल में पैराग्लाइडिंग की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाती है। राज्य में कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और शिमला जैसे जिले पैराग्लाइडिंग हब बन चुके हैं। बीर-बिलिंग को विश्व स्तरीय साइट माना जाता है, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। मंडी का बारोट भी अब उभर रहा है। यहां सतलुज नदी के किनारे टेकऑफ पॉइंट विकसित हो रहा है। लेकिन ऐसी घटनाएं सवाल उठाती हैं। हाल ही में कांगड़ा में एक कनाडाई महिला पैराग्लाइडर की मौत हो गई थी, जब उनका ग्लाइडर ऊंची चोटी पर क्रैश हो गया। इसी तरह, मनाली में एक ऑस्ट्रेलियाई पायलट को 20 घंटे बाद रेस्क्यू करना पड़ा। शिमला फ्लाइंग फेस्टिवल में भी लैंडिंग के दौरान गिरावट की घटनाएं हुईं। इनसे साफ है कि सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की जरूरत है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2022 में एयरो स्पोर्ट्स नियम बनाए हैं, जिनमें सभी पायलटों के लिए 10 लाख का बीमा अनिवार्य है। साथ ही, मौसम की निगरानी के लिए ऐप्स और जीपीएस का इस्तेमाल जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर ट्रेनिंग और उपकरणों की जांच अधिक सतर्कता से होनी चाहिए। हिमाचल एयरो स्पोर्ट्स काउंसिल के चेयरमैन ने कहा कि बारोट में अब मौसम रडार लगाने की योजना है। यह घटना के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। डिप्टी कमिश्नर मंडी ने बताया कि संचालकों से रिपोर्ट मांगी गई है और दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द हो सकता है। राहुल शर्मा को भी अब कुछ दिनों के लिए उड़ान पर रोक लगा दी गई है।

बारोट जैसे क्षेत्रों में पैराग्लाइडिंग पर्यटन को बढ़ावा देती है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। किसान खेतों को किराए पर देते हैं, गाइड काम पाते हैं और होटल चलते हैं। लेकिन सुरक्षा पहले आनी चाहिए। पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रमाणित ऑपरेटरों से ही उड़ान भरें। मौसम ऐप चेक करें और हेलमेट, हार्नेस जैसे उपकरणों की जांच करें। इस घटना से सबक लेते हुए, राज्य सरकार ने सभी साइट्स पर सेफ्टी ऑडिट का आदेश दिया है।

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