धर्म/आध्यात्म: 'मनुज से देवत्व' की यात्रा को एक नया आयाम दे रहा है अखिल विश्व गायत्री परिवार, युगऋषि की शिक्षाओं का अमर संदेश, नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा।
अखिल विश्व गायत्री परिवार, जिसकी स्थापना युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने 1950 के दशक में की थी, आज न केवल एक आध्यात्मिक....

मुख्य बिंदु:
- साधना और सेवा: जीवन को सत्कर्मों से सार्थक बनाने का संदेश।
- गायत्री मंत्र: सकारात्मकता और बुद्धि का स्रोत।
- सामाजिक सुधार: युवा और महिला सशक्तिकरण पर जोर।
- गायत्री जयंती: सामूहिक साधना और यज्ञ का आयोजन।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यज्ञ से पर्यावरण शुद्धि।
- ब्रह्मवर्चस शोध: आध्यात्मिकता और विज्ञान का मेल।
- युवा प्रकोष्ठ: संस्कारशालाओं में नैतिक शिक्षा।
- नारी जागरण: वैदिक परंपराओं से प्रेरित सशक्तिकरण।
- हरित गंगा अभियान: 1 लाख पौधे और गंगा स्वच्छता।
- वृक्षारोपण: प्रकृति की सेवा को साधना का हिस्सा बनाना।
अखिल विश्व गायत्री परिवार, जिसकी स्थापना युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने 1950 के दशक में की थी, आज न केवल एक आध्यात्मिक संगठन है, बल्कि यह एक ऐसी विरासत का प्रतीक है जो मानवता, नैतिकता, और सत्कर्मों की वसीयत को नई पीढ़ियों तक पहुंचा रही है। गायत्री परिवार की शिक्षाएं, जो गायत्री मंत्र की साधना, यज्ञ, और मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन पर आधारित हैं, आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। 24 मई 2025 को शांतिकुंज, हरिद्वार में आयोजित एक विशेष समारोह में गायत्री परिवार ने अपनी वसीयत और विरासत को नए सिरे से परिभाषित करने का संकल्प लिया। इस समारोह में युगऋषि की शिक्षाओं को डिजिटल युग में फैलाने और सामाजिक-आध्यात्मिक सुधारों को बढ़ावा देने की योजनाओं पर चर्चा हुई। यह लेख गायत्री परिवार की इस अनमोल वसीयत और विरासत को विस्तार से प्रस्तुत करता है, जो न केवल आध्यात्मिकता, बल्कि सामाजिक उत्थान और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है।
- गायत्री परिवार की वसीयत: युगऋषि का संदेश
गायत्री परिवार की स्थापना का मूल उद्देश्य मानव जीवन में नैतिकता, सत्य, और सत्कर्मों को स्थापित करना था। युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया, जिसे वे भारतीय संस्कृति की जननी मानते थे। उनकी वसीयत में निहित है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को साधना, सेवा, और समर्पण के माध्यम से सार्थक बनाए। शांतिकुंज में स्थापित गायत्री परिवार का मुख्यालय आज भी इस वसीयत को जीवंत रखे हुए है। युगऋषि ने अपनी पुस्तक हमारी वसीयत और विरासत में लिखा, “यह जीवन एक अमूल्य निधि है। इसे सत्कर्मों और सेवा में लगाकर ही हम अपनी आत्मा को अमर बना सकते हैं।” यह वसीयत केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक सुधार, पर्यावरण संरक्षण, और वैज्ञानिक आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना भी शामिल है। गायत्री परिवार ने इस वसीयत को अपने विभिन्न कार्यक्रमों, जैसे गायत्री यज्ञ, संस्कारशालाएं, और युवा जागृति अभियान, के माध्यम से लागू किया है।
- विरासत: गायत्री मंत्र और यज्ञ की शक्ति
गायत्री परिवार की सबसे बड़ी विरासत है गायत्री मंत्र की साधना और यज्ञ की परंपरा। युगऋषि ने गायत्री मंत्र को न केवल एक आध्यात्मिक साधना, बल्कि जीवन को परिवर्तन करने वाली शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “गायत्री मंत्र वह बीज है, जो मनुष्य के भीतर सकारात्मकता, बुद्धि, और प्रेरणा का अंकुरण करता है।” शांतिकुंज में हर वर्ष आयोजित होने वाली गायत्री जयंती (23 जून 2025 को आगामी) इस विरासत को और मजबूत करती है, जिसमें लाखों साधक एकत्र होकर सामूहिक साधना और यज्ञ करते हैं। यज्ञ, जिसे युगऋषि ने भारतीय धर्म का पिता कहा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का प्रतीक है। गायत्री परिवार ने यज्ञ को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रस्तुत किया, जिसमें हवन से निकलने वाले धुएं को पर्यावरण शुद्धिकरण का साधन बताया गया। शांतिकुंज के ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान में इस पर शोध किए गए, जो इस विरासत को आधुनिक युग से जोड़ते हैं।
- सामाजिक सुधार: युवा और महिला सशक्तिकरण
गायत्री परिवार की वसीयत में सामाजिक सुधार एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। युगऋषि का मानना था कि समाज का उत्थान तभी संभव है, जब युवा और महिलाएं सशक्त हों। इसके लिए गायत्री परिवार ने कई पहल शुरू कीं, जैसे युवा प्रकोष्ठ और नारी जागरण अभियान। कौशाम्बी में हाल ही में आयोजित एक संस्कारशाला में युवाओं को नैतिकता और देशभक्ति की शिक्षा दी गई, जो इस विरासत का हिस्सा है। महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए, गायत्री परिवार ने वैदिक काल की परंपराओं का उल्लेख किया, जहां महिलाओं को यज्ञ और शास्त्रार्थ में बराबर का स्थान प्राप्त था। युगऋषि ने लिखा, “नारी शक्ति के बिना समाज अधूरा है। गायत्री साधना महिलाओं को आत्मबल और आत्मविश्वास देती है।” शांतिकुंज में महिलाओं के लिए विशेष साधना शिविर आयोजित किए जाते हैं, जो इस वसीयत को जीवित रखते हैं।
गायत्री परिवार की विरासत में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण पहलू है। युगऋषि ने प्रकृति को माता मेदिनी के रूप में पूजा और उसके संरक्षण को साधना का हिस्सा बनाया। गायत्री परिवार ने वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और प्लास्टिक-मुक्त अभियानों के माध्यम से इस विरासत को आगे बढ़ाया है। शांतिकुंज में हर वर्ष हजारों पौधे रोपे जाते हैं, और साधकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है। 24 मई 2025 के समारोह में, गायत्री परिवार ने ‘हरित गंगा अभियान’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य गंगा के किनारे 1 लाख पौधे लगाना और नदी की स्वच्छता को बढ़ावा देना है। यह अभियान युगऋषि की उस वसीयत का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने कहा था, “प्रकृति की सेवा ही परमात्मा की सेवा है।” आधुनिक युग में गायत्री परिवार ने अपनी वसीयत और विरासत को डिजिटल माध्यमों से फैलाने का बीड़ा उठाया है। AWGP.org और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गायत्री मंत्र की साधना, यज्ञ, और युगऋषि की शिक्षाओं को लाखों लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। X पर एक यूजर ने लिखा, “गायत्री परिवार की डिजिटल पहल युवाओं को आध्यात्मिकता से जोड़ रही है। यह युगऋषि की वसीयत का सच्चा सम्मान है।” शांतिकुंज ने हाल ही में एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया, जिसमें गायत्री मंत्र की साधना, यज्ञ विधि, और युगऋषि की पुस्तकों का डिजिटल संग्रह उपलब्ध है। यह कदम नई पीढ़ी को इस विरासत से जोड़ने का एक प्रयास है।
गायत्री परिवार की वसीयत में सामुदायिक एकता और सहयोग पर विशेष जोर है। युगऋषि ने कहा, “परिवार वह समुद्र है, जिसमें प्रत्येक बूंद महत्वपूर्ण है।” गायत्री परिवार ने संयुक्त परिवार की अवधारणा को बढ़ावा दिया, जहां लोग एक-दूसरे के साथ सहयोग और प्रेम से रहें। यह विचार वैदिक काल के परिवारों से प्रेरित है, जहां सामुदायिक जीवन नैतिकता और कर्तव्य पर आधारित था। वैश्विक स्तर पर, गायत्री परिवार ने 80 से अधिक देशों में अपनी शाखाएं स्थापित की हैं, जो युगऋषि की शिक्षाओं को फैला रही हैं। अमेरिका, कनाडा, और यूरोप में गायत्री यज्ञ और साधना शिविर आयोजित किए जाते हैं, जो इस विरासत को वैश्विक मंच पर ले जा रहे हैं। गायत्री परिवार की वसीयत और विरासत को बनाए रखने में कई चुनौतियां भी हैं। आधुनिक युग में भौतिकवाद और उपभोक्तावाद ने युवाओं को आध्यात्मिकता से दूर किया है। इसके बावजूद, गायत्री परिवार ने अपनी शिक्षाओं को समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
युगऋषि की पुस्तकें, जैसे अखंड ज्योति, और डिजिटल सामग्री इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। 24 मई 2025 के समारोह में, गायत्री परिवार ने अगले पांच वर्षों के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत किया, जिसमें 1,000 नई संस्कारशालाओं की स्थापना, 10 लाख युवाओं को साधना और सेवा से जोड़ना और ग्लोबल गायत्री यज्ञ का आयोजन, जिसमें 100 देशों के साधक शामिल होंगे। गायत्री परिवार की वसीयत और विरासत युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की दूरदर्शिता और समर्पण का प्रतीक है। गायत्री मंत्र, यज्ञ, सामाजिक सुधार, और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से यह संगठन मानवता को एक नई दिशा दे रहा है। शांतिकुंज, हरिद्वार में आयोजित हालिया समारोह ने इस वसीयत को डिजिटल युग में ले जाने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने का संकल्प दोहराया। गायत्री परिवार की यह विरासत न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है, जो हमें सिखाती है कि सत्कर्म और साधना के माध्यम से हम अपने जीवन को अमर बना सकते हैं। यह वसीयत हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारी सबसे बड़ी विरासत दूसरों की सेवा और समाज का उत्थान है।
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