Life Style: घुटनों में चटकने की आवाज और हड्डियों की कमजोरी दूर करने का देसी नुस्खा: रागी से मिलता है दूध से चार गुना कैल्शियम, डॉक्टरों की सलाह। 

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में घुटनों से चटकने की आवाज या हड्डियों से आने वाली कट-कट की ध्वनि एक आम समस्या बन गई है। खासकर युवाओं और मध्यम आयु वालों में यह शिकायत

Oct 14, 2025 - 10:40
 0  43
Life Style: घुटनों में चटकने की आवाज और हड्डियों की कमजोरी दूर करने का देसी नुस्खा: रागी से मिलता है दूध से चार गुना कैल्शियम, डॉक्टरों की सलाह। 
घुटनों में चटकने की आवाज और हड्डियों की कमजोरी दूर करने का देसी नुस्खा: रागी से मिलता है दूध से चार गुना कैल्शियम, डॉक्टरों की सलाह। 

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में घुटनों से चटकने की आवाज या हड्डियों से आने वाली कट-कट की ध्वनि एक आम समस्या बन गई है। खासकर युवाओं और मध्यम आयु वालों में यह शिकायत तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या कैल्शियम की कमी, गलत खान-पान, अधिक वजन या कम शारीरिक गतिविधि के कारण होती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ देसी नुस्खों और सुपरफूड्स से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों और ऑर्थोपेडिक डॉक्टरों के अनुसार, रागी (नाचनी या फिंगर मिलेट) जैसे पारंपरिक अनाज में दूध से चार गुना ज्यादा कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में रामबाण साबित होता है। एक कप दूध में लगभग 300 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जबकि 100 ग्राम रागी में 344 मिलीग्राम से ज्यादा कैल्शियम मिलता है। यह न केवल हड्डियों की घनत्व बढ़ाता है, बल्कि जोड़ों की लचीलापन भी सुधारता है। डॉक्टर निशांत गुप्ता, जो आयुर्वेद और नेचुरोपैथी में विशेषज्ञ हैं, ने अपनी वेबसाइट और इंटरव्यू में बताया कि रागी का नियमित सेवन घुटनों की चटकाहट को कम करने के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाव करता है। आइए जानते हैं इस समस्या के कारणों, लक्षणों और देसी उपायों के बारे में विस्तार से।

घुटनों या हड्डियों से चटकने की आवाज को मेडिकल भाषा में क्रेपिटस कहा जाता है। यह तब होता है जब जोड़ों के आसपास की हवा के बुलबुले फूटते हैं या कार्टिलेज (हड्डियों के बीच की चिकनी परत) घिसने लगती है। सामान्य रूप से यह हानिरहित होता है, लेकिन अगर इसके साथ दर्द, सूजन या जकड़न हो, तो यह ऑस्टियोआर्थराइटिस या हड्डियों की कमजोरी का संकेत हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी मुख्य वजह है। भारत में 70 प्रतिशत लोग कैल्शियम की कमी से जूझ रहे हैं, क्योंकि आधुनिक डाइट में फास्ट फूड और प्रोसेस्ड चीजें हावी हो गई हैं। युवाओं में लंबे समय तक बैठे रहना, वजन बढ़ना और व्यायाम की कमी से जोड़ों में घर्षण बढ़ जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक, 25-35 साल की उम्र में 40 प्रतिशत लोग इस समस्या का शिकार हैं। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो आगे चलकर घुटने की सर्जरी या फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, शुरुआती लक्षण दिखते ही डाइट में बदलाव जरूरी है।

डॉक्टर निशांत गुप्ता, जो शुद्ध आयुर्वेदिक क्लिनिक चलाते हैं और 15 साल से हर्बल और पंचकर्म थेरेपी में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि देसी नुस्खे आधुनिक दवाओं से ज्यादा सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि रागी हड्डियों के लिए सुपरफूड है। 100 ग्राम रागी में 344 मिलीग्राम कैल्शियम, 3.9 मिलीग्राम आयरन और भरपूर मैग्नीशियम होता है, जो दूध के 300 मिलीग्राम कैल्शियम से चार गुना प्रभावी अवशोषण देता है। रागी में मौजूद फाइटिक एसिड कम होता है, इसलिए कैल्शियम आसानी से शरीर में सोखा जाता है। गुप्ता जी सलाह देते हैं कि रागी का रोटी, डोसा या लड्डू बनाकर रोजाना खाएं। एक अध्ययन से पता चला कि रागी का सेवन करने वालों में हड्डियों की घनत्व 20 प्रतिशत तक बढ़ गई। इसके अलावा, गुड़ और भुना चना भी कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। गुड़ में आयरन और चने में प्रोटीन होता है, जो जोड़ों को मजबूत बनाता है। रोजाना एक मुट्ठी भुना चना और गुड़ खाने से घुटनों की चटकाहट कम होती है।

आयुर्वेदिक नजरिए से, यह समस्या वात दोष के असंतुलन से होती है। डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क) वात को शांत करता है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो सूजन कम करता है। रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। यह न केवल कैल्शियम सप्लीमेंट का काम करता है, बल्कि नींद भी सुधारता है। एक रिसर्च में पाया गया कि हल्दी दूध पीने से जोड़ों का दर्द 30 प्रतिशत कम हो जाता है। गिलोय का रस भी फायदेमंद है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया जैसी समस्या रोकता है। सुबह खाली पेट गिलोय का रस लें, या पाउडर को दूध के साथ मिलाकर। डॉक्टर सलाह देते हैं कि अगर दर्द ज्यादा हो, तो गिलोय चूर्ण को हल्दी के साथ मिलाकर लगाएं।

हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी और ब्रोकोली कैल्शियम के प्राकृतिक स्रोत हैं। 100 ग्राम पालक में 99 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जो विटामिन के के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाता है। डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि सलाद या सब्जी के रूप में इन्हें डाइट में शामिल करें। बादाम और तिल भी जरूरी हैं। एक मुट्ठी बादाम रात भर भिगोकर सुबह खाएं। बादाम में कैल्शियम के साथ मैग्नीशियम होता है, जो कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। तिल के बीज में 975 मिलीग्राम कैल्शियम प्रति 100 ग्राम होता है, जो दूध से कहीं ज्यादा है। तिल की चटनी या लड्डू बनाकर खाएं। सोयाबीन और ओट्स भी प्रोटीन और कैल्शियम देते हैं। सोया मिल्क लैक्टोज इंटॉलरेंट लोगों के लिए बेस्ट है।

डॉक्टरों का कहना है कि सिर्फ डाइट ही काफी नहीं, व्यायाम भी जरूरी है। घुटनों की चटकाहट कम करने के लिए योगासन जैसे वीरभद्रासन या भुजंगासन करें। रोजाना 20 मिनट सूर्य नमस्कार से विटामिन डी मिलता है, जो कैल्शियम को बॉडी में ले जाता है। वजन कंट्रोल रखें, क्योंकि अतिरिक्त वजन जोड़ों पर दबाव डालता है। अगर दर्द के साथ सूजन हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर गुप्ता चेताते हैं कि देसी नुस्खे सहायक हैं, लेकिन गंभीर केस में एक्स-रे या डेंसिटॉमी करवाएं। आयुर्वेद में अश्वगंधा और शतावरी भी हड्डियों के लिए अच्छी हैं। अश्वगंधा चूर्ण दूध के साथ लें, यह तनाव कम करता है और हड्डियां मजबूत बनाता है।

यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है, खासकर मेनोपॉज के बाद। हार्मोनल बदलाव से कैल्शियम लॉस होता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि 30 साल की उम्र से ही कैल्शियम इंटेक बढ़ाएं। पुरुषों में भी स्मोकिंग और शराब से हड्डियां कमजोर होती हैं। एक सर्वे से पता चला कि भारत में 60 प्रतिशत महिलाओं में कैल्शियम की कमी है। रागी जैसे सुपरफूड्स को डाइट में जोड़ने से यह कमी पूरी हो सकती है। रागी का डोसा या खिचड़ी बनाएं, यह स्वादिष्ट और पौष्टिक है। गुड़-चना का कॉम्बिनेशन स्नैक के रूप में लें। हल्दी दूध को रूटीन बनाएं। इन नुस्खों से 30 दिनों में फर्क दिखेगा। डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा में ये उपाय सदियों से इस्तेमाल हो रहे हैं, और आधुनिक रिसर्च भी इन्हें साबित कर रही है।

डाइट में बदलाव के साथ पानी ज्यादा पिएं। डिहाइड्रेशन से जोड़ सूख जाते हैं, जिससे चटकाहट बढ़ती है। रोजाना 8-10 गिलास पानी लें। मसाज भी फायदेमंद है। नारियल तेल या तिल के तेल से घुटनों की मालिश करें। यह ल्यूब्रिकेशन बढ़ाता है। अगर दर्द रात में ज्यादा हो, तो गर्म सेंक लगाएं। सर्दियों में यह समस्या बढ़ जाती है, इसलिए विंटर में कैल्शियम इंटेक दोगुना करें। बच्चे और किशोरों में भी यह देखा जा रहा है, इसलिए उनकी डाइट में रागी शामिल करें। डॉक्टर गुप्ता की सलाह है कि सप्लीमेंट्स लेने से पहले ब्लड टेस्ट करवाएं। विटामिन डी की कमी हो तो सनलाइट एक्सपोजर बढ़ाएं।

यह समस्या नजरअंदाज करने से गंभीर हो सकती है। शुरुआत में क्रेपिटस सामान्य लगता है, लेकिन बाद में दर्द और मोबिलिटी लॉस हो जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि 40 साल से ऊपर हर छह महीने में बोन डेंसिटी चेक करवाएं। देसी नुस्खे अपनाकर आप हड्डियों को मजबूत रख सकते हैं। रागी, गुड़-चना, हल्दी दूध और हरी सब्जियां आपकी डाइट का हिस्सा बनें। डॉक्टर निशांत गुप्ता जैसे विशेषज्ञों की सलाह से लाखों लोग फायदा उठा रहे हैं। स्वस्थ हड्डियां मजबूत जीवन का आधार हैं। आज से ही इन उपायों को अपनाएं और डॉक्टर से सलाह लें।

Also Read- बालों को तेजी से बढ़ाने के लिए सबसे असरदार प्राकृतिक तेल- घर पर गुड़हल और मेथी से बनाएं हेयर ऑयल, 15 दिनों में दिखेगा असर।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow